04-07-2022, 01:35 PM
दीदी ने भी कुछ नहीं कहा. तो मैंने भी हिम्मत दिखाई और उनके मम्मों को पकड़ कर ही रखा.
मैं उन्हें मसलने भी लगा था. पर कुछ सेकंड में ही वो मुझसे अलग हो गईं.
दीदी ने कुछ नहीं कहा और बोलीं- ये लाइट को भी अभी जाना था.
मैंने कहा- मैं देखता हूं.
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं- कहां जा रहा है तू?
मैंने कहा- दीदी लाइट क्यों गई, देखने जा रहा हूँ.
उन्होंने कहा- मुझे अंधेरे से डर लगता है.
मैंने कहा- ठीक है मैं यहीं आपके पास रुक जाता हूं.
उनका हाथ पकड़ कर जैसे ही मैं बेड की तरफ़ हुआ, तो मैं जानबूझ कर गिर गया और दीदी मेरे ऊपर गिर गईं. दीदी गरम गरम सांसें छोड़ने लगीं, जिसके कारण मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और उन्हें लिप किस कर दिया.
उन्होंने मुझे थप्पड़ मार दिया और उठ गईं, पर वो बोली कुछ नहीं.
मैंने उन्हें सॉरी बोल दिया, पर उन्होंने रिप्लाई ही नहीं दिया. तभी एकदम से लाइट आ गई और वो अपने रूम में चली गईं.
फिर अगले दिन सुबह उनका लैपटॉप ओपन नहीं हो रहा था. शायद वो कल रात अचानक लाइट के जाने से कुछ गड़बड़ हो गया था.
उन्होंने मुझे उसे रिपेयर करने के लिए बोला. तो मैंने कहा- ठीक है दीदी.
मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और सॉरी बोला, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा- किस लिए?
मैंने कहा- कल रात जो हुआ, उसके लिए.
दीदी ने कुछ नहीं कहा और वहां से चली गईं.
तभी अम्मी मेरे पास आई, तो मेरी फट गई कि कहीं दीदी ने अम्मी को तो कुछ नहीं बता दिया है.
मैं उन्हें मसलने भी लगा था. पर कुछ सेकंड में ही वो मुझसे अलग हो गईं.
दीदी ने कुछ नहीं कहा और बोलीं- ये लाइट को भी अभी जाना था.
मैंने कहा- मैं देखता हूं.
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं- कहां जा रहा है तू?
मैंने कहा- दीदी लाइट क्यों गई, देखने जा रहा हूँ.
उन्होंने कहा- मुझे अंधेरे से डर लगता है.
मैंने कहा- ठीक है मैं यहीं आपके पास रुक जाता हूं.
उनका हाथ पकड़ कर जैसे ही मैं बेड की तरफ़ हुआ, तो मैं जानबूझ कर गिर गया और दीदी मेरे ऊपर गिर गईं. दीदी गरम गरम सांसें छोड़ने लगीं, जिसके कारण मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और उन्हें लिप किस कर दिया.
उन्होंने मुझे थप्पड़ मार दिया और उठ गईं, पर वो बोली कुछ नहीं.
मैंने उन्हें सॉरी बोल दिया, पर उन्होंने रिप्लाई ही नहीं दिया. तभी एकदम से लाइट आ गई और वो अपने रूम में चली गईं.
फिर अगले दिन सुबह उनका लैपटॉप ओपन नहीं हो रहा था. शायद वो कल रात अचानक लाइट के जाने से कुछ गड़बड़ हो गया था.
उन्होंने मुझे उसे रिपेयर करने के लिए बोला. तो मैंने कहा- ठीक है दीदी.
मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और सॉरी बोला, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा- किस लिए?
मैंने कहा- कल रात जो हुआ, उसके लिए.
दीदी ने कुछ नहीं कहा और वहां से चली गईं.
तभी अम्मी मेरे पास आई, तो मेरी फट गई कि कहीं दीदी ने अम्मी को तो कुछ नहीं बता दिया है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.