07-07-2022, 03:58 PM
“फिर से मार खायेगा क्या…जैसा कहती हु वैसा कर…” कहती हुई थोड़ा आगे खिसक कर मेरे पास आई और अपने पेटिकोट को खींच कर घुटनों से ऊपर करते हुए पहले के जैसे बैठ गई. मैंने चुपचाप अपने चुत्तरों को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया. दीदी ने सटाक से मेरे पैंट को खींच कर मेरी कमर और चुत्तडो के नीचे कर दिया, फिर मेरे पैरों से होकर मेरे पैंट को पूरा निकाल कर नीचे कारपेट पर फेंक दिया. मैंने निचे से पूरा नंगा हो गया था और मेरा ढीला लण्ड दीदी की आँखों के सामने था.
मैंने हाल ही में अपने लण्ड के ऊपर उगे के बालो को ट्रिम किया था इसलिए झांट बहुत कम थे. मेरे ढीले लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भरते हुए दीदी ने सुपाड़े की चमडी को थोड़ा सा नीचे खींचते हुए मेरे मरे हुए लण्ड पर जब हाथ चलाया तो मैं सनसनी से भर आह किया. दीदी ने मेरी इस आह पर कोई ध्यान नहीं दिया और अपने अंगूठे को सुपाड़े पर चलाती हुई सक-सक मेरे लण्ड की चमडीको ऊपर नीचे किया. दीदी के कोमल हाथो का स्पर्श पा कर मेरे लण्ड में जान वापस आ गई.
मैं डरा हुआ था पर दीदी जैसी खूबसूरत औरत की हथेली ने लौड़े को अपनी मुठ्ठी में दबोच कर मसलते हुए, चमडी को ऊपर निचे करते हुए सुपाड़े को गुदगुदाया तो अपने आप मेरे लण्ड की तरफ खून की रफ्तार तेज हो गई. लौड़ा फुफकार उठा और अपनी पूरी औकात पर आ गया.मेरे खड़े होते लण्ड को देख दीदी का जोश दुगुना हो गया और दो-चार बार हाथ चला कर मेरे लण्ड को अपने बित्ते से नापती हुई बोली
“बाप रे बाप….कैसा हल्लबी लण्ड है…ओह… हाय…भाई तेरा तो सच में बहुत बड़ा है….मेरी इतनी उम्र हो गई….आज तक ऐसा नहीं देखा था…ओह…ये पूरा नौ इंच का लग रहा है…इतना बड़ा तो तेरे बहनोई का भी नहीं….हाय….ये तो उनसे बहुत बड़ा लग रहा है…..और काफी शानदार है….उफ़….मैं तो….मैं तो……हाय…..ये तो गधे के लण्ड जितना बड़ा है…..उफ्फ्फ्फ़…..” बोलते हुए मेरे लण्ड को जोर से मरोर दिया और सुपाड़े को अपनी ऊँगली और अंगूठे के बीच कस कर दबा दिया.
दर्द के मारे छटपटा कर जांघ सिकोरते हुए दीदी का हाथ हटाने की कोशिश करते हुए पीछे खिसका तो तो मेरे लण्ड को पकर कर अपनी तरफ खींचती हुई बोली “हरामी….साले….मैं जब सो रही होती हु तो मेरी चूची दबाता है मेरी चुत में ऊँगली करता है….आग लगाता है….इतना मोटा लौड़ा ले कर….घूमता है…और बाएं गाल पर तड़ाक से एक झापड़ जड़ दिया. मैं हतप्रभ सा हो गया. मेरी समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करू. दीदी मुझ से क्या चाहती है, ये भी समझ में नहीं आ रहा था. एक तरफ तो वो मेरे लण्ड को सहलाते हुए मुठ मार रही थी और दूसरी तरफ गाली देते हुए बात कर रही थी और मार रही थी.
मैं उदास और डरी हुई नज़रों से दीदी को देख रहा था. दीदी मेरे लण्ड की मुठ मारने में मशगूल थी.एक हाथ में लण्ड को पकरे हुए दुसरे हाथ से मेरे अन्डकोषो को अपनी हथेली में लेकर सहलाती हुई बोली “….हाथ से करता है…. राजू….अपना शरीर बर्बाद मत कर…..तेरा शरीर बर्बाद हो जायेगा तो….” कहते हुए जब अपनी नजरों को ऊपर उठाया तो मेरे उदास चेहरे पर दीदी की नज़र पड़ी. मुझे उदास देख लण्ड पर हाथ चलाती हुई दुसरे हाथ से मेरे गाल को चुटकी में पकड़ मसलते हुए बोली “उदास क्यों है….क्या तुझे अच्छा नहीं लग रहा है…..हाय राजू तेरा लण्ड बहुत बड़ा और मजेदार है…. तेरा हाथ से करने लायक नहीं है….ये किसी छेद घुसा कर किया कर…..”
