05-07-2022, 02:00 PM
अगले दिन चांदनी भाबी मेरे घर आईं, उन्होंने चाय पी और घर में मम्मी से बात कर रही थीं. मैंने उनको देख कर स्माइल किया, तो उन्होंने भी स्माइल किया. भाबी की स्माइल के बाद तो मुझसे मेरे बर्दाश्त से बाहर हो रहा था. अब तो कुछ करना करना ही होगा.
फिर दोपहर में मैं उनके घर गया. दरवाजे पर नोक किया … तो अन्दर से आवाज आई- आ रही हूँ … कौन है?
“भाभी मैं विपुल.”
“ओह तुम हो..”
भाबी ने दरवाजा खोला.
फिर दोपहर में मैं उनके घर गया. दरवाजे पर नोक किया … तो अन्दर से आवाज आई- आ रही हूँ … कौन है?
“भाभी मैं विपुल.”
“ओह तुम हो..”
भाबी ने दरवाजा खोला.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.