05-07-2022, 12:08 PM
रंजू बेसुध होकर तख्त पर पैर लटकाए औंधे पड़ी थी. उसकी निढाल काया की गर्म चुत ने मेरे लंड रस को पीना शुरू कर दिया था.
दूसरे तख्त पर अनु दीदी की दीपक के लंड की सवारी कर रही थीं.
उनके बाजू में ज़मीन पर पैर लटकाए, तख्त पर औंधे मुँह पड़ी रंजू की घनघोर चुदाई से कमरे में वासना का तूफान आया हुआ था.
रीना दीदी अपनी चुदी हुई चुत पर हाथ फेरते हुए इस तूफान का जीवंत गवाह बन, मंद मंद मुस्कुरा रही थीं.
अपने लाल सुर्ख चेहरे और बिखरे हुए बालों को समेटती हुई दीपक के लंड पर मस्ती में झड़ चुकी अनु दीदी भी अपनी मस्ती का इजहार कर रही थीं.
जवान तीन परियां आत्मतृप्त होकर मुस्कान बिखेरते हुए अपनी चुत सहला रही थीं.
चुत के पानी की गंध के साथ हम दोनों के लौड़े के पानी की खुशबू, कमरे में अद्भुत महक फैला रहा था, जो आजीवन हम पांचों नहीं भुला सकते थे.
हम सभी आज़ भी उस दिन को याद कर रोमांचित हो जाते हैं. एक दूसरे की जरूरत के हिसाब से अक्सर हम पांचों कभी भी सामूहिक चुदाई का आयोजन करते रहे, जिनमें नए चेहरे भी शामिल होते रहे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.