05-07-2022, 12:07 PM
अनु दीदी की आग लगाने वाली जवानी देख मुझसे रुका नहीं गया लेकिन वो दीपक के साथ थी तो मैं रीना दीदी पर टूट पड़ा. उनकी दोनों चूचियों को अपने हाथों से दबाने, उनकी चूचियों के निप्पल खींचते हुए नाभि के नीचे चुत पर मैंने आक्रमण कर दिया.
मेरे इस हमले से पहले से ही गर्म रीना के मुँह से मादक सीत्कारें फूटने लगीं.
मैं रीना की चुत के भीतर तक जीभ डाल रहा था, जिससे ‘ऊई माई … आईईईई मर गई आह्ह सी ..’ की मादक सीत्कारें भरते हुए रीना ऐंठी जा रही थी.
‘आह और जोर से चूस भैनचोद … आह … आह्ह अन्दर तक मुँह लगा लवड़े … मैं मर गई रे … हरामी … फिर से ये कैसी आग लगा दी है तूने … आह … ठीक से लगातार चुसाई कर कमीने … मैं फिर से आने वाली हूँ मुँह गड़ा दे कुत्ते.’
मैंने उसकी मालपुआ जैसी चुत को चाट चाट कर लाल कर दिया था. जिससे रीना के सब्र का बांध टूटने लगा.
परन्तु मैं जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था क्योंकि कई बार मैंने देखा था कि 22 साल की इस जवान मस्त लड़की के लिए दो मर्द कोई मायने नहीं रखते थे. आज तो तीन लौंडियों पर दो ही मर्दों का संग था.
मैंने दोनों टांगों को चौड़ा कर रीना दीदी की चुत में सर घुसा दिया और उनकी चुत को अन्दर से बाहर तक चूसने लगा.
मेरे सिर को अपनी बांहों से पकड़ कर चुत पर दबाव बनाती हुई, मछली की तरह छटपटाती हुई रीना दीदी झमाझम झड़ गईं.
उनकी चुत से बहुत सारा पानी बाहर निकल गया.
मैं चुत के पानी को सपड़ सपड़ करता हुआ सब चाट गया.
कुछ देर चुत चाटने के बाद मैंने रीना दीदी की दोनों टांगों को चौड़ा कर दिया. एक बार झड़ चुकी उनकी चुत में लंड को मैंने धीरे से पेल दिया और लंड चुत में अन्दर बाहर करने लगा.
अब रीना दीदी के मुख से अथाह आनन्द में कामुक सिसकारियां निकल रही थीं.
मैं अपनी दोनों टांगों को चौड़ा करके अतितीव्र गति से सधे हुए झटके लगाने लगा; साथ ही रीना बहन की दोनों चुचियों को मसलने लगा.
मेरे हर झटके में उनकी मदमस्त सफ़ेद गोल गोल मांसल चुंचियां … जैसे उड़ने के लिए फड़फड़ाने लगी थीं.
थोड़ी देर में ही रीना दीदी फिर से गर्म हो चुकी थीं … इसलिए वो मुझे पटक कर सीने पर सवार हो गईं और लंड पर चुत टिका कर उछलने-कूदने लगीं.
रीना दीदी के गुदाज़ चूतड़ों की थाप … और चुत की फट फचा हच-फच फच के मधुर संगीत की ध्वनि कमरे में गुंजायमान हो मेरी वासना बढ़ा रही थी.
अपनी कमर को नचा नचा कर रीना दीदी अपनी चुत के हर कोने में लंड की चोट लगवा रही थीं.
वो लंड चुत के हर झटके में अपनी चरम सीमा तक पहुंचने की कोशिश कर रही थीं.
करीब दस मिनट की भयंकर चुदाई के बाद अपनी दोनों टांगों को भींचते हुए चिहुंक कर रीना दीदी झड़ गईं और मेरे सीने पर निढाल होकर हांफने लगीं.
दूसरी तरफ बिना किसी संकोच के कमरे में दो सगे भाई बहन मिलकर अनु दीदी को बगल के बिस्तर पर बुरी तरह चोद रहे थे. रंजू और अनु दीदी आपस में एक-दूसरे के मुँह पर अपनी चूचियों की चुसाई का मजा ले रही थीं.
रंजू ज़मीन पर खड़ी होकर अनु दीदी को दोनों हाथों को ऊपर की ओर खींच रही थी और उनकी चूचियों को सिर के तरफ से झुक कर चूस रही थी.
इसी दौरान अनु दीदी अपने मुँह पर लटकती रंजू के चुचियों को दांतों से काट रही थीं. दीपक मस्त अनु दीदी को दोनों टांगों को चौड़ा कर हचक कर चोद रहा था और दीदी उसके हर झटके पर कराहती हुई चुत चुदाई के मज़े ले रही थीं.
