Thread Rating:
  • 2 Vote(s) - 3 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Incest मेरी बड़ी बहन की कातिल जवानी
#47
दीदी इस पर मुस्कुराते हुए बोली “ओह हो…मेरा प्यारा छोटा भाई…..बेचारा….फिर तुझे और कोई नहीं मिली देखने के लिए जो मेरे कमरे में घुस गया….”मैं इस पर दीदी का थोड़ा सा विरोध करते हुए बोला “नहीं दीदी….ऐसी बात नहीं है….वो तो….तो मैं….मेरे ऑफिस में भी बहुत सारी लड़कियाँ है मगर…..मगर….मुझे नहीं पता….ऐसा क्यों है….मगर मुझे आप से ज्यादा सुन्दर…कोई नहीं…..कोई भी नहीं….लगती….मुझे वो लड़कियाँ अच्छी नहीं…लगती प्लीज़ दीदी मुझे माफ़ कर दो… मैं…मैं…आगे से ऐसा…..नहीं…”

इस पर दीदी हँसने लगी और मुझे रोकते हुए बोली “अरे…रे…इतना घबराने की जरुरत नहीं है….मैं तो तुमसे इसलिए नाराज़ थी की तुम अपना शरीर बर्बाद कर रहे थे….मेरे भाई को मैं इतनी अच्छी लगती हूँ की उसे कोई और लड़की अच्छी नहीं लगती….ये मेरे लिए गर्व की बात है मैं बहुत खुश हूँ….मुझे तो लग रहा था की मेरी उम्र बहुत ज्यादा हो चूँकि है इसलिए…..पर….इक्कीस साल का मेरा नौजवान भाई मुझे इतना पसंद करता है ये तो मुझे पता ही नहीं था…” कहते हुए आगे बढ़ कर मेरे होंठो पर एक जोरदार चुम्मा लिया और फिर दुबारा अपने होंठो को मेरे होंठो से सटा कर मेरे होंठो को अपने होंठो के दबोच कर अपना जीभ मेरे मुंह में ठेलते हुए चूसने लगी.
उसके होंठ चूसने के अंदाज से लगा जैसे मेरे कमसिन जवान होंठो का पूरा रस दीदी चूस लेना चाहती हो. होंठ चूसते चूसते वो मेरे लण्ड को अपनी हथेली के बीच दबोच कर मसल रही थी. कुछ देर तक ऐसा करने के बाद जब दीदी ने अपने होंठ अलग किये तो हम दोनों की सांसे फुल गई थी. मैं अपनी तेज बहकी हुई सांसो को काबू करता हुआ बोला “हाय दीदी आप बहुत अच्छी हो….”“अच्छा…बेटा मख्खन लगा रहा है….”“नहीं दीदी…आप सच में बहुत अच्छी हो….और बहुत सुन्दर हो….” इस पर दीदी हंसते हुए बोली “मैं सब मख्खनबाजी समझती हूँ बड़ी बहन को पटा कर निचे लिटाने के चक्कर में…..है तू….”
मैं इस पर थोड़ा शर्माता हुआ बोला “हाय…नहीं दीदी….आप….” दीदी ने गाल पर एक प्यार भरा चपत लगाते हुए कहा “हाँ…हाँ…बोल…..” मैं इस पर झिझकते हुए बोला ” वो दीदी दीदी…आप बोल रही थी की मैं….दि…दि…दिखा दूंगी….”. दीदी मुस्कुराते हुए बोली “दिखा दूंगी…क्या मतलब हुआ…क्या दिखा दूंगी….” मैं हकलाता हुआ बोला ” वो….वो…दीदी आपने खुद बोला था…की मैं….वो ग्वालिन वाली चीज़….”“अरे ये ग्वालिन वाली चीज़ क्या होती है….ग्वालिन वाली चीज़ तो ग्वालिन के पास होगी…मेरे पास कहाँ से आएगी…खुल के बता ना राजू….मैं तुझे कोई डांट रही हूँ जो ऐसे घबरा रहा है…. क्या देखना है”“दीदी…वो…वो मुझे…चु….चु…”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मेरी बड़ी बहन की कातिल जवानी - by neerathemall - 07-07-2022, 04:07 PM



Users browsing this thread: 10 Guest(s)