24-05-2019, 06:14 PM
सजा
" अभी सजा की शुरुआत भी नहीं हुयी है , ... "
वो रजाई में सिर्फ एक बनयाइंन और शॉर्ट्स में थे ,...
( मैं भी तो सिर्फ एक छोटी सी नाइटी और थांग में थी , )
मैंने दोनों हाथ से पकड़ के उनकी बनयान उतार के नीचे फर्श पर फेंक दी ,
ये कमरा मेरा ,
ये लड़का मेरा
मेरी चाहे जो मर्जी हो करूँ ,...
और मेरा सारा गुस्सा , फ्रस्ट्रेशन , चुम्मी बन के मेरे होंठ से सीधे उनके गालों पर ,
एक दो नहीं बीसों , और फिर मेरे बोल फूटे ,
चोर बदमाश डाकू ,...
चोर तो ये थे ही , चितचोर , मुझसे ही मुझे चुरा लिया और इससे भी संतोष नहीं हुआ , ... मेरी सारी फोटुएं ,
मैंने स्क्रैप बुक खोल के , लास्ट पेज खोल दिया ,
जिसपर कल रात की टूटी चूड़ियां, गुलाब की कलियाँ ,
हम लोगों की रति क्रीड़ा से दबी कुचली मसली चमेली के फूल से मिला के उन्होंने लिखा था
आई लव यू ,...
मैं सीधे उनके खुले चौड़े सीने पर लेट गयी और और उसे दिखाते हुए उन्हें, मैं बोली ,
" चलो तेरी पहली सजा , ... मुझे लगा था की मेरी शादी एक पढ़े लिखे लड़के से हुयी है , ... तो चलो इसे पढ़ कर दिखाओ "
कुछ लजाते शर्माते झिझकते वो बोले , .. " आई लव .... यू। "
" उन्हह ऐसे नहीं , खूब जोर से ,... "
मैं इतने आसानी से नहीं छोड़ने वाली थी , और अब उनकी थोड़ी हिम्मत खुली , ..
बोले वो और साथ में मैं भी ,
" दुष्ट चोर , डाकू , तेरी पहली सजा यही ,... इनके सीने पर ऊँगली से सहलाते बोली मैं ,
" रोज रोज कम से कम १०० बार गुड मॉर्निंग के साथ शुरू कर , ... ( और मैं जानती थी गुड नाइट तो होनी नहीं है ) ..समझ लो , अगर किसी दिन चूके ,...
उनकी हिम्मत थी ,... कम से कम बीस पच्चीस बार ,... उन्होंने बोला आई लव यू , तब मैंने रोका , ...
चलो आज के लिए बहुत है लेकिन कल सुबह से ,.. अगर एक भी कम हुआ न तो दस बार फिर से,...
और मैंने उनकी अगली सजा सुनाई ,...
जो मेरा नखशिख वर्णन लिखा था ,
मैंने पहले आखों वाली पोएम खोली , और उसके ख़त्म होते ही , मैंने हलके से बोला किस ,... उनकी पोएम को किस करते हुए इशारा किया और अगर वो न समझते तो भी ,
... हाथ थे न ,.. मैं समझ गयी थी , ऐसे दीवाने बुद्धू के लिए ,... बिना जबरदस्ती किये ,... उनके सर को दोनों हाथों से पकड़ के सीधे मेरी पलकों पर ,...
अगली कविता मेरे गालों पर थी ,
और अबकी हल्का सा जोर मुझे देना पड़ा , लेकिन मेरे होंठो पर जो कविता उन्होंने लिखी थी ( साथ में हॉट हॉट मेरे होंठों का खूब मीठा सा स्केच भी ),..
इस बार खुद उनके नदीदे होंठ , मेरे होंठ ,...
और मेरे होंठ अबकी होंठों की कुश्ती में भारी पड़ रहे थे
पर मेरे किशोर जोबन पर लिखी उनकी कविता को पढ़ने में वो बहुत झेंप रहे थे , पर मैं उन्हें उकसा रही थी , मेरे जोबन भी , ..