दीपक का आठ इंच लंबा लंड अनु दीदी की चुत के भीतर तक झन्नाटेदार चोट दे रहा था … और दीदी मस्ती में अनाप शनाप बकने लगी थीं.
मेरे इस हमले से पहले से ही गर्म रीना के मुँह से मादक सीत्कारें फूटने लगीं.
मैं रीना की चुत के भीतर तक जीभ डाल रहा था, जिससे ‘ऊई माई … आईईईई मर गई आह्ह सी ..’ की मादक सीत्कारें भरते हुए रीना ऐंठी जा रही थी.
‘आह और जोर से चूस भैनचोद … आह … आह्ह अन्दर तक मुँह लगा लवड़े … मैं मर गई रे … हरामी … फिर से ये कैसी आग लगा दी है तूने … आह … ठीक से लगातार चुसाई कर कमीने … मैं फिर से आने वाली हूँ मुँह गड़ा दे कुत्ते.’
मैंने उसकी मालपुआ जैसी चुत को चाट चाट कर लाल कर दिया था. जिससे रीना के सब्र का बांध टूटने लगा.
परन्तु मैं जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था क्योंकि कई बार मैंने देखा था कि 22 साल की इस जवान मस्त लड़की के लिए दो मर्द कोई मायने नहीं रखते थे. आज तो तीन लौंडियों पर दो ही मर्दों का संग था.
मैंने दोनों टांगों को चौड़ा कर रीना दीदी की चुत में सर घुसा दिया और उनकी चुत को अन्दर से बाहर तक चूसने लगा.
मेरे सिर को अपनी बांहों से पकड़ कर चुत पर दबाव बनाती हुई, मछली की तरह छटपटाती हुई रीना दीदी झमाझम झड़ गईं.
उनकी चुत से बहुत सारा पानी बाहर निकल गया.
मैं चुत के पानी को सपड़ सपड़ करता हुआ सब चाट गया.
कुछ देर चुत चाटने के बाद मैंने रीना दीदी की दोनों टांगों को चौड़ा कर दिया. एक बार झड़ चुकी उनकी चुत में लंड को मैंने धीरे से पेल दिया और लंड चुत में अन्दर बाहर करने लगा.
अब रीना दीदी के मुख से अथाह आनन्द में कामुक सिसकारियां निकल रही थीं.
मैं अपनी दोनों टांगों को चौड़ा करके अतितीव्र गति से सधे हुए झटके लगाने लगा; साथ ही रीना बहन की दोनों चुचियों को मसलने लगा.
मेरे हर झटके में उनकी मदमस्त सफ़ेद गोल गोल मांसल चुंचियां … जैसे उड़ने के लिए फड़फड़ाने लगी थीं.
थोड़ी देर में ही रीना दीदी फिर से गर्म हो चुकी थीं … इसलिए वो मुझे पटक कर सीने पर सवार हो गईं और लंड पर चुत टिका कर उछलने-कूदने लगीं.
रीना दीदी के गुदाज़ चूतड़ों की थाप … और चुत की फट फचा हच-फच फच के मधुर संगीत की ध्वनि कमरे में गुंजायमान हो मेरी वासना बढ़ा रही थी.
अपनी कमर को नचा नचा कर रीना दीदी अपनी चुत के हर कोने में लंड की चोट लगवा रही थीं.
वो लंड चुत के हर झटके में अपनी चरम सीमा तक पहुंचने की कोशिश कर रही थीं.
करीब दस मिनट की भयंकर चुदाई के बाद अपनी दोनों टांगों को भींचते हुए चिहुंक कर रीना दीदी झड़ गईं और मेरे सीने पर निढाल होकर हांफने लगीं.
दूसरी तरफ बिना किसी संकोच के कमरे में दो सगे भाई बहन मिलकर अनु दीदी को बगल के बिस्तर पर बुरी तरह चोद रहे थे. रंजू और अनु दीदी आपस में एक-दूसरे के मुँह पर अपनी चूचियों की चुसाई का मजा ले रही थीं.
रंजू ज़मीन पर खड़ी होकर अनु दीदी को दोनों हाथों को ऊपर की ओर खींच रही थी और उनकी चूचियों को सिर के तरफ से झुक कर चूस रही थी.
इसी दौरान अनु दीदी अपने मुँह पर लटकती रंजू के चुचियों को दांतों से काट रही थीं. दीपक मस्त अनु दीदी को दोनों टांगों को चौड़ा कर हचक कर चोद रहा था और दीदी उसके हर झटके पर कराहती हुई चुत चुदाई के मज़े ले रही थीं.
दीपक का आठ इंच लंबा लंड अनु दीदी की चुत के भीतर तक झन्नाटेदार चोट दे रहा था … और दीदी मस्ती में अनाप शनाप बकने लगी थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.