04-07-2022, 01:35 PM
छ देर बाद दीदी का जबाव आया और उन्होंने कहा- पागल अपने भाई के साथ भला कौन सेक्स करता है? तुम पागल हो क्या?
मैंने बोला- इसमें कुछ गलत नहीं है और घर में ही सेक्स होता है, तो सुरक्षा भी रहती है. घर में ही मजे मिल जाते हैं. भाई भी खुश और मैं भी.
दीदी ने कहा- मुझे तुम्हारी बात सुनकर अजीब सा लग रहा है.
मैंने लिखा- कुछ अजीब नहीं होता यार! चूत और लंड की रिश्तेदारी सिर्फ चुदाई की होती है. तुम भी अपने भाई के साथ कोशिश करके देखो.
इस पर दीदी गुस्से से बोलीं कि हरगिज़ नहीं … ये पाप है.
मैंने कहा- बाहर करना क्या सही है?
वो बोलीं- फिर भी वो भाई है. मेरा उसके साथ सेक्स कैसे हो सकता है.
मैंने कहा- तुम अपने भाई को नोटिस करो कि क्या वो भी तुम्हें भी चुदाई की नज़र से देखता है या उसके मन भी तुम्हें लेकर कुछ नहीं है.
उसके बाद क्या था … दीदी भी सोच मैं पड़ गईं कि मैं उनके बारे में क्या सोचता हूं. शायद उन्हें मेरी निगाहें याद आने लगीं.
उस दिन दीदी ने ‘ओके देखती हूँ.’ कह कर चैट बंद कर दी.
फिर मैंने देखा कि दीदी मुझे देखने लगी थीं. मैं तो कब से उन्हें चोदने के लिए रेडी था.
अब दीदी मुझे देखतीं … और मैं भी उन्हें देखकर स्माइल दे देता. उनकी चूचियां देखता रहता, जिसे वो भी देख लेतीं.
कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा. फिर दीदी ने एक दिन मेरी आईडी पर मैसेज किया- हां मेरा भाई मुझे अपनी बहन के जैसे ही देखता है.
मैंने कहा- उसके सामने अपने मम्मों को थोड़ा सा दिखा कर देखो और उसके साथ मस्ती करो.
उन्होंने कहा- कैसी मस्ती?
मैंने कहा- उसे एक निक नाम से बुलाओ. उसके सामने छोटे कपड़े पहन कर जाओ और भी बहुत कुछ इस तरह से करो कि वो गरम हो जाए.
इस पर उन्होंने ‘ओके करती हूँ.’ कह कर चैट बंद कर दी.
वो एक दिन तो नार्मल ही रहीं, पर दूसरे दिन बाद अचानक से वो एक बड़े गले की शर्ट पहन कर मेरे पास आईं और मेरे सामने झुक कर कुछ उठाने लगीं. जैसे ही मैंने उन्हें देखा, तो उनके मम्मों को देखता ही रह गया. उन्होंने अन्दर नारंगी रंग की ब्रा पहनी हुई थी.
मैंने अपनी नज़र तुरंत हटा ली. मगर इतने में ही दीदी ने मुझे नोटिस कर लिया था कि मैं उन्हें देख रहा हूँ.
दीदी के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी. वो मेरे साथ बैठ कर बातें करने लगीं.
बार बार वो अपनी टी-शर्ट के ऊपर से ही अपनी चुस्त ब्रा को ठीक करने लगतीं, जो मेरे लंड को खड़ा करने पर मजबूर कर रहा था.
कुछ दिन तक ऐसा ही चलता रहा था.
एक दिन वो अपने रूम का दरवाजा खुला रख कर लेटी हुई थीं. तो मैंने सोचा कि शायद दीदी सो रही होंगी.
तो मैं उनके रूम में आ गया और उनके मम्मों पर हाथ रख दिया.
दीदी ने एकदम से दूसरी तरफ करवट ले ली. और मैं डर गया. मैं जल्दी से उनके रूम से बाहर आ गया.
फिर उस दिन मैं उनसे नज़र भी नहीं मिला पा रहा था. वो भी मुझसे ज़्यादा बात नहीं कर रही थीं.
मैं समझ गया कि वो उस समय जाग रही थीं और मेरे हाथों के स्पर्श को उन्होंने महसूस कर लिया था.
फिर मैं सोचने लगा कि यार अगर दीदी को बुरा लगा होता, तो वो मुझे उठकर थप्पड़ मार देतीं. पर उन्होंने ऐसा नहीं किया.
अब ये सोचते ही मैं थोड़ा रिलेक्स हो गया और दीदी से बात करने लगा.
दीदी भी मुझसे पहले के जैसे ही बात करने लगीं.
फिर अगले दिन दीदी शाम को मेरे रूम में झाड़ू लगा रही थीं. मैं जैसे ही अन्दर घुसा, तो अचानक से लाइट चली गई और मैं एकदम से दीदी के ऊपर गिर गया. इसी झटके में मैंने उनके मम्मों को बड़ी ज़ोर से पकड़ लिया.