और उनके होंठ जब नीचे उतर रहे थे , मेरी नाइटी की गांठे खुल गयी , मेरे कोमल कमल युग्म छलक कर बाहर आगये थे और उन्हें पढ़ना था तो मैंने स्क्रैप बुक देते हुए बेड के ऊपर की लाइट भी जला दी थी ,
देख ले ये लड़का इत्ती देर से ललचा रहा था ,
और कविता तो उन्होंने धीमे से बहुत झिझकते पढ़ी लेकिन उनके होंठ ,
उँगलियाँ एकदम डाकू ,...
लूट लिया इस टीनेजर के जोबन को।
पर मैं भी , ...
क्या सिर्फ वो ही चुम्मा चाटी कर सकते थे , आज मैं भी इस खेल में बराबर की खिलाड़िन बनने की कोशिश कर रही थी ,
और जैसे ही उनके होंठो ने मेरी देह को छोड़ा , मेरे होंठ उस चोर डाकू बदमाश लड़के के ऊपर ,....
ये तीसरी सजा है , तुम्हारी ,...
अब तो पूरी जिंदगी मैं ही फैसला सुनाने वाली थी , इस लड़के को ,...
और उसे चुपचाप बस सजा सुननी थी , भुगतनी थी ,...
आखिर उसने मुझसे मुझी को चुरा लिया था , उसपर उलटा इल्जाम मेरे माथे पर ,
एक सीधी साधी गाँव की किशोरी पर , की मैंने उसका दिल चुरा लिया है ,...
और आज मेरे होंठ न शर्मा रहे थे न झिझक रहे थे ,
न मैंने उनकी ओर देखा लाइट बंद करने को ,
सबसे पहली सजा मैंने दी उनकी बदमाश आँखों को , उसी ने तो डाका डाला था मेरे ऊपर ,... और अभी भी बस उनके दीठ की एक छुअन ,..
और मैं सिहर उठती थी , उनचासों पवन मदन के एक साथ चलने लगते थे ,
और मैं मन तो कब का हार गयी थी , तन भी हार जाती थी ,
बस मेरे होंठों ने पलकों के दरवाजे को बंद कर दिया , और चुंबन की सांकल भी लगा दी , खटकाते रहो अब , ...
और मेरी हिम्मत भी बढ़ गयी ,
मेरे होंठ भी अब बिना बोले बतियाने की कला उन्ही से सीख गए थे , बस उन्होंने बरज दिया था उन्हें ,...
अब सजनी का नंबर
आँखों से उतर कर , और कहाँ ,... उनके होंठों पर , ...
बहुत रस लूटा था उन्होने मेरा ,... और जितना रस वो लूटते थे मेरी देह का उसका दूना रस छलकने लगता था मेरी देह में ,...
मैं भोरी थी उमर की बारी थी ,
लेकिन उस नवल रसिया ने एक रात में ही बहुत कुछ सिखा दिया था , पहले तो मेरे होंठ झिझक रहे थे , बस हलके से छू लेते थे , ...
लेकिन उनके होंठ भी तो अब मेरे थे ,...
मैं क्यों डरती ,...
कल से जैसे होंठ उनके मेरे होंठों को कचकचा के काट रहे थे , चूस रहे थे ,...
आज मैंने भी वैसे ही ,...
वो तड़प रहे थे सिसक रहे थे ,....
लेकिन यही हालत तो मेरी भी होती थी ,
जवानी की गरम आग में जलते धधकते तवे पर जैसे कोई दो बूँद पानी की छिड़क दे , ... उनका हर स्पर्श ,जो मेरी हालत कर देता था बस वही हाल उनकी हो रही थी ,... आज ,
और उनके होंठों का साथ देने के लिए उनकी उँगलियाँ , .
..और सबसे दुष्ट बदमाश वो मोटा मूसलचंद ,... तो आज मेरे होंठों का साथ मेरे बालापन के जोबन दे रहे थे , हलके हलके उनकी छाती पर रगड़ कर , ललचा कर ,...
और मेरे होंठों का भी तो असली टारगेट वही था ,
उनकी चौड़ी छाती जिसके अंदर अब उनके दिल के साथ मेरा भी दिल था , ....
उस चोर ने चुरा के बहुत सम्हाल कर रखा था ,
बीसों चुम्बन ,... और चुम्बन यात्रा वहां रुकी पर ठहरी नहीं ,...
सरक कर उनकी नाभि के चारों ओर चक्कर काट कर , ...
