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Incest मेरी बड़ी बहन की कातिल जवानी
#38
क्या दीदी, दीदी कर रहा है…जो पूछ रही हूँ साफ़ साफ़ क्यों नहीं बताता….हाथ से करता है….यहाँ ऊपर पलंग पर बैठ…बता मुझे…” कहते हुए दीदी ने मेरे कंधो को पकड़ ऊपर उठाने की कोशिश की.दीदी को एक बार फिर गुस्से में आता देख मैं धीरे से उठ कर दीदी के सामने पलंग पर बैठ गया और एक गाल पर हाथ रखे हुए अपनी गर्दन निचे किये हुए धीरे से बोला “हाँ…हाथ से……हाथ से…करता…” मैं इतना बोल कर चुप हो गया.

हम दोनों के बीच कुछ पल की चुप्पी छाई रही फिर दीदी गहरी सांस लेते हुए बोली “इसी बात का मुझे डर था….मुझे लग रहा था की इन सब चक्करों में तू अपने आप को बर्बाद कर रहा है…” फिर मेरी ठोढी पकड़ कर मेरे चेहरे को ऊपर उठा कर ध्यान से देखते हुए बोली “मैंने…तुझे मारा…उफ़…देख कैसा निशान पर गया है…पर क्या करती मैं मुझे गुस्सा आ गया था….खैर मेरे साथ जो किया सो किया……पर भाई…सच में मैं बहुत दुखी हूँ…..तुम जो ये काम करते हो ये…..ये तो…” मेरे अन्दर ये जान कर थोड़ी सी हिम्मत आ गई की मैंने दीदी के बदन को देखने की जो कोशिश की थी उस बात से दीदी अब नाराज़ नहीं है बल्कि वो मेरे मुठ मरने की आदत से परेशान है.
मैं दीदी की ओर देखते हुए बोला “सॉरी दीदी…मैं अब नहीं….करूँगा…”“भाई मैं तुम्हारे भले के लिए ही बोल रही हूँ…तुम्हारा शरीर बर्बाद कर देगा…ये काम…..ठीक है इस उम्र में लड़कियों के प्रति आकर्षण तो होता है….मगर…ये हाथ से करना सही नहीं है….ये ठीक नहीं है… राजू तुम ऐसा मत करो आगे से….”“ठीक है दीदी….मुझे माफ़ कर दो मैं आगे से ऐसा नहीं करूँगा…मैं शर्मिंदा हूँ….” मैंने अपनी गर्दन और ज्यादा झुकाते हुए धीरे से कहा. दीदी एक पल को चुप रही फिर मेरी ठोड़ी पकड़ कर मेरे चेहरे को ऊपर उठाती हुई हल्का सा मुस्कुराते हुई बोली “मैं तुझे अच्छी लगती हूँ क्या….”
मैं एकदम से शर्मा गया मेरे गाल लाल हो गए और झेंप कर गर्दन फिर से निचे झुका ली. मैं दीदी के सामने बैठा हुआ था दीदी ने हाफ पैंट के बाहर झांकती मेरी जांघो पर अपना हाथ रखा और उसे सहलाती हुई धीरे से अपने हाथ को आगे बढा कर मेरे पैंट के उभरे हुए भाग पर रख दिया. मैं शर्मा कर अपने आप में सिमटते हुए दीदी के हाथ को हटाने की कोशिश करते हुए अपने दोनों जांघो को आपस में सटाने की कोशिश की ताकि दीदी मेरे उभार को नहीं देख पाए.
दीदी ने मेरे जांघ पर दबाब डालते हुए उनका सीधा कर दिया और मेरे पैंट के उभार को पैंट के ऊपर से पकड़ लिया और बोली “रुक…आराम से बैठा रह…देखने दे….साले अभी शर्मा रहा है,…चुपचाप मेरे कमरे में आकर मुझे छू रहा था…तब शर्म नहीं आ रही थी तुझे…कुत्ते” दीदी ने फिर से अपना गुस्सा दिखाया और मुझे गाली दी. मैं सहम कर चुप चाप बैठ गया.दीदी मेरे लण्ड को छोर कर मेरे हाफ पैंट का बटन खोलने लगी. मेरे पैंट के बटन खोल कर कड़कती आवाज़ में बोली “चुत्तर…उठा तो…तेरा पैंट निकालू…” मैंने हल्का विरोध किया “ओह दीदी छोड़ दो…”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मेरी बड़ी बहन की कातिल जवानी - by neerathemall - 07-07-2022, 03:53 PM



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