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Adultery पड़ोसन की हवस
#7
मैंने धीरे धीरे झटके देना शुरू कर दिया. धीरे धीरे वो भी अपनी कमर उठा कर अब मेरा साथ देने लगी थी और कामुक आवाजें निकाल रही थी- और ज़ोर से मेरे राजा … चोदो चोदो मेरे राजा … फाड़ दो आज इसे! आज से मेरा सब कुछ तुम्हारा … आज मैं अपने अभय की रखैल हूँ.

करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने कहा- जानेमन आ जाऊँ अंदर ही?
वो बोली- आ जाओ मेरे राजा, मैं भी तुम्हारे साथ आ रही हूँ.
मैंने 5-6 पिचकारी भाभी की चूत में मारी और इनके ऊपर लेट गया.
कुछ दसर में मेरा लंड मुरझा गया था मैंने उसे बाहर निकाला. उनकी चूत से हमारे मिलन का रस बाहर आ रहा था. भाभी फिर से मेरा लंड सहलाने लगी और कह रही थी- असली सुहागरात तो मेरी आज हुई है जान!
मैंने कहा- कविता, जब तक खुशबू ना आ जाए तब तक हर रात तुम मेरे साथ बिताओगी, मैं तुम्हारी रातें और भी रंगीन कर दूँगा.
उनका सिर हाँ में हिल रहा था पर वो मुँह से ना बोल रही थी. उन्हें डर था कि कॉलोनी में किसी को पता चल गया तो हम बदनाम हो जायेंगे.
मैंने उन्हें कहा- हम रात में 11 बजे के बाद, जब तक कॉलोनी में कोई बाहर नहीं रहता, उसके बाद मिलेंगे.
तो उन्होंने हाँ कह दिया और मुझे गले से लगा लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: पड़ोसन की हवस - by neerathemall - 05-07-2022, 12:16 PM



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