04-07-2022, 02:03 PM
दीदी मेरी तरफ पीठ करके सोई थीं। उनकी मस्त गोरी मखमली पीठ.. जिस पर काले रंग की ब्रा और गुलाबी जालीदार ब्लाउज में वे मस्त माल दिख रही थीं।
उनको देख कर मेरा बुरा हाल था कि दीदी की चुत कब चोदने को मिले।
लंड सहलाते और दीदी की चुत के बारे में सोचते हुए मैं भी सो गया।
रात करीब 12 बजे नींद खुली.. तो देखा कि दीदी मेरे साथ बिस्तर पर आके सो गई थीं।
फिर थोड़ी देर बाद दीदी ने अपना हाथ मेरे लोवर पर रख दिया, उन्होंने धीरे-धीरे मेरे लंड को पकड़ लिया।
शायद दीदी ने मेरा लंड नींद में जीजाजी का लंड समझ कर पकड़ा था।
इससे मेरा बुरा हाल हो गया था, मेरा लंड तन कर खड़ा था।
अचानक दीदी की नींद खुल गई और उन्होंने मेरे लंड को छोड़ दिया, फिर दीदी मेरी तरफ पीठ करके सो गईं।
अब मैं हिम्मत करके धीरे-धीरे उनकी पीठ को छूने लगा और पीठ को किस करने लगा। दीदी की कोई प्रतिक्रिया न पाकर अपना हाथ उनके चूचों पर रख दिया।
शायद दीदी सोई नहीं थीं.. वो सोने का नाटक कर रही थीं।
मैं दीदी के मम्मों को दबाने लगा और उन्हें अपनी तरफ घुमा लिया, मैं दीदी के मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा। दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और हिलाने लगीं।
फिर मैं उनके होंठों को किस करने लगा.. दीदी भी मेरा साथ देने लगी थीं। धीरे-धीरे मैंने उनकी साड़ी और ब्लाउज को निकाल कर फेंक दिया। अब मैं दीदी के मम्मों को ब्रा से बाहर निकाल कर चूसने लगा।
उसके बाद मैंने दीदी की ब्रा और पेंटी को भी निकाल दिया और उनको एकदम नंगी कर दिया।
दीदी की एकदम गोरी और चिकनी चुत.. और मस्तक साइज के चूचे थे।
उनको देख कर मेरा बुरा हाल था कि दीदी की चुत कब चोदने को मिले।
लंड सहलाते और दीदी की चुत के बारे में सोचते हुए मैं भी सो गया।
रात करीब 12 बजे नींद खुली.. तो देखा कि दीदी मेरे साथ बिस्तर पर आके सो गई थीं।
फिर थोड़ी देर बाद दीदी ने अपना हाथ मेरे लोवर पर रख दिया, उन्होंने धीरे-धीरे मेरे लंड को पकड़ लिया।
शायद दीदी ने मेरा लंड नींद में जीजाजी का लंड समझ कर पकड़ा था।
इससे मेरा बुरा हाल हो गया था, मेरा लंड तन कर खड़ा था।
अचानक दीदी की नींद खुल गई और उन्होंने मेरे लंड को छोड़ दिया, फिर दीदी मेरी तरफ पीठ करके सो गईं।
अब मैं हिम्मत करके धीरे-धीरे उनकी पीठ को छूने लगा और पीठ को किस करने लगा। दीदी की कोई प्रतिक्रिया न पाकर अपना हाथ उनके चूचों पर रख दिया।
शायद दीदी सोई नहीं थीं.. वो सोने का नाटक कर रही थीं।
मैं दीदी के मम्मों को दबाने लगा और उन्हें अपनी तरफ घुमा लिया, मैं दीदी के मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा। दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और हिलाने लगीं।
फिर मैं उनके होंठों को किस करने लगा.. दीदी भी मेरा साथ देने लगी थीं। धीरे-धीरे मैंने उनकी साड़ी और ब्लाउज को निकाल कर फेंक दिया। अब मैं दीदी के मम्मों को ब्रा से बाहर निकाल कर चूसने लगा।
उसके बाद मैंने दीदी की ब्रा और पेंटी को भी निकाल दिया और उनको एकदम नंगी कर दिया।
दीदी की एकदम गोरी और चिकनी चुत.. और मस्तक साइज के चूचे थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.