मैंने बोला- इसमें कुछ गलत नहीं है और घर में ही सेक्स होता है, तो सुरक्षा भी रहती है. घर में ही मजे मिल जाते हैं. भाई भी खुश और मैं भी.
दीदी ने कहा- मुझे तुम्हारी बात सुनकर अजीब सा लग रहा है.
मैंने लिखा- कुछ अजीब नहीं होता यार! चूत और लंड की रिश्तेदारी सिर्फ चुदाई की होती है. तुम भी अपने भाई के साथ कोशिश करके देखो.
इस पर दीदी गुस्से से बोलीं कि हरगिज़ नहीं … ये पाप है.
मैंने कहा- बाहर करना क्या सही है?
वो बोलीं- फिर भी वो भाई है. मेरा उसके साथ सेक्स कैसे हो सकता है.
मैंने कहा- तुम अपने भाई को नोटिस करो कि क्या वो भी तुम्हें भी चुदाई की नज़र से देखता है या उसके मन भी तुम्हें लेकर कुछ नहीं है.
उसके बाद क्या था … दीदी भी सोच मैं पड़ गईं कि मैं उनके बारे में क्या सोचता हूं. शायद उन्हें मेरी निगाहें याद आने लगीं.
उस दिन दीदी ने ‘ओके देखती हूँ.’ कह कर चैट बंद कर दी.
फिर मैंने देखा कि दीदी मुझे देखने लगी थीं. मैं तो कब से उन्हें चोदने के लिए रेडी था.
अब दीदी मुझे देखतीं … और मैं भी उन्हें देखकर स्माइल दे देता. उनकी चूचियां देखता रहता, जिसे वो भी देख लेतीं.
कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा. फिर दीदी ने एक दिन मेरी आईडी पर मैसेज किया- हां मेरा भाई मुझे अपनी बहन के जैसे ही देखता है.
मैंने कहा- उसके सामने अपने मम्मों को थोड़ा सा दिखा कर देखो और उसके साथ मस्ती करो.
उन्होंने कहा- कैसी मस्ती?
मैंने कहा- उसे एक निक नाम से बुलाओ. उसके सामने छोटे कपड़े पहन कर जाओ और भी बहुत कुछ इस तरह से करो कि वो गरम हो जाए.
इस पर उन्होंने ‘ओके करती हूँ.’ कह कर चैट बंद कर दी.
वो एक दिन तो नार्मल ही रहीं, पर दूसरे दिन बाद अचानक से वो एक बड़े गले की शर्ट पहन कर मेरे पास आईं और मेरे सामने झुक कर कुछ उठाने लगीं. जैसे ही मैंने उन्हें देखा, तो उनके मम्मों को देखता ही रह गया. उन्होंने अन्दर नारंगी रंग की ब्रा पहनी हुई थी.
मैंने अपनी नज़र तुरंत हटा ली. मगर इतने में ही दीदी ने मुझे नोटिस कर लिया था कि मैं उन्हें देख रहा हूँ.
दीदी के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी. वो मेरे साथ बैठ कर बातें करने लगीं.
बार बार वो अपनी टी-शर्ट के ऊपर से ही अपनी चुस्त ब्रा को ठीक करने लगतीं, जो मेरे लंड को खड़ा करने पर मजबूर कर रहा था.
कुछ दिन तक ऐसा ही चलता रहा था.
एक दिन वो अपने रूम का दरवाजा खुला रख कर लेटी हुई थीं. तो मैंने सोचा कि शायद दीदी सो रही होंगी.
तो मैं उनके रूम में आ गया और उनके मम्मों पर हाथ रख दिया.
दीदी ने एकदम से दूसरी तरफ करवट ले ली. और मैं डर गया. मैं जल्दी से उनके रूम से बाहर आ गया.
फिर उस दिन मैं उनसे नज़र भी नहीं मिला पा रहा था. वो भी मुझसे ज़्यादा बात नहीं कर रही थीं.
मैं समझ गया कि वो उस समय जाग रही थीं और मेरे हाथों के स्पर्श को उन्होंने महसूस कर लिया था.
फिर मैं सोचने लगा कि यार अगर दीदी को बुरा लगा होता, तो वो मुझे उठकर थप्पड़ मार देतीं. पर उन्होंने ऐसा नहीं किया.
अब ये सोचते ही मैं थोड़ा रिलेक्स हो गया और दीदी से बात करने लगा.
दीदी भी मुझसे पहले के जैसे ही बात करने लगीं.
फिर अगले दिन दीदी शाम को मेरे रूम में झाड़ू लगा रही थीं. मैं जैसे ही अन्दर घुसा, तो अचानक से लाइट चली गई और मैं एकदम से दीदी के ऊपर गिर गया. इसी झटके में मैंने उनके मम्मों को बड़ी ज़ोर से पकड़ लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.