06-07-2022, 01:35 PM
धीरे धीरे मैं दोनों भाइयों के लंड चूसने लगी। अब मेरा भी चुदाने का बहुत मन कर रहा था। ईशान और राजेश मेरे कपड़े निकालने लगे। धीरे धीरे मैं पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। अपनी जींस और टॉप मैंने निकाल दिया। फिर अपनी ब्रा और पेंटी भी मैंने निकाल दी थी। मेरे भाई ईशान ने मेरे बाए बूब्स को पकड़ लिया और राजेश ने मेरे दाए बूब्स को पकड़ लिया और सहलाने और दबाने लगे। धीरे धीरे दोस्तों मुझे सेक्स का पूरा नशा चढ़ गया था। आज मैं अपने सगे भाइयों से कसके चुदवाना चाहती थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.