04-07-2022, 01:43 PM
तभी उसकी नजर मेरे लोअर पर गई जिसमें से मेरा आठ इंच का लंड साफ नजर आ रहा था. फिर उसने कहा- अब क्या होगा? तो मैंने कहा- मेरे को अब यहीं पर सब कुछ करना पड़ेगा. उसने भी कह दिया- हाँ भैया, आप यही कर लो. बाहर तो बहुत सर्दी है. मैं दूसरी तरफ मुंह कर लूंगी. मैंने कहा- ठीक है. मैंने अपना लंड बाहर निकला और मुठ मारने लग गया. मेरे मुख से आवाज निकल ने लगी- आह ... आ ... ह ... लंड ... आह ... आ ... ह ... हा ... हा ... हा ... अह ... हा ... अह ... हाय ... लंड लंड ... आह ... लंड ... लंड ... लंड ... हा ... हा ... हाहा ... हा ... हा..आ ... ह! और साथ में हाथ के घर्षण के करना मेरा लंड भी शुष्क हो गया और मुझ तकलीफ होने लगी. तो मैंने मीनू को आवाज दी. तो उसने मेरी तरफ देखा और कहा- क्या भाई? मेरे लंड को देख कर वो घबरा गई. मैंने कहा- तेरे पास तेल है न ... मेरे को जल्दी दे. उसने तेल की शीशी मेरे पास आकर दी तो नजदीक से मेरे लंड को देखा ... जो एकदम कुतुबमीनार की तरह खड़ा था. तीस मिनट बाद मेरे दोनों हाथ दुखने लगे तो मैंने कहा- अब मुझ से नहीं हो रहा ... मेरा लंड फटने को हो रहा है. तभी मैंने मेरी बहन को कहा- मीनू प्लीज ... हेल्प कर! उसने कहा- कैसे? तो मैंने कहा- अब तुझे तेरे हाथ से करना पड़ेगा. उसने एक बार तो मना किया. फिर मेरे स्थिति को देखा और मेरे पास आ गयी। मैं एकदम नग्न था. फिर मीनू ने अपने कोमल हाथ से मेरे लंड को पकड़ा और उसे मुठियाने लगी. उसकी नजर नीचे थी और अपना हाथ मेरे लंड पर चला रही थी. बीस मिनट के बाद भी मेरे लंड ने वीर्य नहीं छोड़ा और उसके भी कोमल हाथ दुखने लगे. तभी उसकी सहेली का फ़ोन आया और अबकी बार फ़ोन मीनू ने स्पीकर मोड में कर दिया और उसका दूसरा हाथ मेरे लंड पर चल रहा था. "मीनू ... हुआ तेरे भाई का लंड शांत?" मीनू ने कहा- चालीस मिनट हो गए, नहीं हो रहा ... भाई के हाथ दुखने लगे और मेरे भी! तरुणा- क्या तू अपने भाई के लंड को मुठिया रही है? मीनू ने कहा- और क्या करूं? भाई की हालत खरब हो रही है. तब तरुणा ने कहा- मैं चाहती तो नहीं पर अब एक ही रास्ता है ... देख ... एक लड़के का लंड ... किसी भी लड़की के शरीर को देख कर जल्दी झड़ जाता है. और हाँ ... अगर तुझे अपने भाई से चूत भी मरवानी पड़े तो मरवा लेना. नहीं तो कुछ अभी हो सकता है. इसके बाद फ़ोन कट हो गया. मैंने ये सब सुन लिया था. अब मीनू ने मेरी खातिर अपने कपड़े निकाले और एकदम नंगी हो गई अपने भाई के सामने. उसकी चूत और चूची देख कर मेरा लंड झटके मरने लग गया. फिर मीनू ने मेरे को एक चेयर पर बैठने के लिए कहा और खुद बैड के साइड में बैठ गयी और मेरे लंड पर तेल लगा कर मुठ मारने लग गई. मेरे मुख से सिसकारियां निकलने लग गयी- हाह ... अहा ... हाहा ... अह ... अहह ... अआह ... हा ... आह ... अह ... अह ... अहहा ... अह ... हा ... हा ... हा ... हा ... अह! उधर मीनू के सांसें भी तेज हो गयी थी और उसकी चूचियां, जो काफी बड़ी थी, बड़ी जोर से हिल रही थी. तभी मेरे मुख से निकला- लंड ... चूत ... लंड ... चूत! और मैंने अपनी जवान बहन की चूचियों को पकड़ लिया. मेरी बहन सिहर उठी. लेकिन मेरी हालत को देख कर कुछ नहीं बोली. उसके कोमल हाथ मेरे लंड पर सरपट चल रहे थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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