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Adultery पडोसी
#5
मैंने शाम को ब्रा पैंटी फिर से सूखने को डाल दी. सुबह फिर से उस पर वीर्य लगा था. ये सिलसिला कुछ दिन चला. मैं उस पर मुठ मारने वाले को रंगे हाथ पकड़ना चाहती थी कि कौन है, जो ऐसा कर रहा है.

मेरे पति का टूर एंड ट्रावेल का बिजनेस है. कुछ दिन बाद उनको जयपुर जाना था तो वे चले गए.

मैंने हर बार की तरह शाम को ब्रा पैंटी और कपड़े सूखने को डाल दिए. मैंने तिरछी नजरों से देखा कि संतोष जी वहीं थे. रात को 2 बजे मेरी आंख खुली, मैं चुपके से छत पर गयी. मैंने ब्रा पैंटी देखी, वो वहीं टंगी थी. अभी उस पर कुछ नहीं लगा हुआ था. फिर मैं नीचे आ गयी. कुछ देर बाद मैंने फिर से छत पर जा के देखा कि मेरी पैंटी उधर नहीं थी. मैंने इधर उधर देखा, तो मैं ये क्या देखती हूं कि संतोष जी छत के ऊपर वाले कमरे के बगल में मेरी पैंटी सूंघते हुए मुठ मार रहे थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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पडोसी - by neerathemall - 05-07-2022, 12:24 PM
RE: पडोसी - by neerathemall - 05-07-2022, 01:00 PM
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