04-07-2022, 01:41 PM
मीनू की हाइट 5 फुट 2 इंच है। उसका रंग बिल्कुल दूध के जैसा गोरा है। उसकी ब्रा का साइज़ 34 और उसकी गांड का साइज़ 38 है।
मीनू शुरु से ही भरे हुए तन की मलिका है। उसको देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता है।
इस घटना से पहले वह बिल्कुल अक्षत यौवना थी। वह बिल्कुल ही शरीफ लड़की है। उसने हरियाणा के एक कॉलेज से नर्सिंग की पढ़ाई कर रखी है। उसने अपने आप को बिल्कुल मेनटेन कर के रखा है। उसने इस घटना से पहले लंड कभी भी नहीं देखा था, ऐसा उसने मुझे बताया। मीनू एक पढ़ाकू किस्म की लड़की है।
मीनू को मैं जब भी गले लगाता था तो उसकी बड़ी बड़ी चूचियां हमेशा करंट पैदा करती थी शरीर में, लेकिन मैं इन बातों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेता था।
लेकिन एक घटना ने मेरा और मीनू का जीवन ही बदल दिया।
एक दिन मेरे पास मेरी मौसी का कॉल आया कि क्या मैं मीनू को एग्जाम दिलवाने के लिए उसकी साथ जा सकता हूँ?
मीनू ने कोई हिमाचल में नर्सिंग के फील्ड का कोई एग्जाम भर रखा था।
किसी काम की वजह से मैंने जाने के लिए मना कर दिया।
लेकिन घर वालों में से से किसी के पास टाइम न होने की वजह से मुझे उसके साथ जाना पड़ा।
मीनू का एग्जाम मनाली में था। लेकिन बाद मैं मुझे पता चला उसने जानबूझ कर वहां का सेण्टर भरा था ताकि पेपर के साथ कहीं पर घूमा भी जा सके।
फिर रात को मेरे पर मीनू का फ़ोन आया- भैया, आप चलने के लिए तैयार रहें।
एग्जाम पिछले साल जनवरी महीने की 15 तारीख को था।
बाद मैं मैंने तय किया कि सर्दी की वजह से हमें एक दिन पहले ही चलना पड़ेगा, क्यूंकि सर्दी की वजह से रास्ते रुक जाते हैं पहाड़ी इलाकों में!
इस पर मीनू चहक पड़ी क्यूंकि वह ज्यादा कहीं बाहर नहीं गयी थी। मीनू ने प्रोग्राम के तहत अपनी पैकिंग पहले से ही कर ली थी।
मेरी मौसी का घर सोनीपत में है इसलिए हमने 13 जनवरी को सुबह चंडीगढ़ के लिए बस पकड़ी. वहीं से हमें मनाली की लिए बस पकड़नी थी।
हम चंडीगढ़ 11 बजे पहुँच गए, उसके बाद हमने बस अड्डे पर घर लाया हुआ खाना खाया। मनाली की हमारी बस 5 बजे शाम को थी।
हमारे पास काफी टाइम था इसलिए मीनू ने कहा- चलो भैया, हम कहीं घूम के आते हैं।
मैंने कहा- ठीक है चलो चलते हैं
हमने वहीं प्राइवेट लोकर रूम में अपना सामान रख दिया और मीनू ने अपने पास एक मफलर रख लिया ताकि अपने सर पर बांध सके।
बाहर निकलते ही हमने ऑटो ले लिया और सेक्टर 17 की तरफ चल पड़े।
वहां पर चंडीगढ़ के सुंदर सुंदर लड़कियों को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया लेकिन मीनू के साथ होने की वजह से मैंने बड़ी मुश्किल से कण्ट्रोल किया।
एक रिक्शा वाले ने तो हम दोनों को प्रेमी और प्रेमिका समझ कर होटल चलने के लिए कहा. जिस पर मीनू ने उसको भगा दिया और हंसने लग गयी.
उसको देख कर मैं भी हंसने लग गया।
वहां घूमने के बाद हम 4:30 बजे हम बस अड्डे पर आ गए और अपना सामान ले कर बस का इंतजार करने लग गए।
हमारी सीट बस में बिल्कुल लास्ट वाली थी. बस में मीनू को खिड़की वाली सीट मिली थी इसलिए वह खुश थी। मीनू को बैठने में तकलीफ हो रही थी क्योंकि उसने जीन्स की पैंट पहन रखी थी, शायद उसकी फिटिंग सही नहीं थी इसलिए उसको कुछ मुश्किल हो रही थी.
इतने में बस चल पड़ी।
रास्ते भर मीनू अपने कूल्हों को इधर उधर कर रही थी, इस दौरान मेरी नजर उसकी पैंट पर गयी और मुझे उसकी कच्छी के दर्शन हो गए जो पिंक कलर की थी।
कुछ देर बाद मीनू सो गयी और मेरे कंधे पर अपना सर रख लिया.
कुछ देर बाद मैं भी सो गया, जब मेरी आँख खुली तो मीनू का एक हाथ मेरे पैंट पर लंड वाली जगह था और उसकी सूरत बड़ी ही सुंदर लग रही थी.
पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने उसके हाथ को हटाने की कोशिश नहीं की।
मीनू शुरु से ही भरे हुए तन की मलिका है। उसको देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता है।
इस घटना से पहले वह बिल्कुल अक्षत यौवना थी। वह बिल्कुल ही शरीफ लड़की है। उसने हरियाणा के एक कॉलेज से नर्सिंग की पढ़ाई कर रखी है। उसने अपने आप को बिल्कुल मेनटेन कर के रखा है। उसने इस घटना से पहले लंड कभी भी नहीं देखा था, ऐसा उसने मुझे बताया। मीनू एक पढ़ाकू किस्म की लड़की है।
मीनू को मैं जब भी गले लगाता था तो उसकी बड़ी बड़ी चूचियां हमेशा करंट पैदा करती थी शरीर में, लेकिन मैं इन बातों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेता था।
लेकिन एक घटना ने मेरा और मीनू का जीवन ही बदल दिया।
एक दिन मेरे पास मेरी मौसी का कॉल आया कि क्या मैं मीनू को एग्जाम दिलवाने के लिए उसकी साथ जा सकता हूँ?
मीनू ने कोई हिमाचल में नर्सिंग के फील्ड का कोई एग्जाम भर रखा था।
किसी काम की वजह से मैंने जाने के लिए मना कर दिया।
लेकिन घर वालों में से से किसी के पास टाइम न होने की वजह से मुझे उसके साथ जाना पड़ा।
मीनू का एग्जाम मनाली में था। लेकिन बाद मैं मुझे पता चला उसने जानबूझ कर वहां का सेण्टर भरा था ताकि पेपर के साथ कहीं पर घूमा भी जा सके।
फिर रात को मेरे पर मीनू का फ़ोन आया- भैया, आप चलने के लिए तैयार रहें।
एग्जाम पिछले साल जनवरी महीने की 15 तारीख को था।
बाद मैं मैंने तय किया कि सर्दी की वजह से हमें एक दिन पहले ही चलना पड़ेगा, क्यूंकि सर्दी की वजह से रास्ते रुक जाते हैं पहाड़ी इलाकों में!
इस पर मीनू चहक पड़ी क्यूंकि वह ज्यादा कहीं बाहर नहीं गयी थी। मीनू ने प्रोग्राम के तहत अपनी पैकिंग पहले से ही कर ली थी।
मेरी मौसी का घर सोनीपत में है इसलिए हमने 13 जनवरी को सुबह चंडीगढ़ के लिए बस पकड़ी. वहीं से हमें मनाली की लिए बस पकड़नी थी।
हम चंडीगढ़ 11 बजे पहुँच गए, उसके बाद हमने बस अड्डे पर घर लाया हुआ खाना खाया। मनाली की हमारी बस 5 बजे शाम को थी।
हमारे पास काफी टाइम था इसलिए मीनू ने कहा- चलो भैया, हम कहीं घूम के आते हैं।
मैंने कहा- ठीक है चलो चलते हैं
हमने वहीं प्राइवेट लोकर रूम में अपना सामान रख दिया और मीनू ने अपने पास एक मफलर रख लिया ताकि अपने सर पर बांध सके।
बाहर निकलते ही हमने ऑटो ले लिया और सेक्टर 17 की तरफ चल पड़े।
वहां पर चंडीगढ़ के सुंदर सुंदर लड़कियों को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया लेकिन मीनू के साथ होने की वजह से मैंने बड़ी मुश्किल से कण्ट्रोल किया।
एक रिक्शा वाले ने तो हम दोनों को प्रेमी और प्रेमिका समझ कर होटल चलने के लिए कहा. जिस पर मीनू ने उसको भगा दिया और हंसने लग गयी.
उसको देख कर मैं भी हंसने लग गया।
वहां घूमने के बाद हम 4:30 बजे हम बस अड्डे पर आ गए और अपना सामान ले कर बस का इंतजार करने लग गए।
हमारी सीट बस में बिल्कुल लास्ट वाली थी. बस में मीनू को खिड़की वाली सीट मिली थी इसलिए वह खुश थी। मीनू को बैठने में तकलीफ हो रही थी क्योंकि उसने जीन्स की पैंट पहन रखी थी, शायद उसकी फिटिंग सही नहीं थी इसलिए उसको कुछ मुश्किल हो रही थी.
इतने में बस चल पड़ी।
रास्ते भर मीनू अपने कूल्हों को इधर उधर कर रही थी, इस दौरान मेरी नजर उसकी पैंट पर गयी और मुझे उसकी कच्छी के दर्शन हो गए जो पिंक कलर की थी।
कुछ देर बाद मीनू सो गयी और मेरे कंधे पर अपना सर रख लिया.
कुछ देर बाद मैं भी सो गया, जब मेरी आँख खुली तो मीनू का एक हाथ मेरे पैंट पर लंड वाली जगह था और उसकी सूरत बड़ी ही सुंदर लग रही थी.
पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने उसके हाथ को हटाने की कोशिश नहीं की।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


![[+]](https://xossipy.com/themes/sharepoint/collapse_collapsed.png)