05-07-2022, 01:05 PM
फिर संतोष जी एक एक और पैग बनाया, अपने और मेरे लिए. इस बार गिलासों में संतोष जी ने पेशाब की और मुझे पैग पिला दिया. इसके बाद मुझे सोफे पे लेटा कर पागलों की तरह मुझे किस करने लगे. हम दोनों एक दूसरे के होंठ को लगातार चूसे जा रहे थे. कभी जीभ, कभी होंठ चूसने का मजा ले रहे थे. संतोष जी तो बिल्कुल नंगे थे ही. मेरी भी चड्डी निकल चुकी थी. मैं उनका लंड सहला रही थी. वो मेरे मम्मों को दबा रहे थे. तभी अचानक उन्होंने मेरी ब्रा खींचते हुए फाड़ दी. मैं एकदम नंगी हो गई
अब संतोष जी बोले- चल अब लंड अच्छे से चूस.
मुझे लंड चूसना पसंद है … इसलिए मैं इस काम की माहिर खिलाड़ी हूँ. मुझे लंड चूसने के कारण ही पेशाब पीने में भी कोई शर्म या हिचक नहीं आई थी.
मैंने संतोष जी का लंड चूसना शुरू किया. उनका बहुत टेस्टी लंड था. करीब दस मिनट तक लंड चूसने के बाद उन्होंने अपने लंड के लावा को मेरे मुँह में छोड़ दिया. मैं उनके लंड का सारा का सारा पानी पी गयी और अच्छे से चूस चूस के लंड को साफ़ कर दिया.
मुझे शराब के नशे में लंड चूसना बड़ा मजा दे रहा था. मैं संतोष जी के लड्डुओं को भी चूसने लगी.
अब संतोष जी बोले- चल अब लंड अच्छे से चूस.
मुझे लंड चूसना पसंद है … इसलिए मैं इस काम की माहिर खिलाड़ी हूँ. मुझे लंड चूसने के कारण ही पेशाब पीने में भी कोई शर्म या हिचक नहीं आई थी.
मैंने संतोष जी का लंड चूसना शुरू किया. उनका बहुत टेस्टी लंड था. करीब दस मिनट तक लंड चूसने के बाद उन्होंने अपने लंड के लावा को मेरे मुँह में छोड़ दिया. मैं उनके लंड का सारा का सारा पानी पी गयी और अच्छे से चूस चूस के लंड को साफ़ कर दिया.
मुझे शराब के नशे में लंड चूसना बड़ा मजा दे रहा था. मैं संतोष जी के लड्डुओं को भी चूसने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.