05-07-2022, 01:59 PM
इसके बाद मेरा बाहर जाने का मौका पड़ा. मैंने अपने कॉलेज में एन.सी.सी. लिया था, तो मुझे 2 महीने के लिए कैंप जाना था, तो मैं चला गया.
कैंप से आने के बाद मैं सभी लोग से मिला. मगर मुझे भाभी दिखाई नहीं दे रही थीं, तो मैंने मम्मी से पूछा.
मम्मी बोलीं- वो ब्यूटीपार्लर में पार्ट टाइम काम करने लगी हैं, शायद वहीं गई होंगी.
शाम में मैं उनके घर गया.
चांदनी भाभी- अरे विपुल कैसे हो … कब आए?
मैं- मैं ठीक हूँ … मैं आज ही आया. आप कैसी हैं?
चांदनी- एकदम फर्स्ट क्लास … और बताओ तुम्हारा कैंप कैसा रहा, मस्ती की कि नहीं … हमारी याद आती थी कि नहीं?
मैं- कैंप तो मजेदार रहा. मैंने वहां 22 रायफल से 500 राउंड फायरिंग की और बाकी सब भी ठीक रहा, लेकिन आपकी याद बहुत आई, वैसे भैया कहां हैं?
चांदनी- तुम्हारे भैया की क्या बोलूँ, वो पिछले 6 सप्ताह से मुझसे मिले नहीं हैं. लगता है, उनको मेरी याद ही नहीं आती है. रुको, मैं तुम्हारे लिए कॉफ़ी बनाती हूँ.
मैं- ओके.
चांदनी- विपुल जरा इधर आओ तो.
मैं- हां बोलिए.
कैंप से आने के बाद मैं सभी लोग से मिला. मगर मुझे भाभी दिखाई नहीं दे रही थीं, तो मैंने मम्मी से पूछा.
मम्मी बोलीं- वो ब्यूटीपार्लर में पार्ट टाइम काम करने लगी हैं, शायद वहीं गई होंगी.
शाम में मैं उनके घर गया.
चांदनी भाभी- अरे विपुल कैसे हो … कब आए?
मैं- मैं ठीक हूँ … मैं आज ही आया. आप कैसी हैं?
चांदनी- एकदम फर्स्ट क्लास … और बताओ तुम्हारा कैंप कैसा रहा, मस्ती की कि नहीं … हमारी याद आती थी कि नहीं?
मैं- कैंप तो मजेदार रहा. मैंने वहां 22 रायफल से 500 राउंड फायरिंग की और बाकी सब भी ठीक रहा, लेकिन आपकी याद बहुत आई, वैसे भैया कहां हैं?
चांदनी- तुम्हारे भैया की क्या बोलूँ, वो पिछले 6 सप्ताह से मुझसे मिले नहीं हैं. लगता है, उनको मेरी याद ही नहीं आती है. रुको, मैं तुम्हारे लिए कॉफ़ी बनाती हूँ.
मैं- ओके.
चांदनी- विपुल जरा इधर आओ तो.
मैं- हां बोलिए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.