05-07-2022, 02:00 PM
हम बाहर बैठने जा रहे थे. मैं भाभी के पीछे पीछे जा रहा था. वो जैसे ही दरवाजे के पास गईं. व्हाट दा फ़क … मेरा मन कह रहा था कि भाभी पूरी की पूरी नंगी खड़ी है मेरे सामने.
“क्या हुआ विपुल? इस तरह क्यों देख रहे हो? मैं अच्छी नहीं लग रही क्या?”
“आप तो बहुत ही सुन्दर लग रही हो … भैया आपसे इतने दिन दूर कैसे रह लेते हैं, मुझे समझ नहीं आता.”
“अगर तुम उनकी जगह रहते तो क्या करते?”
“मैं बिस्तर ही नहीं छोड़ता.”
“ओहो ये बात!”
मैं शर्मा गया.
“क्या हुआ विपुल? इस तरह क्यों देख रहे हो? मैं अच्छी नहीं लग रही क्या?”
“आप तो बहुत ही सुन्दर लग रही हो … भैया आपसे इतने दिन दूर कैसे रह लेते हैं, मुझे समझ नहीं आता.”
“अगर तुम उनकी जगह रहते तो क्या करते?”
“मैं बिस्तर ही नहीं छोड़ता.”
“ओहो ये बात!”
मैं शर्मा गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
