Thread Rating:
  • 2 Vote(s) - 3 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Incest मेरी बड़ी बहन की कातिल जवानी
#8
उस दिन मैं रसोई में फ़्रिज से पानी लेने दो-तीन बार गया. रसोई में दीदी को बहुत पसीना आ रहा था. उसके चेहरे और पेट पर पसीना साफ़ दिख रहा था. पसीने के कारण सफ़ेद रंग का पेटीकोट उनके चुत्तरो से चिपक गया था. ब्लाउज भी काफी भींग गया था और उसकी चुचियों से चिपक गया था. ध्यान से देखने पर मुझे ऐसा लगा जैसे उनकी चुचियों के निप्पल भी ब्लाउज के ऊपर से दिख रहे थे. शायद दीदी ने गर्मी के कारण ब्रा नहीं पहना था. मैं फ्रीज से पानी निकाल कर पी रहा था तभी वो निचे झुक कर कुछ करने लगी, उनके चुत्तर मेरी आँखों के सामने पूरी तरह से उभर कर आ गए. पसीने से भीगा पेटीकोट पूरी तरह से चिपक गया था और दोनों चुत्तर दिखने लगे थे.

नीले रंग की पैंटी और उसके किनारे साफ़ नज़र आ रहे थे. पेटीकोट का कपड़ा भींग कर उनकी गांड की दरार में फस जाता अगर उन्होंने पैंटी नहीं पहनी होती. मैं एक दम से घबरा गया और भाग कर जल्दी से रसोई से निकल गया. शुक्रवार की रातो को मैं आमतौर पर बहुत देर से सोता था. क्योंकि अगले दिन शनिवार और रविवार मेरे ऑफिस में छुट्टी होती थी. ऐसे ही एक शनिवार के दिन मेरे जीवन में एक नया मोर आया. शुक्रवार की रात थी और दीदी हमेशा की तरह 11 बजे रात को सोने चली गई थी. मैं देर रात तक केबल पर फिल्म देखता रहा. अगले दिन शनिवार को मेरी नींद बहुत देर से खुली . छुट्टी के दिनों में दीदी मुझे जगाती नहीं थी. क्योंकि घर में सभी जानते थे की मुझे देर तक सोना पसंद था. उस दिन ऐसा ही हुआ था. मैंने जब घड़ी देखी तो उस समय दिन के 10 बज रहे थे . मैं घबरा कर जल्दी से उठा.
अपने चारो तरफ देखते ही मुझे अहसास हो गया की दीदी बहुत पहले उठ चुकी है क्यों की, पुरे घर की सफाई हो चुकी थी . मुझे अपने देर से उठने की आदत पर शर्मिन्दगी हुई. जल्दी से ब्रश किया और चाय के लिए रसोई में जा कर खुद से चाय बना लिया और पेपर पढ़ते हुए चाय पिने लगा. बिना चाय पिए मुझे सुबह में बाथरूम जाने में प्रॉब्लम होती थी. दीदी शायद घर में नहीं थी, पड़ोस में किसी के पास गई थी. चाय ख़तम कर के मैं लैट्रीन चला गया.ये लैट्रीन पहले सेपरेट नहीं था. मतलब बाथरूम के साथ ही मिला हुआ था और एक ही दरवाजा था. इसके कारण बहुत असुविधा होती थी. क्योंकि एक आदमी के घुसने से ही लैट्रीन और बाथरूम दोनों इंगेज हो जाते थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मेरी बड़ी बहन की कातिल जवानी - by neerathemall - 07-07-2022, 03:17 PM



Users browsing this thread: 12 Guest(s)