04-07-2022, 02:20 PM
फिर धीरे-धीरे में और आगे बड़ा और मैंने अपना हाथ उसकी क्लीवेज पर रखा, जिसमें से उसके आधे बूब्स बाहर नज़र आ रहे थे. अब में अपने दोनों हाथों से उसके दोनों बूब्स सहलाने लगा. मेरा दिल और आगे बढ़ने को कह रहा था, लेकिन दिमाग़ रोक रहा था कि कहीं वो उठ ना जाए और मुझे पकड़ ना ले, लेकिन कहते है ना चूत की भूख की आग लगती है तो भूत से भी डर नहीं लगता है, तो मैंने अपना हाथ उसकी नाइटी में डाल दिया और उसके बूब्स सहलाने और हल्के-हल्के दबाने लगा, क्या मस्त बूब्स थे यार उसके? बड़े मुलायम और शायद मेरे सहलाने की वजह से निपल बड़े सख्त हो गए थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
