07-07-2022, 12:28 PM
मैं अपनी कॉलेज की छुट्टियों में अपनी सबसे छोटी भाभी के घर गया हुआ था. मेरे भईया जी आर्मी में थे साल में सिर्फ़ कभी कभार ही घर आया करते थे. उन दिनों में सेकंड इयर के एक्जाम दे चुका था. इसलिए मेरी जवानी अपने सुरूर पर थी.
मेरी भाभी को अभी कोई बच्चा नहीं था, उनकी शादी को अभी दो साल ही हुए थे. लेकिन भईया शादी से पहले ही आर्मी में थे. इसलिए भाभी के साथ ज्यादा टाइम साथ नहीं रह पाए थे. पहले मैंने कभी अपनी भाभी को ग़लत नजर से नहीं देखा था.
लेकिन एक दिन भाभी बाज़ार गई हुई थी कि तभी अचानक बारिश शुरू हो गई. मैं टी वी पर मूवी देख रहा था, मूवी में कुछ सीन थोड़े से सेक्सी थे. जिन्हें देख कर मन के ख्याल बदलना लाजमी था. उस टाइम मेरे मन में बहुत उत्तेजना पैदा हो रही थी. मैं धीरे धीरे अपने लंड को सहलाने लगा.
तभी डोर बेल बजी, मैं अचानक घबरा गया, मुझे लगा जैसे किसी ने मुझे देख लिया हो!
लेकिन मुझे याद आया कि घर में तो कोई है ही नहीं… मैं बेकार में डर रहा था.
मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया.
बाहर भाभी खड़ी थी, उनका बदन पूरी तरह पानी से भीगा हुआ था और वो आज पहले से भी ज्यादा जवान और खूबसूरत लग रही थी. मैंने दरवाजा बंद कर दिया और जैसे ही पीछे मुड़ा तो मेरी नज़र भाभी की कमर पर पड़ी जहा पर उनकी गुलाबी साड़ी के बलाउज से उनकी काले रंग की ब्रा बाहर झांक रही थी.
भाभी ने सामान सोफे पर रखा और मुझसे बोली – सावन, मेरा पूरा बदन भीग चुका है इसलिए तुम मुझे अंदर से एक तौलिया ला दो?
मैं तौलिया ले आया तो भाभी मुस्कुराते हुए बोली – समान हाथों में लटका कर लाने से मेरे हाथ दर्द करने लग गए हैं. इसलिए तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे?
मेरी भाभी को अभी कोई बच्चा नहीं था, उनकी शादी को अभी दो साल ही हुए थे. लेकिन भईया शादी से पहले ही आर्मी में थे. इसलिए भाभी के साथ ज्यादा टाइम साथ नहीं रह पाए थे. पहले मैंने कभी अपनी भाभी को ग़लत नजर से नहीं देखा था.
लेकिन एक दिन भाभी बाज़ार गई हुई थी कि तभी अचानक बारिश शुरू हो गई. मैं टी वी पर मूवी देख रहा था, मूवी में कुछ सीन थोड़े से सेक्सी थे. जिन्हें देख कर मन के ख्याल बदलना लाजमी था. उस टाइम मेरे मन में बहुत उत्तेजना पैदा हो रही थी. मैं धीरे धीरे अपने लंड को सहलाने लगा.
तभी डोर बेल बजी, मैं अचानक घबरा गया, मुझे लगा जैसे किसी ने मुझे देख लिया हो!
लेकिन मुझे याद आया कि घर में तो कोई है ही नहीं… मैं बेकार में डर रहा था.
मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया.
बाहर भाभी खड़ी थी, उनका बदन पूरी तरह पानी से भीगा हुआ था और वो आज पहले से भी ज्यादा जवान और खूबसूरत लग रही थी. मैंने दरवाजा बंद कर दिया और जैसे ही पीछे मुड़ा तो मेरी नज़र भाभी की कमर पर पड़ी जहा पर उनकी गुलाबी साड़ी के बलाउज से उनकी काले रंग की ब्रा बाहर झांक रही थी.
भाभी ने सामान सोफे पर रखा और मुझसे बोली – सावन, मेरा पूरा बदन भीग चुका है इसलिए तुम मुझे अंदर से एक तौलिया ला दो?
मैं तौलिया ले आया तो भाभी मुस्कुराते हुए बोली – समान हाथों में लटका कर लाने से मेरे हाथ दर्द करने लग गए हैं. इसलिए तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.