05-07-2022, 01:43 PM
टोनिंग करते करते उसे शाम के 7 बज चुके थे।
फिर उसने क्रीम को मेरे शरीर पर 10 मिनट छोड़ दिया।
उसके बाद उसने मेरी पूरी शरीर को गुलाब जल से साफ किया।
देखते देखते 7:25 हो गये।
फिर वो बोला- आधे घण्टे तक ऐसी ही रहो. बॉडी को थोड़ा ड्राई होने दो. फिर अपनी बॉडी की चमक देखना।
मैं बोली- अब मैं नहीं रुक सकती यार … पहले ही बहुत देर हो गई है। सन्नी पहुँचने वाला है। मुझे जाना होगा।
फिर वो बोला- यार बॉडी को सुखाना जरूरी है।
तभी वो बोला- एक काम हो सकता है।
मैं बोली- क्या?
उसने पूछा- तुम अपनी गाड़ी से आई हो ना?
मैं बोली- हाँ … क्यू?
तो वो बोला- तुम बिन कपड़े पहने चली जाओ। इतने में तुम्हारा जिस्म सूख जाएगा.
मैं बोली- पागल हो क्या? अगर किसी ने देख लिया तो मेरी तो वाट लग जायेगी।
फिर वो अपने हाथ में एक टॉवल वाली गाउन लेकर आया और बोला- ये पहनकर जा सकती हो।
मैं बोली- जा तो नहीं सकती … लेकिन बॉडी में हवा लगानी है तो एडजस्ट कर लूंगी।
फिर मैंने वो गाउन पहन ली जो मेरे घुटनों के ऊपर तक थी।
मैं वो गाउन पहनकर चली गयी।
पूरे रास्ते मैं डर रही थी कि कोई देखे ना!
करीब 8 बजे मैं अपने घर पहुँच गयी।
लेकिन इस हाल में कोई देख लेता तो प्रॉब्लम हो जाती।
इसलिए मैं अपनी कार को सीधे पार्किंग के लिफ्ट के पास लगाई और आगे पीछे देखकर सीधे लिफ्ट में घुस गई।
और सही सलामत अपने रूम में पहुँच गयी।
घर पहुँचते ही मैंने चैन की साँसे ली।
फिर उसने क्रीम को मेरे शरीर पर 10 मिनट छोड़ दिया।
उसके बाद उसने मेरी पूरी शरीर को गुलाब जल से साफ किया।
देखते देखते 7:25 हो गये।
फिर वो बोला- आधे घण्टे तक ऐसी ही रहो. बॉडी को थोड़ा ड्राई होने दो. फिर अपनी बॉडी की चमक देखना।
मैं बोली- अब मैं नहीं रुक सकती यार … पहले ही बहुत देर हो गई है। सन्नी पहुँचने वाला है। मुझे जाना होगा।
फिर वो बोला- यार बॉडी को सुखाना जरूरी है।
तभी वो बोला- एक काम हो सकता है।
मैं बोली- क्या?
उसने पूछा- तुम अपनी गाड़ी से आई हो ना?
मैं बोली- हाँ … क्यू?
तो वो बोला- तुम बिन कपड़े पहने चली जाओ। इतने में तुम्हारा जिस्म सूख जाएगा.
मैं बोली- पागल हो क्या? अगर किसी ने देख लिया तो मेरी तो वाट लग जायेगी।
फिर वो अपने हाथ में एक टॉवल वाली गाउन लेकर आया और बोला- ये पहनकर जा सकती हो।
मैं बोली- जा तो नहीं सकती … लेकिन बॉडी में हवा लगानी है तो एडजस्ट कर लूंगी।
फिर मैंने वो गाउन पहन ली जो मेरे घुटनों के ऊपर तक थी।
मैं वो गाउन पहनकर चली गयी।
पूरे रास्ते मैं डर रही थी कि कोई देखे ना!
करीब 8 बजे मैं अपने घर पहुँच गयी।
लेकिन इस हाल में कोई देख लेता तो प्रॉब्लम हो जाती।
इसलिए मैं अपनी कार को सीधे पार्किंग के लिफ्ट के पास लगाई और आगे पीछे देखकर सीधे लिफ्ट में घुस गई।
और सही सलामत अपने रूम में पहुँच गयी।
घर पहुँचते ही मैंने चैन की साँसे ली।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.