05-07-2022, 12:17 PM
मैंने उनको घुटनों के बल लेटने को कहा तो उन्होंने कहा- यहाँ नहीं, बाथरूम में नहाते हुए!
मैं बाथरूम में पानी में उनकी चूत चोदने लगा और उनके मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. वो सिसकारियाँ भरने लगी- आहहा आआह हाआह ह!
फिर मैंने लंड निकाल लिया तो वो बोली- क्या हुआ जान?
मैं बोला- यहाँ नहीं रानी, बिस्तर पर ही मज़ा आएगा.
मैं उनको अपने लंड पर बैठा कर बिस्तर पर ले आया, उन्हें जम कर चोदने लगा.
अचानक उन्होंने कहा- इसे बाहर निकालो जान, मुझे बाथरूम आ रहा है.
मैंने कहा- जो करना है, यहीं कर लो, ये तो अब इसकी मर्ज़ी से ही बाहर आएगा.
कुछ पल बाद मैंने अपने पेट पर गर्म पानी जैसा महसूस किया थोड़ा उठ कर देखा तो वो उनकी चूत के ऊपर वाले छेद से पेशाब निकल रहा था.
मुझे देखते हुए देख कर भाभी बोली- ऐसे क्या देख रहे हो राजा?
मैंने खा- भाभी की चूत का मूत देख रहा हूँ.
फिर मैंने उनको घुटनों के बल लेटने को कहा और उनके पीछे वाले छेद पऱ लंड रखा तो वो ना कहने लगी- नहीं राजा, पीछे नहीं बहुत दर्द होगा!
मैंने एक ना सुनी और लंड को और उनके छेद को थोड़ा गीला करके एक झटका दिया, मेरा आधा लंड अंदर जा चुका था.
वो रोते हुए कहने लगी- इसको बाहर निकालो, बहुत दर्द हो रहा है … जान मान जाओ!
फिर ज़बरदस्ती मैंने एक और धक्का मार दिया तो वो दर्द से चिल्ला उठी- भाई साब, फाड़ दी आपने मेरी गांड!
और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी.
अब मैंने अपना लंड भाभी की गांड से बाहर निकाला और उन्हें चुप किया उनके होंठ चूमते हुए! फिर मैंने अपना लंड धीरे धीरे चूत में अंदर बाहर किया. वो गर्म होने लगी. फिर हम दोनों एक साथ झड़ गये. फिर मैंने उन्हें गर्भ निरोधक गोलिया लाकर दी.
और फिर शाम को मैं एक बोतल व्हिस्की लेकर आया और हमने साथ साथ पी, रात भर मज़े किए.
मेरी पत्नी खुशबू के आने तक मैंने कविता भाभी को बहुत चोदा, करीब करीब रोज ही!
फिर मेरा ट्रान्सफर दूसरे शहर में हो गया और हम यहाँ आ गये. अब मैं महीने में एक दो बार काम का बहाना करके जयपुर जाकर अपनी कविता रानी से मिल लेता हूँ.
मैं बाथरूम में पानी में उनकी चूत चोदने लगा और उनके मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. वो सिसकारियाँ भरने लगी- आहहा आआह हाआह ह!
फिर मैंने लंड निकाल लिया तो वो बोली- क्या हुआ जान?
मैं बोला- यहाँ नहीं रानी, बिस्तर पर ही मज़ा आएगा.
मैं उनको अपने लंड पर बैठा कर बिस्तर पर ले आया, उन्हें जम कर चोदने लगा.
अचानक उन्होंने कहा- इसे बाहर निकालो जान, मुझे बाथरूम आ रहा है.
मैंने कहा- जो करना है, यहीं कर लो, ये तो अब इसकी मर्ज़ी से ही बाहर आएगा.
कुछ पल बाद मैंने अपने पेट पर गर्म पानी जैसा महसूस किया थोड़ा उठ कर देखा तो वो उनकी चूत के ऊपर वाले छेद से पेशाब निकल रहा था.
मुझे देखते हुए देख कर भाभी बोली- ऐसे क्या देख रहे हो राजा?
मैंने खा- भाभी की चूत का मूत देख रहा हूँ.
फिर मैंने उनको घुटनों के बल लेटने को कहा और उनके पीछे वाले छेद पऱ लंड रखा तो वो ना कहने लगी- नहीं राजा, पीछे नहीं बहुत दर्द होगा!
मैंने एक ना सुनी और लंड को और उनके छेद को थोड़ा गीला करके एक झटका दिया, मेरा आधा लंड अंदर जा चुका था.
वो रोते हुए कहने लगी- इसको बाहर निकालो, बहुत दर्द हो रहा है … जान मान जाओ!
फिर ज़बरदस्ती मैंने एक और धक्का मार दिया तो वो दर्द से चिल्ला उठी- भाई साब, फाड़ दी आपने मेरी गांड!
और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी.
अब मैंने अपना लंड भाभी की गांड से बाहर निकाला और उन्हें चुप किया उनके होंठ चूमते हुए! फिर मैंने अपना लंड धीरे धीरे चूत में अंदर बाहर किया. वो गर्म होने लगी. फिर हम दोनों एक साथ झड़ गये. फिर मैंने उन्हें गर्भ निरोधक गोलिया लाकर दी.
और फिर शाम को मैं एक बोतल व्हिस्की लेकर आया और हमने साथ साथ पी, रात भर मज़े किए.
मेरी पत्नी खुशबू के आने तक मैंने कविता भाभी को बहुत चोदा, करीब करीब रोज ही!
फिर मेरा ट्रान्सफर दूसरे शहर में हो गया और हम यहाँ आ गये. अब मैं महीने में एक दो बार काम का बहाना करके जयपुर जाकर अपनी कविता रानी से मिल लेता हूँ.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