" अभी सजा की शुरुआत भी नहीं हुयी है , ... "
वो रजाई में सिर्फ एक बनयाइंन और शॉर्ट्स में थे ,...
( मैं भी तो सिर्फ एक छोटी सी नाइटी और थांग में थी , )
मैंने दोनों हाथ से पकड़ के उनकी बनयान उतार के नीचे फर्श पर फेंक दी ,
ये कमरा मेरा ,
ये लड़का मेरा
मेरी चाहे जो मर्जी हो करूँ ,...
और मेरा सारा गुस्सा , फ्रस्ट्रेशन , चुम्मी बन के मेरे होंठ से सीधे उनके गालों पर ,
एक दो नहीं बीसों , और फिर मेरे बोल फूटे ,
चोर बदमाश डाकू ,...
चोर तो ये थे ही , चितचोर , मुझसे ही मुझे चुरा लिया और इससे भी संतोष नहीं हुआ , ... मेरी सारी फोटुएं ,
मैंने स्क्रैप बुक खोल के , लास्ट पेज खोल दिया ,
जिसपर कल रात की टूटी चूड़ियां, गुलाब की कलियाँ ,
हम लोगों की रति क्रीड़ा से दबी कुचली मसली चमेली के फूल से मिला के उन्होंने लिखा था
आई लव यू ,...
मैं सीधे उनके खुले चौड़े सीने पर लेट गयी और और उसे दिखाते हुए उन्हें, मैं बोली ,
" चलो तेरी पहली सजा , ... मुझे लगा था की मेरी शादी एक पढ़े लिखे लड़के से हुयी है , ... तो चलो इसे पढ़ कर दिखाओ "
कुछ लजाते शर्माते झिझकते वो बोले , .. " आई लव .... यू। "
" उन्हह ऐसे नहीं , खूब जोर से ,... "
मैं इतने आसानी से नहीं छोड़ने वाली थी , और अब उनकी थोड़ी हिम्मत खुली , ..
बोले वो और साथ में मैं भी ,
" दुष्ट चोर , डाकू , तेरी पहली सजा यही ,... इनके सीने पर ऊँगली से सहलाते बोली मैं ,
" रोज रोज कम से कम १०० बार गुड मॉर्निंग के साथ शुरू कर , ... ( और मैं जानती थी गुड नाइट तो होनी नहीं है ) ..समझ लो , अगर किसी दिन चूके ,...
उनकी हिम्मत थी ,... कम से कम बीस पच्चीस बार ,... उन्होंने बोला आई लव यू , तब मैंने रोका , ...
चलो आज के लिए बहुत है लेकिन कल सुबह से ,.. अगर एक भी कम हुआ न तो दस बार फिर से,...
और मैंने उनकी अगली सजा सुनाई ,...
जो मेरा नखशिख वर्णन लिखा था ,
मैंने पहले आखों वाली पोएम खोली , और उसके ख़त्म होते ही , मैंने हलके से बोला किस ,... उनकी पोएम को किस करते हुए इशारा किया और अगर वो न समझते तो भी ,
... हाथ थे न ,.. मैं समझ गयी थी , ऐसे दीवाने बुद्धू के लिए ,... बिना जबरदस्ती किये ,... उनके सर को दोनों हाथों से पकड़ के सीधे मेरी पलकों पर ,...
अगली कविता मेरे गालों पर थी ,
और अबकी हल्का सा जोर मुझे देना पड़ा , लेकिन मेरे होंठो पर जो कविता उन्होंने लिखी थी ( साथ में हॉट हॉट मेरे होंठों का खूब मीठा सा स्केच भी ),..
इस बार खुद उनके नदीदे होंठ , मेरे होंठ ,...
और मेरे होंठ अबकी होंठों की कुश्ती में भारी पड़ रहे थे
पर मेरे किशोर जोबन पर लिखी उनकी कविता को पढ़ने में वो बहुत झेंप रहे थे , पर मैं उन्हें उकसा रही थी , मेरे जोबन भी , ..
