05-07-2022, 01:01 PM
मेरे घर के बगल वाले घर में एक 40 साल के शादीशुदा अंकल रहते थे. उनका नाम संतोष था. उनकी नियत मेरे ऊपर ख़राब थी. आखिर मुझे भी लम्बे लंड की जरूरत थी. हम दोनों के घर की छतें मिली हुई थीं. मैं अपने कपड़े ऊपर ही सुखाती थी. अक्सर जब कपड़े सुखाने जाती, तो वो मुझे देखते थे. मैं अपनी ब्रा पैंटी भी वहीं सूखने डाल देती थी.
एक दिन शाम को नहा कर ब्रा पैंटी और भी कपड़े ऊपर सूखने को डाल दी. रात को मैं कपड़े उतार कर लाना भूल गयी.
जब सुबह कपड़े लेने गयी. मैंने सभी कपड़े उतारे. फिर मैंने अपनी पैंटी देखी, उसमें सफ़ेद सफ़ेद सा कुछ गाढ़ा सा लगा हुआ था. मैं समझ गयी कि ये वीर्य है.
पहले तो मुझे गुस्सा आया, फिर मेरे मन में चुदास भी जग गयी. मैंने सोचा कि कौन है, जो मुझे चोदना चाहता है. मैंने देखा कि मेरे बगल वाले आदमी वहीं खड़े थे.
संतोष मुझे देख रहे थे. जब मैंने उनकी तरफ देखा, तो वो पलट कर चले गए.
फिर मेरा ध्यान उस वीर्य पर गया. वीर्य थोड़ा सूख चुका था. मैं नीचे आने लगी और सीढ़ी पर ही मैंने उस वीर्य को सूंघा. उसकी गंध मुझे बहुत मदहोश कर गयी. मेरी चूत पानी छोड़ने लगी. मैं सच बोल रही हूँ कि वीर्य की महक ने मुझे चुदास से भर दिया था.
मैं नीचे अपने कमरे के बाथरूम में आ गई और बाथरूम के अन्दर जा कर उस वीर्य वाली पैंटी को सूंघते हुए मैंने अपनी गर्म चूत में खूब उंगली की. जब मेरी चूत झड़ गयी, तब मैंने अपने चड्डी में लगे उस वीर्य को चाट लिया और फिर वही पैंटी पहन ली. उस वक्त वो पेंटी मुझे किसी लंड की छुअन का अहसास करने लगी थी.
एक दिन शाम को नहा कर ब्रा पैंटी और भी कपड़े ऊपर सूखने को डाल दी. रात को मैं कपड़े उतार कर लाना भूल गयी.
जब सुबह कपड़े लेने गयी. मैंने सभी कपड़े उतारे. फिर मैंने अपनी पैंटी देखी, उसमें सफ़ेद सफ़ेद सा कुछ गाढ़ा सा लगा हुआ था. मैं समझ गयी कि ये वीर्य है.
पहले तो मुझे गुस्सा आया, फिर मेरे मन में चुदास भी जग गयी. मैंने सोचा कि कौन है, जो मुझे चोदना चाहता है. मैंने देखा कि मेरे बगल वाले आदमी वहीं खड़े थे.
संतोष मुझे देख रहे थे. जब मैंने उनकी तरफ देखा, तो वो पलट कर चले गए.
फिर मेरा ध्यान उस वीर्य पर गया. वीर्य थोड़ा सूख चुका था. मैं नीचे आने लगी और सीढ़ी पर ही मैंने उस वीर्य को सूंघा. उसकी गंध मुझे बहुत मदहोश कर गयी. मेरी चूत पानी छोड़ने लगी. मैं सच बोल रही हूँ कि वीर्य की महक ने मुझे चुदास से भर दिया था.
मैं नीचे अपने कमरे के बाथरूम में आ गई और बाथरूम के अन्दर जा कर उस वीर्य वाली पैंटी को सूंघते हुए मैंने अपनी गर्म चूत में खूब उंगली की. जब मेरी चूत झड़ गयी, तब मैंने अपने चड्डी में लगे उस वीर्य को चाट लिया और फिर वही पैंटी पहन ली. उस वक्त वो पेंटी मुझे किसी लंड की छुअन का अहसास करने लगी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
