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Adultery पड़ोसन की जवानी का रस
#3
मैं उस दिन तो एग्जाम के चक्कर में सो गया और दूसरे दिन मॉर्निंग में घर की चाबी रूपा भाभी को देकर एग्जाम देने चला गया।

दोपहर में आकर भाभी के घर की घंटी बजाई, पर किसी ने दरवाजा नहीं खोला. शायद घर पर कोई नहीं था. मैं अपने घर की तरफ चला आया और आया तो देखा दरवाजे का लॉक खुला है। मतलब भाभी खाना बनाने के लिए आई हुई थी.
मैंने डोर बेल बजाई तो भाभी ने दरवाजा खोला और आज भी मैं उन्हें देखता ही रह गया. लाल रंग के सलवार सूट में बड़ी ही सेक्सी लग रही थी. उनके होंठों पर एक नशीली मुस्कान थी।
भाभी- देवर जी, ज्यादा मत देखो नजर लगाओगे? आपका देखो पैंट में तम्बू खड़ा हो रहा है.
और हाथ से उन्होंने मेरे तम्बू को टच कर लिया और अंदर चली गयी।
मैं भी दरवाजा बंद कर के भाभीजी के पीछे-पीछे अंदर आ गया।
पीछे से जाकर भाभी से चिपक गया और कहा- भाभी प्लीज आज तो मेरी मन्नत पूरी कर दो … मुझे अपने दूध पिला दो।
भाभी- आपका लंड मेरे चूतड़ों में घुसा जा रहा है. चूतड़ों में दूध नहीं है मेरे.
इससे मेरी हिम्मत बढ़ गयी और मैं भाभी को घुमा कर उनके होंठों को चूमने लग गया. साथ में ही मैं कुर्ते के ऊपर से उनके बोबे दबाने लग गया. भाभी भी पूरा साथ देने लगी. उससे ऐसा लग रहा था कि भाभी भी सेक्स के लिए प्यासी है।
मैं भाभी के होंठ 10 मिनट तक चूसता रहा. उनके मुंह में कभी जीभ डालता और कभी भाभी मेरे मुंह में जीभ डालती। साथ में मैं भाभी के चूतड़ भी दबा और सहला रहा था। बहुत ही मजा आ रहा था। भाभी के चूतड़ पर बीच-बीच में थप्पड़ भी मार रहा था।
जब मैंने अपना हाथ आगे करके सलवार के ऊपर से ही भाभी की चूत को सहलाया तो पता चला कि उनकी सलवार चूत की जगह पर पूरी गीली हो चुकी है। मैंने उसमें हाथ पूरा गीला करके सूंघा तो … क्या गजब की खुशबू आ रही थी! भाभी की भोसड़ी का रस बिल्कुल खट्टा और नमकीन सा फील हो रहा था।
भाभी भी बहुत उत्तेजित और कामुक हो रही थी। भाभी का जिस्म बहुत ही अकड़ रहा था, फिर मैं और भाभी अपने शयन कक्ष में गए, वहां जाकर मैंने भाभी का कुर्ता और सलवार खोल दिया। भाभी ने सफेद कलर की ब्रा और सफेद कलर की ही पैंटी पहन रखी थी। रूपा भाभी का हुस्न देख कर मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गया। मेरी सांसें ऊपर नीचे होने लग गईं. उनके चूतड़ बहुत ही उठे हुए थे. उनकी चड्डी, बोले तो पेंटी पर उनकी चूत का उभार दिख रहा था। मैंने देर ना करते हुए उनकी पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत पर अपना मुंह रख दिया और उनकी चूत के रस से भीगी हुई पेंटी को चूसने लगा. साथ ही उनके चूत और चूतड़ की खुशबू लेने लगा।
भाभी- राजा, प्लीज मुझे चोद दे, मेरी चूत में अपना लंड पेल दे।
मैं- साली रंडी, बड़ी हवस पैदा हो रही है तेरे अंदर। थोड़ी देर और रुक रूपा रांड, मुझे तेरे हुस्न को भोगना है इस हुस्न का गुलाम बनना है। पहले मुझे तेरी ये गांड मारनी है मेरी रूपा भाभी.
और मैंने झटके से भाभी की ब्रा को खींच दिया जिससे वो फटकर मेरे हाथ में आ गयी। उनके क्या मखमली बोबे थे. मैं उन पर भूखे शेर की तरह लपक पड़ा और चूसने लगा. साथ में काटने लगा। भाभी और ज्यादा उत्तेजित हो गयी और सिसकारियां लेने लगी। साथ ही साथ गालियां भी देने लगी।
भाभी- मादर चोद, भड़वे की नस्ल, तेरी माँ को कु्त्तों से चुदवाऊं। चूस और काट मेरे बोबे … निकाल इनका रस … पी ले इनको, बड़ा ही दूध पीने का मन था न तेरा?
भाभी ने मुझे पीछे धक्का दिया और मुझे नंगा कर दिया, तुरंत मेरे लौड़े को पकड़ा और मुंह में भर कर चूसने लगी जैसे कि आप ब्लू फिल्म में देखते हैं. भाभी मेरे लौड़े को ऐसे चाट रही थी कि वह अभी इसको काट कर खा ही जाएगी।
मैंने भी उत्तेजित होकर उनके गले तक पूरा लौड़ा डालकर उनकी सांस को रोक दिया। फिर लंड को बाहर निकाला तो उसके साथ भाभी की लार भी बाहर आई. उसको मैं भाभी के मुँह से मुँह लगाकर पूरा चाट गया। उनके पूरे शरीर को कुत्ते की तरह चाटने लगा।
भाभी- चाट साले कुत्ते, चाट, आह … आह … उह … उह … की आवाजें भाभी के मुंह से निकलने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: पड़ोसन की जवानी का रस - by neerathemall - 05-07-2022, 12:20 PM



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