और उनके होंठ जब नीचे उतर रहे थे , मेरी नाइटी की गांठे खुल गयी , मेरे कोमल कमल युग्म छलक कर बाहर आगये थे और उन्हें पढ़ना था तो मैंने स्क्रैप बुक देते हुए बेड के ऊपर की लाइट भी जला दी थी ,
देख ले ये लड़का इत्ती देर से ललचा रहा था ,
और कविता तो उन्होंने धीमे से बहुत झिझकते पढ़ी लेकिन उनके होंठ ,
उँगलियाँ एकदम डाकू ,...
लूट लिया इस टीनेजर के जोबन को।
पर मैं भी , ...
क्या सिर्फ वो ही चुम्मा चाटी कर सकते थे , आज मैं भी इस खेल में बराबर की खिलाड़िन बनने की कोशिश कर रही थी ,
और जैसे ही उनके होंठो ने मेरी देह को छोड़ा , मेरे होंठ उस चोर डाकू बदमाश लड़के के ऊपर ,....
ये तीसरी सजा है , तुम्हारी ,...
अब तो पूरी जिंदगी मैं ही फैसला सुनाने वाली थी , इस लड़के को ,...
और उसे चुपचाप बस सजा सुननी थी , भुगतनी थी ,...
आखिर उसने मुझसे मुझी को चुरा लिया था , उसपर उलटा इल्जाम मेरे माथे पर ,
एक सीधी साधी गाँव की किशोरी पर , की मैंने उसका दिल चुरा लिया है ,...
और आज मेरे होंठ न शर्मा रहे थे न झिझक रहे थे ,
न मैंने उनकी ओर देखा लाइट बंद करने को ,
सबसे पहली सजा मैंने दी उनकी बदमाश आँखों को , उसी ने तो डाका डाला था मेरे ऊपर ,... और अभी भी बस उनके दीठ की एक छुअन ,..
और मैं सिहर उठती थी , उनचासों पवन मदन के एक साथ चलने लगते थे ,
और मैं मन तो कब का हार गयी थी , तन भी हार जाती थी ,
बस मेरे होंठों ने पलकों के दरवाजे को बंद कर दिया , और चुंबन की सांकल भी लगा दी , खटकाते रहो अब , ...
और मेरी हिम्मत भी बढ़ गयी ,
मेरे होंठ भी अब बिना बोले बतियाने की कला उन्ही से सीख गए थे , बस उन्होंने बरज दिया था उन्हें ,...
अब सजनी का नंबर
आँखों से उतर कर , और कहाँ ,... उनके होंठों पर , ...
बहुत रस लूटा था उन्होने मेरा ,... और जितना रस वो लूटते थे मेरी देह का उसका दूना रस छलकने लगता था मेरी देह में ,...
मैं भोरी थी उमर की बारी थी ,
लेकिन उस नवल रसिया ने एक रात में ही बहुत कुछ सिखा दिया था , पहले तो मेरे होंठ झिझक रहे थे , बस हलके से छू लेते थे , ...
लेकिन उनके होंठ भी तो अब मेरे थे ,...
मैं क्यों डरती ,...
कल से जैसे होंठ उनके मेरे होंठों को कचकचा के काट रहे थे , चूस रहे थे ,...
आज मैंने भी वैसे ही ,...
वो तड़प रहे थे सिसक रहे थे ,....
लेकिन यही हालत तो मेरी भी होती थी ,
जवानी की गरम आग में जलते धधकते तवे पर जैसे कोई दो बूँद पानी की छिड़क दे , ... उनका हर स्पर्श ,जो मेरी हालत कर देता था बस वही हाल उनकी हो रही थी ,... आज ,
और उनके होंठों का साथ देने के लिए उनकी उँगलियाँ , .
..और सबसे दुष्ट बदमाश वो मोटा मूसलचंद ,... तो आज मेरे होंठों का साथ मेरे बालापन के जोबन दे रहे थे , हलके हलके उनकी छाती पर रगड़ कर , ललचा कर ,...
और मेरे होंठों का भी तो असली टारगेट वही था ,
उनकी चौड़ी छाती जिसके अंदर अब उनके दिल के साथ मेरा भी दिल था , ....
उस चोर ने चुरा के बहुत सम्हाल कर रखा था ,
बीसों चुम्बन ,... और चुम्बन यात्रा वहां रुकी पर ठहरी नहीं ,...
सरक कर उनकी नाभि के चारों ओर चक्कर काट कर , ...