05-07-2022, 04:30 PM
भाई बहन सेक्स स्टोरी पढ़ते पढ़ते मेरे मन में मेरी छोटी बहन के ख्याल आने लगे. उस दिन के बाद से मेरी बहन की ओर मेरी नजर बदल गयी थी. वो मुझे बहुत अच्छी लगने लगी थी. अब वो मुझे सिर्फ बहन की नजर से ही नहीं बल्कि सेक्स की नजर से भी अच्छी लगने लगी थी.
अब मैं रोज उसको देखता रहता था.
कुछ दिन के बाद मैंने उसकी ब्रा और पैंटी को भी छुपाना शुरू कर दिया. उसकी ब्रा और पैंटी को बाथरूम में ले जाकर मैं उस पर मुठ मारने लगा. अब मुझे ये सब करने में बहुत मजा आने लगा. अब मैं भी अपनी बहन को ख्यालों में चोदने लगा था.
धीरे धीरे करके अब मैं रोज़ाना किताब पढ़ने लगा और रोज ही बहन की पैंटी में मुठ मारने लगा. तीन महीने ऐसे ही मुठ मारते हुए निकल गये. अब मुझे चूत की जरूरत महसूस होने लगी थी.
मैं चूत चोदना चाहता था. जानना चाहता था कि चूत में लंड देकर चोदने में कितना मजा आता है? मगर मुझे कोई चूत नहीं मिल रही थी. मैं काफी चिड़चिड़ा सा रहने लगा था. किसी काम में मन नहीं लगता था.
कई दिनों तक ऐसे ही चलता रहा.
एक दिन मैं दोपहर में अपने घर में ही था. कॉलेज की छुट्टी थी. मैं टीवी देख रहा था और तभी मेरी बहन नहाने के लिए बाथरूम में जाने लगी.
तभी मेरे दिमाग में ख्याल आया कि क्यों न मैं अपनी छोटी बहन को नहाते हुए देखूं? हो सकता है कि उसको नहाते हुए देखते समय मुझे अपनी बहन की चूत ही देखने को मिल जाये? यही सोच कर मैं एक्साइटेड हो गया.
हमारे घर में एक आंगन बना हुआ था. सभी लोग वहीं पर नहाते थे. उस दिन घर पर कोई नहीं था इसलिए बहन को छुप कर देखने में मुझे भी कोई खास परेशानी नहीं होने वाली थी. मेरी बहन अंदर नहाने के लिए गयी और उसने दरवाजा बंद कर लिया. मैं भी वहीं पर दरवाजे के पास बैठ गया.
मैंने बाथरूम के दरवाजे में एक छेद ढूंढा और उसके अंदर से बाथरूम में झांकने लगा. मेरी बहन उस वक्त अपने कपड़े उतार रही थी. पहले उसने अपना टीशर्ट उतारा और फिर अपनी पजामी उतार दी. अब वो केवल ब्रा और पैंटी में थी.
उसकी चूचियां मध्यम आकार की थी और बहुत ही टाइट लग रही थीं. उसकी चूत पर पैंटी बिल्कुल चिपकी हुई थी और चूत की फाकें पैंटी पर लाइन बना रही थीं. ये देख कर मेरा लंड एकदम से टाइट हो गया था.
मेरी बहन अब अपने बदन पर पानी डालने लगी. उसकी ब्रा भीग गयी और उसकी चूचियों के चूचक भी अब दिखने लगे.
ये देख कर मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था.
उसकी चूचियों से बहता हुआ पानी उसकी पैंटी से होता हुआ जा रहा था.
अब मैं रोज उसको देखता रहता था.
कुछ दिन के बाद मैंने उसकी ब्रा और पैंटी को भी छुपाना शुरू कर दिया. उसकी ब्रा और पैंटी को बाथरूम में ले जाकर मैं उस पर मुठ मारने लगा. अब मुझे ये सब करने में बहुत मजा आने लगा. अब मैं भी अपनी बहन को ख्यालों में चोदने लगा था.
धीरे धीरे करके अब मैं रोज़ाना किताब पढ़ने लगा और रोज ही बहन की पैंटी में मुठ मारने लगा. तीन महीने ऐसे ही मुठ मारते हुए निकल गये. अब मुझे चूत की जरूरत महसूस होने लगी थी.
मैं चूत चोदना चाहता था. जानना चाहता था कि चूत में लंड देकर चोदने में कितना मजा आता है? मगर मुझे कोई चूत नहीं मिल रही थी. मैं काफी चिड़चिड़ा सा रहने लगा था. किसी काम में मन नहीं लगता था.
कई दिनों तक ऐसे ही चलता रहा.
एक दिन मैं दोपहर में अपने घर में ही था. कॉलेज की छुट्टी थी. मैं टीवी देख रहा था और तभी मेरी बहन नहाने के लिए बाथरूम में जाने लगी.
तभी मेरे दिमाग में ख्याल आया कि क्यों न मैं अपनी छोटी बहन को नहाते हुए देखूं? हो सकता है कि उसको नहाते हुए देखते समय मुझे अपनी बहन की चूत ही देखने को मिल जाये? यही सोच कर मैं एक्साइटेड हो गया.
हमारे घर में एक आंगन बना हुआ था. सभी लोग वहीं पर नहाते थे. उस दिन घर पर कोई नहीं था इसलिए बहन को छुप कर देखने में मुझे भी कोई खास परेशानी नहीं होने वाली थी. मेरी बहन अंदर नहाने के लिए गयी और उसने दरवाजा बंद कर लिया. मैं भी वहीं पर दरवाजे के पास बैठ गया.
मैंने बाथरूम के दरवाजे में एक छेद ढूंढा और उसके अंदर से बाथरूम में झांकने लगा. मेरी बहन उस वक्त अपने कपड़े उतार रही थी. पहले उसने अपना टीशर्ट उतारा और फिर अपनी पजामी उतार दी. अब वो केवल ब्रा और पैंटी में थी.
उसकी चूचियां मध्यम आकार की थी और बहुत ही टाइट लग रही थीं. उसकी चूत पर पैंटी बिल्कुल चिपकी हुई थी और चूत की फाकें पैंटी पर लाइन बना रही थीं. ये देख कर मेरा लंड एकदम से टाइट हो गया था.
मेरी बहन अब अपने बदन पर पानी डालने लगी. उसकी ब्रा भीग गयी और उसकी चूचियों के चूचक भी अब दिखने लगे.
ये देख कर मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था.
उसकी चूचियों से बहता हुआ पानी उसकी पैंटी से होता हुआ जा रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.