मैंने हाल ही में अपने लण्ड के ऊपर उगे के बालो को ट्रिम किया था इसलिए झांट बहुत कम थे. मेरे ढीले लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भरते हुए दीदी ने सुपाड़े की चमडी को थोड़ा सा नीचे खींचते हुए मेरे मरे हुए लण्ड पर जब हाथ चलाया तो मैं सनसनी से भर आह किया. दीदी ने मेरी इस आह पर कोई ध्यान नहीं दिया और अपने अंगूठे को सुपाड़े पर चलाती हुई सक-सक मेरे लण्ड की चमडीको ऊपर नीचे किया. दीदी के कोमल हाथो का स्पर्श पा कर मेरे लण्ड में जान वापस आ गई.
मैं डरा हुआ था पर दीदी जैसी खूबसूरत औरत की हथेली ने लौड़े को अपनी मुठ्ठी में दबोच कर मसलते हुए, चमडी को ऊपर निचे करते हुए सुपाड़े को गुदगुदाया तो अपने आप मेरे लण्ड की तरफ खून की रफ्तार तेज हो गई. लौड़ा फुफकार उठा और अपनी पूरी औकात पर आ गया.मेरे खड़े होते लण्ड को देख दीदी का जोश दुगुना हो गया और दो-चार बार हाथ चला कर मेरे लण्ड को अपने बित्ते से नापती हुई बोली
“बाप रे बाप….कैसा हल्लबी लण्ड है…ओह… हाय…भाई तेरा तो सच में बहुत बड़ा है….मेरी इतनी उम्र हो गई….आज तक ऐसा नहीं देखा था…ओह…ये पूरा नौ इंच का लग रहा है…इतना बड़ा तो तेरे बहनोई का भी नहीं….हाय….ये तो उनसे बहुत बड़ा लग रहा है…..और काफी शानदार है….उफ़….मैं तो….मैं तो……हाय…..ये तो गधे के लण्ड जितना बड़ा है…..उफ्फ्फ्फ़…..” बोलते हुए मेरे लण्ड को जोर से मरोर दिया और सुपाड़े को अपनी ऊँगली और अंगूठे के बीच कस कर दबा दिया.
दर्द के मारे छटपटा कर जांघ सिकोरते हुए दीदी का हाथ हटाने की कोशिश करते हुए पीछे खिसका तो तो मेरे लण्ड को पकर कर अपनी तरफ खींचती हुई बोली “हरामी….साले….मैं जब सो रही होती हु तो मेरी चूची दबाता है मेरी चुत में ऊँगली करता है….आग लगाता है….इतना मोटा लौड़ा ले कर….घूमता है…और बाएं गाल पर तड़ाक से एक झापड़ जड़ दिया. मैं हतप्रभ सा हो गया. मेरी समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करू. दीदी मुझ से क्या चाहती है, ये भी समझ में नहीं आ रहा था. एक तरफ तो वो मेरे लण्ड को सहलाते हुए मुठ मार रही थी और दूसरी तरफ गाली देते हुए बात कर रही थी और मार रही थी.
मैं उदास और डरी हुई नज़रों से दीदी को देख रहा था. दीदी मेरे लण्ड की मुठ मारने में मशगूल थी.एक हाथ में लण्ड को पकरे हुए दुसरे हाथ से मेरे अन्डकोषो को अपनी हथेली में लेकर सहलाती हुई बोली “….हाथ से करता है…. राजू….अपना शरीर बर्बाद मत कर…..तेरा शरीर बर्बाद हो जायेगा तो….” कहते हुए जब अपनी नजरों को ऊपर उठाया तो मेरे उदास चेहरे पर दीदी की नज़र पड़ी. मुझे उदास देख लण्ड पर हाथ चलाती हुई दुसरे हाथ से मेरे गाल को चुटकी में पकड़ मसलते हुए बोली “उदास क्यों है….क्या तुझे अच्छा नहीं लग रहा है…..हाय राजू तेरा लण्ड बहुत बड़ा और मजेदार है…. तेरा हाथ से करने लायक नहीं है….ये किसी छेद घुसा कर किया कर…..”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.