Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery पड़ोसन की जवानी का रस
#2
मेरे पड़ोस में रहने वाली भाभी की है। भाभी के बारे में बताऊं तो वो एक काम की देवी है। उसके बूब्स और उठी हुई गांड जो भी देखे, देखता ही रह जाए और भगवान से प्रार्थना करे कि ये सुंदरी अभी मिल जाए और इसके चूचे चूस लूं … गांड में लण्ड डाल दूं।

देखने में भाभी का रंग गोरा चिट्टा, बिलकुल चिकनी चमेली है वह. उसका नाम रूपा है. जैसा नाम है वैसे ही उसके दर्शन हैं.
पड़ोस में रहने के कारण उनके यहाँ आना-जाना तो था ही और अच्छी जान-पहचान भी है. पड़ोसी ही तो पड़ोसी के काम आता है.
जब भी भाभी से मिलता हंसी-मजाक होता रहता था. कभी कभार तो नॉनवेज मजाक भी हो जाता था। हंसी मजाक में कभी-कभी भाभी को छू भी लेता था. वो भी छू लेती थी. मतलब देवर भाभी का रिश्ता कैसा होता है, ये तो आप सब जानते ही हो. उनसे जब भी मिलता बस मन में एक ही कामना होती कि काश भाभी को चूम लूं बांहों में भर लूं और ले चलूं कहीं इस दुनिया से दूर, जहां मैं और भाभी हों और उनके हुस्न का भोग करूं।
वो कहते हैं न कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं. ऐसे ही एक बार वो मौका मुझे मिला, भाभी को चोदने का, उनका चूत-रस पीने का। एक बार किसी कारण मेरे पैरंट्स को नानी के यहाँ जाना था। एग्जाम होने के कारण मैं नहीं गया. घर में अकेला ही था तो मम्मी ने मेरे एग्जाम होने के कारण खाना बनाकर देने की जिम्मेदारी भाभी को सौंप दी थी.
मैं दिनभर पढाई करता रहा. शाम को भाभी खाना बनाने के लिए आई तो मैं उन्हे देखता ही रह गया। उनके लिप्स, उठे हुए चूचे, लाल रंग की साड़ी में बिलकुल क़यामत ढहा रही थी।
जब उन्होंने बोला- देवरजी क्या हुआ? कहां खो गए?
तब मुझे होश आया.
मैंने कहा- भाभी, आप बहुत ही सुन्दर लग रही हो.
यह कहकर मैंने भाभी को आँख मार दी।
भाभी- रहने दो, अकेले हो तो फ़्लर्ट कर रहे हो, आंटी को आने दो बताती हूँ तुम्हारी करतूतें.
यह कहकर भाभी हंसने लगी।
मैंने कहा- नहीं, रियली आप लाल रंग की साड़ी में अप्सरा लग रही हो भाभी जी।
भाभी- रहने दो, आप तो ये बताओ कि क्या खाना है?
मैं- जो भी आप प्यार से खिलाओ हम तो खा लेंगे। वैसे अभी तो दूध पीने की इच्छा है.
और यह कहकर मैंने फिर से आँख मार दी।
भाभी- अच्छा जी! बड़ी मस्ती आ रही है आज?
यह कहकर भाभी अपने चूचे ऊपर करती हुई मुस्कराते हुए किचन में चली गई।
मैं पीछे से रूपा भाभी के मटकते हुए चूतड़ देख रहा था. लण्ड खड़ा हो गया तो तुरंत बाथरूम में गया और मुठ मार कर बाहर आ गया।
थोड़ी देर में भाभी ने खाना बना दिया और कहा- देवर जी खाना खा लो.
मैंने कहा- आप भी मेरे साथ खा लो.
उन्होंने थोड़ा खाना खाया और कहा- बाकी मैं घर जाकर खाऊंगी अभी आपके जितना ही बनाया है, आप भूखे रह जाओगे तो मुझे दूध पिलाना पड़ेगा.
इतना कहकर भाभी फिर से हंसने लगी।
मैं- तो क्या हुआ? पिला दो ना भाभी जी।
भाभी- क्यों देवर जी? कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं- है तो सही, मगर वह आप जैसी नहीं है. और न ही आपके जैसे चूचे हैं उसके …
भाभी- ये तो आपके भैया के झूठे हैं, कही और मुँह मारो. कल के एग्जाम की तैयारी करो फिर देखते हैं.
भाभी आँख मार कर चली गयी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
RE: पड़ोसन की जवानी का रस - by neerathemall - 05-07-2022, 12:20 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)