07-07-2022, 03:48 PM
दीदी के बदन में कोई हरकत नहीं हो रही थी. वो एकदम बेशुध खर्राटे भर रही थी. ब्लाउज का एक बटन खुला हुआ था, मैंने हलके से ब्लाउज के उपरी भाग को पकर कर ब्लाउज के दोनों भागो को अलग कर के चूची देखने के लिए और अन्दर झाँकने की कोशिश की मगर एक बटन खुला होने के कारण ज्यादा आगे नहीं जा सका.निराश हो कर चूची छोर कर मैं अब निचे की तरफ बढा. दीदी की गोरी चिकनी पेट और कमर को कुछ पलो तक देखने के बाद मैंने हलके से अपने हाथो को उनकी जांघो पर रख दिया.
दीदी की मोटी मदमस्त जांघो का मैं दीवाना था. पेटिकोट के कपरे के ऊपर से जांघो को हलके से दबाया तो अहसास हुआ की कितनी सख्त और गुदाज जांघे है. काश मैं इस पेटिकोट के कपड़े को कुछ पलो के लिए ही सही हटा कर एक बार इन जांघो को चूम पाता या थोड़ा सा चाट भर लेता तो मेरे दिल को करार आ जाता. दीदी की मोटी जांघो को हलके हलके दबाते हुए मैं सोचने लगा की इन जांघो के बीच अपना सर रख कर सोने में कितना मजा आएगा. तभी मेरी नज़र दीदी की कमर के पास पड़ी जहाँ वो अपने पेटिकोट का नाड़ा बांधती है. पेटिकोट का नाड़ा तो खूब कस कर बंधा हुआ था, मगर जहाँ पर नाड़ा बंधा होता है ठीक वही पर पेटिकोट में एक कट बना हुआ था.
ये शायद नाड़ा बाँधने और खोलने में आसानी हो इसलिए बना होता है. मैं हलके से अपने हाथो को जांघो पर से हटा कर उस कट के पास ले गया और एक ऊँगली लगा कर कट को थोड़ा सा फैलाया. ओह…वहां से सीधा दीदी की बुर का उपरी भाग नज़र आ रहा था.मेरा पूरा बदन झन-झना गया. लण्ड ने अंगराई ली और फनफना कर खड़ा हो गया. ऐसा लगा जैसे पानी एक दम सुपाड़े तक आ कर अटक गया है और अब गिर जायेगा. मैंने उस कट से दीदी के पेरू (पेट का सबसे निचला भाग) के थोड़ा निचे तक देख पा रहा था.
दीदी की मोटी मदमस्त जांघो का मैं दीवाना था. पेटिकोट के कपरे के ऊपर से जांघो को हलके से दबाया तो अहसास हुआ की कितनी सख्त और गुदाज जांघे है. काश मैं इस पेटिकोट के कपड़े को कुछ पलो के लिए ही सही हटा कर एक बार इन जांघो को चूम पाता या थोड़ा सा चाट भर लेता तो मेरे दिल को करार आ जाता. दीदी की मोटी जांघो को हलके हलके दबाते हुए मैं सोचने लगा की इन जांघो के बीच अपना सर रख कर सोने में कितना मजा आएगा. तभी मेरी नज़र दीदी की कमर के पास पड़ी जहाँ वो अपने पेटिकोट का नाड़ा बांधती है. पेटिकोट का नाड़ा तो खूब कस कर बंधा हुआ था, मगर जहाँ पर नाड़ा बंधा होता है ठीक वही पर पेटिकोट में एक कट बना हुआ था.
ये शायद नाड़ा बाँधने और खोलने में आसानी हो इसलिए बना होता है. मैं हलके से अपने हाथो को जांघो पर से हटा कर उस कट के पास ले गया और एक ऊँगली लगा कर कट को थोड़ा सा फैलाया. ओह…वहां से सीधा दीदी की बुर का उपरी भाग नज़र आ रहा था.मेरा पूरा बदन झन-झना गया. लण्ड ने अंगराई ली और फनफना कर खड़ा हो गया. ऐसा लगा जैसे पानी एक दम सुपाड़े तक आ कर अटक गया है और अब गिर जायेगा. मैंने उस कट से दीदी के पेरू (पेट का सबसे निचला भाग) के थोड़ा निचे तक देख पा रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.