04-07-2022, 02:03 PM
मेरी दीदी जो कि बड़े पापा(ताऊ जी) की लड़की थीं। उनका नाम सुनीता है (नाम बदला हुआ है), दीदी सरकारी कॉलेज में टीचर हैं, उनकी उम्र 32 वर्ष है और हाइट 5.2 फीट की ऊँचाई, रंग हल्का सांवला.. और मम्मे बड़े बड़े हैं।
दीदी के दो बच्चे हैं, दस साल की लड़की और सात साल का लड़का!
मैं उन्हें चोदने के सपने देख-देख कर कई बार मुठ मार चुका हूँ.. पर मौका नहीं मिला।
एक दिन वो अवसर मिल ही गया जिसका मुझे इन्तजार था। उस दिन दीदी का कॉलेज में प्रमोशन हुआ था.. जिसके लिए उन्हें शिक्षाधिकारी कार्यालय में उपस्थित होना था।
दीदी और जीजा साथ में जा रहे थे.. तो जाने के दिन मैं घर में अकेला रह जाने वाला था।
जीजाजी बोले- चलो यार शशि.. तुम भी हमारे साथ चलो.. वहाँ सब साथ में घूम भी लेंगे और तुम्हारा टाइम पास भी हो जाएगा।
मैं बोला- चलो दो दिन से कारखाना बंद है.. तो घूमना भी हो जाएगा।
यह कहकर मैं तैयार हो गया।
उसके बाद हम बाईक में 3 घंटे में जिला शिक्षा कार्यालय पहुंच गए। वहाँ जाकर कर पता किया तो क्लर्क बोला- शाम को 3 बजे तक काम हो जाएगा।
यह सुन कर हम लोग पास के गार्डन में घूमने चले गए। वहाँ जाकर देखा तो बहुत सारे जोड़े थे। मैं चूंकि अकेला था, यदि मैं दीदी जीजा के बीच में रहता तो उनका मजा बिगड़ जाता।
मैं बोला- दीदी, आप लोग यहीं बैठ जाइए.. मैं उधर घूम लेता हूँ।
जीजा जी बोले- जा यार.. आराम से आना।
यह सुन कर दीदी बोलीं- वहाँ क्यों जाओगे.. यहीं रूक जा.. उधर जाकर लड़कियों के पीछे भागेगा.. लाइन मारेगा।
मैं- नहीं दीदी.. मैं जरा टहल कर आ रहा हूँ।
यह कह कर मैं चला गया।
दो घंटे बाद आया तो 2 बज चुके थे, हम तीनों आफिस की तरफ चल दिए। आफिस में जाकर पता किया तो जिला शिक्षाधिकारी अचानक कहीं दौरे पर चले गए थे।
बाबू से पूछने पर मालूम हुआ कि दीदी का काम कल हो पाएगा.. आज किसी भी कीमत में नहीं होगा।
जीजाजी बोले- ओह्ह.. तो कल फिर आना पड़ेगा.. इससे अच्छा है कि शशि तुम अपने दीदी के साथ यहीं रूक जाओ, कल मुझे जरूरी काम है।
दीदी ने भी कहा तो मैं तैयार हो गया, जीजाजी वहाँ से घर चले गए और हम होटल की ओर चल दिए।
कुछ ही मिनट में हम लोग एक होटल में पहुँच गए। वहाँ सब रूम बुक थे.. मात्र एक कमरा खाली था.. जो सिंगल बेड था।
मैं बोला- दीदी चलो दूसरे होटल में पता करेंगे।
दीदी बोलीं- कोई बात नहीं भाई.. उसी कमरे में एडजस्ट हो जाएंगे।
मैं भी राजी हो गया, कमरा बुक करके हम दोनों कमरे में चले गए। वहाँ जाकर मैं फ्रेश होने के लिए बाथरूम चला गया और फ्रेश होकर बाहर निकला, तो दीदी बाथरूम चली गईं, वहाँ से दीदी फ्रेश होकर बाहर आईं।
उसके कुछ देर बाद पास के मॉल में हम लोग शापिंग करने चले गए। शापिंग करने के बाद खाना खाकर हम दोनों कमरे में आ गए।
दीदी बोलीं- आज मैं बहुत थक गई हूँ।
यह कह कर वे फर्श पर सोने के लिए चादर बिछाने लगीं।
मैं बोला- बिस्तर पर ही सो जाओ दीदी.. आपको थकावट ज्यादा है।
दीदी बोलीं- नहीं भाई मैं जमीन पर सो जाती हूँ।
यह कह कर वे लेट गईं।
दीदी के दो बच्चे हैं, दस साल की लड़की और सात साल का लड़का!
