07-07-2022, 04:06 PM
मेरे इतना कहते ही मेरे लण्ड ने एक तेज पिचकारी छोड़ी. कविता दीदी ने जल्दी से अपना मुंह हटाया मगर तब भी मेरे लण्ड की तेज धार के साथ निकली हुई वीर्य की पिचकारी का पहला धार तो उनके मुंह में ही गिरा बाकी धीरे-धीरे पुच-पुच करते हुए उनके पेटिकोट एवं हाथ पर गिरने लगा जिस से उन्होंने लण्ड पकड़ रखा था. मैं डरते हुए दीदी का मुंह का मुंह देखने लगा की कही वो इस बात के लिए नाराज़ तो नहीं हो गई की मैंने अपना पानी उनके मुंह में गिरा दिया है. मगर मैंने देखा की दीदी अपने मुंह को चलाती हुई जीभ निकल कर अपने होंठो के कोने पर लगे मेरे सफ़ेद रंग के गाढे वीर्य को चाट रही थी.
मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुई बोली “हाय राजू…बहुत अच्छा पानी निकला…. बहुत मजा आया…तेरा हथियार बहुत अलबेला है….भाई….बहुत पानी छोड़ता है….मजा आया की नहीं…बोल…कैसा लगा अपनी दीदी के मुंह में पानी छोड़ना….हाय…तेरा लण्ड जिस बूर में पानी छोड़ेगा वो तो…एक दम लबालब भर जायेगी….”.दीदी एकदम खुल्ल्लम खुल्ला बोल रही थी. दीदी के ऐसे बोलने पर मैं झरने के बाद भी सनसनी से भर शरमाया तो दीदी मेरे झरे लण्ड को मुठ्ठी में कसती हुई बोली “अनचुदे लौड़े की सही पहचान यही है…की उसका औजार एक पानी निकालने के बाद कितनी जल्दी खड़ा होता…. ”
कहते हुए मेरे लण्ड को अपनी हथेली में भर कर सहलाते हुए सुपाड़े पर ऊँगली चलाने लगी. मेरे बदन में फिर से सनसनाहट होने लगी. झरने के कारण मेरे पैर अभी भी काँप रहे थे. दीदी मेरी ओर मुस्कुराते हुए देख रह थी और बोली “इस बार जब तेरा निकलेगा तो और ज्यादा टाइम लगाएगा….वैसे भी तेरा काफी देर में निकलता है…..साला बहुत दमदार लौड़ा है तेरा….” मैं शरमाते हुए दीदी की तरफ देखा और बोला “हाय….फिर से…मत करो…हाथ से…”. इस पर दीदी बोली “ठहर जा…पहले खड़ा कर लेने दे…हाय देख खड़ा हो रहा है लौड़ा….वाह….बहुत तेजी से खड़ा हो रहा है तेरा तो….”. कहते हुए दीदी और जोर से अपने हाथो को चलाने लगी. “हाय दीदी हाथ से मत करो….
मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुई बोली “हाय राजू…बहुत अच्छा पानी निकला…. बहुत मजा आया…तेरा हथियार बहुत अलबेला है….भाई….बहुत पानी छोड़ता है….मजा आया की नहीं…बोल…कैसा लगा अपनी दीदी के मुंह में पानी छोड़ना….हाय…तेरा लण्ड जिस बूर में पानी छोड़ेगा वो तो…एक दम लबालब भर जायेगी….”.दीदी एकदम खुल्ल्लम खुल्ला बोल रही थी. दीदी के ऐसे बोलने पर मैं झरने के बाद भी सनसनी से भर शरमाया तो दीदी मेरे झरे लण्ड को मुठ्ठी में कसती हुई बोली “अनचुदे लौड़े की सही पहचान यही है…की उसका औजार एक पानी निकालने के बाद कितनी जल्दी खड़ा होता…. ”
कहते हुए मेरे लण्ड को अपनी हथेली में भर कर सहलाते हुए सुपाड़े पर ऊँगली चलाने लगी. मेरे बदन में फिर से सनसनाहट होने लगी. झरने के कारण मेरे पैर अभी भी काँप रहे थे. दीदी मेरी ओर मुस्कुराते हुए देख रह थी और बोली “इस बार जब तेरा निकलेगा तो और ज्यादा टाइम लगाएगा….वैसे भी तेरा काफी देर में निकलता है…..साला बहुत दमदार लौड़ा है तेरा….” मैं शरमाते हुए दीदी की तरफ देखा और बोला “हाय….फिर से…मत करो…हाथ से…”. इस पर दीदी बोली “ठहर जा…पहले खड़ा कर लेने दे…हाय देख खड़ा हो रहा है लौड़ा….वाह….बहुत तेजी से खड़ा हो रहा है तेरा तो….”. कहते हुए दीदी और जोर से अपने हाथो को चलाने लगी. “हाय दीदी हाथ से मत करो….
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.