05-07-2022, 01:57 PM
मैं घर आया तो बहुत भूख लगी थी.
“मम्मी आज क्या बनाया है … बहुत ही ज़ोर की भूख लगी है.”
“कुछ नहीं … थोड़ी देर रुक जा. अभी पास्ता बना देती हूँ.”
“पास्ता … वाउ मज़ा आएगा, ठीक है मम्मी बनाइए.”
तभी मेरे घर के बगल वाली दीदी कम भाभी आ गईं. मैंने दीदी कम भाभी इस लिए बोला … क्योंकि मैं जब कॉलेज में पढ़ता था, तब वो मेरे साथ ही मेरे कॉलेज में पढ़ती थीं. तब मैं उन्हें दीदी बुलाता था, मगर अब 5 साल बाद उनकी शादी पड़ोस के फ्लैट वाले भैया से हो गई है, इसलिए वे मेरी बहन कम भाभी बन गई हैं. हमारी बिल्डिंग एक ही है. चांदनी भाभी बाजू वाले फ्लैट में रहती थीं.
“अरे आइए … आप भी पास्ता खाइए.”
“नहीं तुम खाओ … मैं नहीं खाऊंगी.”
“ठीक है जैसी आपकी मर्ज़ी.”
मम्मी- चाँदनी खा लो थोड़ा सा पास्ता … मैंने ज्यादा ही बनाया है.
भाभी- ठीक है … वाउ आंटी सुपर्ब.
मैंने पास्ता खाया और बोला- थैंक्स मम्मी.
“मम्मी आज क्या बनाया है … बहुत ही ज़ोर की भूख लगी है.”
“कुछ नहीं … थोड़ी देर रुक जा. अभी पास्ता बना देती हूँ.”
“पास्ता … वाउ मज़ा आएगा, ठीक है मम्मी बनाइए.”
तभी मेरे घर के बगल वाली दीदी कम भाभी आ गईं. मैंने दीदी कम भाभी इस लिए बोला … क्योंकि मैं जब कॉलेज में पढ़ता था, तब वो मेरे साथ ही मेरे कॉलेज में पढ़ती थीं. तब मैं उन्हें दीदी बुलाता था, मगर अब 5 साल बाद उनकी शादी पड़ोस के फ्लैट वाले भैया से हो गई है, इसलिए वे मेरी बहन कम भाभी बन गई हैं. हमारी बिल्डिंग एक ही है. चांदनी भाभी बाजू वाले फ्लैट में रहती थीं.
“अरे आइए … आप भी पास्ता खाइए.”
“नहीं तुम खाओ … मैं नहीं खाऊंगी.”
“ठीक है जैसी आपकी मर्ज़ी.”
मम्मी- चाँदनी खा लो थोड़ा सा पास्ता … मैंने ज्यादा ही बनाया है.
भाभी- ठीक है … वाउ आंटी सुपर्ब.
मैंने पास्ता खाया और बोला- थैंक्स मम्मी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.