05-07-2022, 01:56 PM
आज रांची में बहुत ठंड है यार … हां भाई गर्म होते हैं …
“ठीक है चल.”
“अरे मोहन भैया, दो चाय देना ”
“अब चल भाई शाम के 6 बज गए, घर जाता हूँ, रात में मिलते हैं … ठीक 8 बजे ग्राउंड में बेडमिंटन खेलेंगे.”
“ठीक है भाई मिलते हैं.”
“ठीक है चल.”
“अरे मोहन भैया, दो चाय देना ”
“अब चल भाई शाम के 6 बज गए, घर जाता हूँ, रात में मिलते हैं … ठीक 8 बजे ग्राउंड में बेडमिंटन खेलेंगे.”
“ठीक है भाई मिलते हैं.”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