मैं उन्हें चोदने के सपने देख-देख कर कई बार मुठ मार चुका हूँ.. पर मौका नहीं मिला।
एक दिन वो अवसर मिल ही गया जिसका मुझे इन्तजार था। उस दिन दीदी का कॉलेज में प्रमोशन हुआ था.. जिसके लिए उन्हें शिक्षाधिकारी कार्यालय में उपस्थित होना था।
दीदी और जीजा साथ में जा रहे थे.. तो जाने के दिन मैं घर में अकेला रह जाने वाला था।
जीजाजी बोले- चलो यार शशि.. तुम भी हमारे साथ चलो.. वहाँ सब साथ में घूम भी लेंगे और तुम्हारा टाइम पास भी हो जाएगा।
मैं बोला- चलो दो दिन से कारखाना बंद है.. तो घूमना भी हो जाएगा।
यह कहकर मैं तैयार हो गया।
उसके बाद हम बाईक में 3 घंटे में जिला शिक्षा कार्यालय पहुंच गए। वहाँ जाकर कर पता किया तो क्लर्क बोला- शाम को 3 बजे तक काम हो जाएगा।
यह सुन कर हम लोग पास के गार्डन में घूमने चले गए। वहाँ जाकर देखा तो बहुत सारे जोड़े थे। मैं चूंकि अकेला था, यदि मैं दीदी जीजा के बीच में रहता तो उनका मजा बिगड़ जाता।
मैं बोला- दीदी, आप लोग यहीं बैठ जाइए.. मैं उधर घूम लेता हूँ।
जीजा जी बोले- जा यार.. आराम से आना।
यह सुन कर दीदी बोलीं- वहाँ क्यों जाओगे.. यहीं रूक जा.. उधर जाकर लड़कियों के पीछे भागेगा.. लाइन मारेगा।
मैं- नहीं दीदी.. मैं जरा टहल कर आ रहा हूँ।
यह कह कर मैं चला गया।
दो घंटे बाद आया तो 2 बज चुके थे, हम तीनों आफिस की तरफ चल दिए। आफिस में जाकर पता किया तो जिला शिक्षाधिकारी अचानक कहीं दौरे पर चले गए थे।
बाबू से पूछने पर मालूम हुआ कि दीदी का काम कल हो पाएगा.. आज किसी भी कीमत में नहीं होगा।
जीजाजी बोले- ओह्ह.. तो कल फिर आना पड़ेगा.. इससे अच्छा है कि शशि तुम अपने दीदी के साथ यहीं रूक जाओ, कल मुझे जरूरी काम है।
दीदी ने भी कहा तो मैं तैयार हो गया, जीजाजी वहाँ से घर चले गए और हम होटल की ओर चल दिए।
कुछ ही मिनट में हम लोग एक होटल में पहुँच गए। वहाँ सब रूम बुक थे.. मात्र एक कमरा खाली था.. जो सिंगल बेड था।
मैं बोला- दीदी चलो दूसरे होटल में पता करेंगे।
दीदी बोलीं- कोई बात नहीं भाई.. उसी कमरे में एडजस्ट हो जाएंगे।
मैं भी राजी हो गया, कमरा बुक करके हम दोनों कमरे में चले गए। वहाँ जाकर मैं फ्रेश होने के लिए बाथरूम चला गया और फ्रेश होकर बाहर निकला, तो दीदी बाथरूम चली गईं, वहाँ से दीदी फ्रेश होकर बाहर आईं।
उसके कुछ देर बाद पास के मॉल में हम लोग शापिंग करने चले गए। शापिंग करने के बाद खाना खाकर हम दोनों कमरे में आ गए।
दीदी बोलीं- आज मैं बहुत थक गई हूँ।
यह कह कर वे फर्श पर सोने के लिए चादर बिछाने लगीं।
मैं बोला- बिस्तर पर ही सो जाओ दीदी.. आपको थकावट ज्यादा है।
दीदी बोलीं- नहीं भाई मैं जमीन पर सो जाती हूँ।
यह कह कर वे लेट गईं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.