04-07-2022, 01:34 PM
उसके बाद जैसे ही उन्होंने अपनी जींस उतारी, मैं एकदम दंग रह गया. जींस के नीचे उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी. उनकी चूत एकदम मेरे सामने थी. दीदी की नंगी चुत को देखते ही मैं पागल हो गया.
एकदम झांट साफ़ की हुई दीदी की मस्त गुलाबी चूत मेरे सामने थी.
जींस उतारने के बाद उन्होंने अपने पैर फैलाए और अपनी चुत में अपनी उंगली हल्के से डाली. फिर मुँह से एक चुदास भरी आंह … आह … की आवाज निकाली.
फिर चूत से उंगली निकाल कर उन्होंने उसे चूसा और अपनी चुत की मलाई का स्वाद लिया. फिर एक दो मिनट शीशे के सामने अपनी चुत को मटका कर देखा और दूसरी जींस पहन ली.
इसके बाद कुछ देर तक दीदी अपने मम्मों को दबाती रहीं और एक नई टी-शर्ट पहन ली. इसके बाद उन्होंने हल्का सा मेकअप किया और कमरे से बाहर आ गईं.
मुझे वो अपने रूम के बाहर देखकर एकदम हैरान हो गईं.
उन्होंने पूछा- तू यहां क्या कर रहा है?
तो मैं हड़बड़ा गया और बोला- मैं आपको देख रहा था.
उन्होंने थोड़ा गुस्से में बोला- क्या?
मैंने बोला- मेरा मतलब कि मैं आपको देखने के लिए आया था कि अब क्या देर है.
मेरी इस बात से वो रिलेक्स हुईं और बोलीं- ओके … चलो अब!
फिर मैंने अपनी बाइक निकाली और उनसे बैठने के लिए बोला.
वो बाइक पर दोनों तरफ पैर करके बैठ गईं, जिससे उसके नरम नरम चूचे मेरी पीठ से रगड़ने लगे. मुझे मज़ा आने लगा.
तभी एक गड्डा आया, तो मैंने ब्रेक मारे. इससे मेरी दीदी की चूचियां मेरी पीठ से एकदम से रगड़ खा गईं और मैं आनन्द के सागर में गोते खाने लगा. अब मुझे समझ आ गया था कि दीदी की चूचियों का रगड़ सुख कैसे मिलेगा. अब कभी कभी मैं एकदम जोर से ब्रेक मारने लगा.
दो चार बार ऐसा हुआ तो दीदी बोलीं- कैसे बाइक चला रहा है? झटके लग रहे हैं. ठीक से चला ना!
उनकी बात सुनकर मैं डर गया और आराम से गाड़ी चलाने लगा.
फिर कुछ देर बाद मैंने दीदी को उनकी फ्रेंड के घर ड्राप किया, तो उन्होंने मुझे थैंक्यू कहा और बोला कि शाम को मैं फोन करूंगी तो तुम मुझे लेने आ जाना.
मैं ‘ठीक है’ बोल कर घर आ गया.
एकदम झांट साफ़ की हुई दीदी की मस्त गुलाबी चूत मेरे सामने थी.
जींस उतारने के बाद उन्होंने अपने पैर फैलाए और अपनी चुत में अपनी उंगली हल्के से डाली. फिर मुँह से एक चुदास भरी आंह … आह … की आवाज निकाली.
फिर चूत से उंगली निकाल कर उन्होंने उसे चूसा और अपनी चुत की मलाई का स्वाद लिया. फिर एक दो मिनट शीशे के सामने अपनी चुत को मटका कर देखा और दूसरी जींस पहन ली.
इसके बाद कुछ देर तक दीदी अपने मम्मों को दबाती रहीं और एक नई टी-शर्ट पहन ली. इसके बाद उन्होंने हल्का सा मेकअप किया और कमरे से बाहर आ गईं.
मुझे वो अपने रूम के बाहर देखकर एकदम हैरान हो गईं.
उन्होंने पूछा- तू यहां क्या कर रहा है?
तो मैं हड़बड़ा गया और बोला- मैं आपको देख रहा था.
उन्होंने थोड़ा गुस्से में बोला- क्या?
मैंने बोला- मेरा मतलब कि मैं आपको देखने के लिए आया था कि अब क्या देर है.
मेरी इस बात से वो रिलेक्स हुईं और बोलीं- ओके … चलो अब!
फिर मैंने अपनी बाइक निकाली और उनसे बैठने के लिए बोला.
वो बाइक पर दोनों तरफ पैर करके बैठ गईं, जिससे उसके नरम नरम चूचे मेरी पीठ से रगड़ने लगे. मुझे मज़ा आने लगा.
तभी एक गड्डा आया, तो मैंने ब्रेक मारे. इससे मेरी दीदी की चूचियां मेरी पीठ से एकदम से रगड़ खा गईं और मैं आनन्द के सागर में गोते खाने लगा. अब मुझे समझ आ गया था कि दीदी की चूचियों का रगड़ सुख कैसे मिलेगा. अब कभी कभी मैं एकदम जोर से ब्रेक मारने लगा.
दो चार बार ऐसा हुआ तो दीदी बोलीं- कैसे बाइक चला रहा है? झटके लग रहे हैं. ठीक से चला ना!
उनकी बात सुनकर मैं डर गया और आराम से गाड़ी चलाने लगा.
फिर कुछ देर बाद मैंने दीदी को उनकी फ्रेंड के घर ड्राप किया, तो उन्होंने मुझे थैंक्यू कहा और बोला कि शाम को मैं फोन करूंगी तो तुम मुझे लेने आ जाना.
मैं ‘ठीक है’ बोल कर घर आ गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.