05-07-2022, 12:14 PM
फिर हम बात करने लगे, उत्तेजना के वशीभूत हो मैंने पूछा- कविता भाभी, आप अकेले कैसे रह लेती हो? मुझसे तो नहीं रहा जाता.
तो उन्होंने कहा- क्या करूँ, अब आदत सी हो गयी है.
शायद उनको पता चल गया था कि मैं उनके बदन को देख रहा हूँ. परंतु उनके मन में भी कुछ और था.
मैं बोला- भाभी, आप टीवी ऑन कर लो, मैं कॉफ़ी लेकर आता हूँ.
मैं जब कॉफ़ी ले कर वापस आया तो मैं भी देख कर दंग रह गया कि भाभी पॉर्न देख कर एंजाय कर रही थी और अपने बदन को सहला रही थी. उन्होंने मेरे हाथ से कॉफ़ी लेकर टेबल पर रख दी और मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास बैठाया और कहा- अभय, तुम मुझे वो सुख दोगे जो मैं चाहती हूँ.
मैंने कुछ न बोला.
उन्होंने कहा- मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी और तुम जो कहोगे वो करूँगी.
तो मैंने भी उनको आसानी से हां कह दिया.
तो उन्होंने कहा- क्या करूँ, अब आदत सी हो गयी है.
शायद उनको पता चल गया था कि मैं उनके बदन को देख रहा हूँ. परंतु उनके मन में भी कुछ और था.
मैं बोला- भाभी, आप टीवी ऑन कर लो, मैं कॉफ़ी लेकर आता हूँ.

मैं जब कॉफ़ी ले कर वापस आया तो मैं भी देख कर दंग रह गया कि भाभी पॉर्न देख कर एंजाय कर रही थी और अपने बदन को सहला रही थी. उन्होंने मेरे हाथ से कॉफ़ी लेकर टेबल पर रख दी और मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास बैठाया और कहा- अभय, तुम मुझे वो सुख दोगे जो मैं चाहती हूँ.
मैंने कुछ न बोला.
उन्होंने कहा- मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी और तुम जो कहोगे वो करूँगी.
तो मैंने भी उनको आसानी से हां कह दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
