04-07-2022, 01:23 PM
आज से तकरीबन 2.5 साल पहले मैं अपनी बुआ के घर गया हुआ था. मेरे साथ मेरी दादी जी भी थी. उस समय मेरी उम्र मात्र 19 साल थी और उस समय मुझे सेक्स का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था. अतः मैंने सपने में भी बुर को नहीं देखा था।
मैं और मेरी दादी वहां 1 दिन के लिए गए थे लेकिन बुआ जी ने जिद की कि हम आज रात वहीं रुक जायें तो इसलिए मैं और मेरी दादी वहीं रुक गए थे। वहां पर मेरी बुआ की बेटी और उसका भाई भी थे. मेरी बुआ की बेटी मनीषा भी मेरी हमउम्र ही थी, 19-20 साल की.
शाम को तकरीबन 7:00 बजे खाना खाने के बाद मेरी बुआ की बेटी मनीषा ने मुझसे कहा- चलो अब हम दोनों सो जाते हैं.
मैंने कहा- नहीं, अभी मैं थोड़ी देर और जागता हूं, तुम सो जाओ.
हम दोनों एक ही बिस्तर पर लेटे हुए थे और हमारे साथ में मनीषा का भाई भी था. उस समय वह छोटा था. मैंने और मनीषा ने एक ही कंबल ओढ़ा हुआ था.
मनीषा का फिगर बहुत ही अच्छा था उस समय. उसके बड़े बड़े चूचे, पतली सी कमर … व दिखने में भी मनीषा बहुत सुंदर थी।
मैं ऐसे ही लेटा हुआ था और रात के करीब 9:00 बज चुके थे.
मैंने सोचा चलो मनीषा के साथ थोड़ी मस्ती कर लूं और मैंने उसे कहा- मनीषा, चलो हम कोई खेल खेलते हैं अभी.
लेकिन उसने मेरी एक भी बात सुनी नहीं और मुझे लगा कि वह सो चुकी है.
तब मेरे मन में थोड़ी शरारत आयी, मैंने अपना दायाँ हाथ उसकी एक चूची पर रख दिया और मैंने सोने का नाटक किया. फिर मैंने अपने हाथ से अपनी जवान बहन की चूचियों को सहलाना शुरु कर दिया.
थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उसकी सलवार के अंदर डालना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे मैं अपना हाथ उसकी सलवार के अंदर डाल रहा था कि तभी अचानक उसने करवट ले ली।
मुझे लगा कि शायद उसे पता चल गया है लेकिन मैंने रुकने का नाम नहीं लिया और उसकी सलवार खोल दी. मुझे लगा कि वह अभी भी नींद में है. तो मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी बुर पर चलाना शुरु कर दिया.
उसकी बुर बहुत ही गर्म हो गई थी. मुझे नहीं पता था कि यह कैसे हुआ लेकिन वह आग की तरह तप रही थी.
उस समय मुझे ऐसा लगा कि मुझे उसके साथ यह सब नहीं करना चाहिए. और फिर मैंने अपना हाथ हटा लिया.
लेकिन जब मैं सोने ही वाला था तभी मैंने देखा कि मेरा हाथ मनीषा के हाथ में है और मनीषा मेरे हाथ को जोर जोर से दबा रही है.
मुझे लगा कि वह सो रही है या फिर वह सपने में ऐसा कुछ कर रही है.
लेकिन उसने मेरा हाथ खींच दिया और अपनी तरफ ले गयी. मनीषा मुझसे उम्र में एक साल बड़ी थी. मुझे लगा कि अब तक गुस्सा हो चुकी है लेकिन वह मुझसे बिल्कुल भी गुस्सा नहीं थी।
वह मुझे देखकर थोड़ा थोड़ा हंस रही थी. तभी मैं समझ गया था कि उसके मन में भी क्या चल रहा है. मैंने धीरे-धीरे उसकी चूचियों को दोबारा सहलाना शुरु कर दिया. उसने मेरी पैंट को उतार दिया था.
उस समय मैं ज्यादा कपड़ों में नहीं था, मैंने सिर्फ पैंट और बनियान पहना था। मैं आधा नंगा हो चुका था.
मैंने धीरे-धीरे अपनी बहन की चूचियां सहलाना शुरू कर दिया. मैं उसे चूमने लगा, उसे चाटने लगा. वह बिल्कुल आग की तरह तप रही थी. मुझे लगा कि वह बहुत ज्यादा गरम है.
मैं और मेरी दादी वहां 1 दिन के लिए गए थे लेकिन बुआ जी ने जिद की कि हम आज रात वहीं रुक जायें तो इसलिए मैं और मेरी दादी वहीं रुक गए थे। वहां पर मेरी बुआ की बेटी और उसका भाई भी थे. मेरी बुआ की बेटी मनीषा भी मेरी हमउम्र ही थी, 19-20 साल की.
शाम को तकरीबन 7:00 बजे खाना खाने के बाद मेरी बुआ की बेटी मनीषा ने मुझसे कहा- चलो अब हम दोनों सो जाते हैं.
मैंने कहा- नहीं, अभी मैं थोड़ी देर और जागता हूं, तुम सो जाओ.
हम दोनों एक ही बिस्तर पर लेटे हुए थे और हमारे साथ में मनीषा का भाई भी था. उस समय वह छोटा था. मैंने और मनीषा ने एक ही कंबल ओढ़ा हुआ था.
मनीषा का फिगर बहुत ही अच्छा था उस समय. उसके बड़े बड़े चूचे, पतली सी कमर … व दिखने में भी मनीषा बहुत सुंदर थी।
मैं ऐसे ही लेटा हुआ था और रात के करीब 9:00 बज चुके थे.
मैंने सोचा चलो मनीषा के साथ थोड़ी मस्ती कर लूं और मैंने उसे कहा- मनीषा, चलो हम कोई खेल खेलते हैं अभी.
लेकिन उसने मेरी एक भी बात सुनी नहीं और मुझे लगा कि वह सो चुकी है.
तब मेरे मन में थोड़ी शरारत आयी, मैंने अपना दायाँ हाथ उसकी एक चूची पर रख दिया और मैंने सोने का नाटक किया. फिर मैंने अपने हाथ से अपनी जवान बहन की चूचियों को सहलाना शुरु कर दिया.
थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उसकी सलवार के अंदर डालना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे मैं अपना हाथ उसकी सलवार के अंदर डाल रहा था कि तभी अचानक उसने करवट ले ली।
मुझे लगा कि शायद उसे पता चल गया है लेकिन मैंने रुकने का नाम नहीं लिया और उसकी सलवार खोल दी. मुझे लगा कि वह अभी भी नींद में है. तो मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी बुर पर चलाना शुरु कर दिया.
उसकी बुर बहुत ही गर्म हो गई थी. मुझे नहीं पता था कि यह कैसे हुआ लेकिन वह आग की तरह तप रही थी.
उस समय मुझे ऐसा लगा कि मुझे उसके साथ यह सब नहीं करना चाहिए. और फिर मैंने अपना हाथ हटा लिया.
लेकिन जब मैं सोने ही वाला था तभी मैंने देखा कि मेरा हाथ मनीषा के हाथ में है और मनीषा मेरे हाथ को जोर जोर से दबा रही है.
मुझे लगा कि वह सो रही है या फिर वह सपने में ऐसा कुछ कर रही है.
लेकिन उसने मेरा हाथ खींच दिया और अपनी तरफ ले गयी. मनीषा मुझसे उम्र में एक साल बड़ी थी. मुझे लगा कि अब तक गुस्सा हो चुकी है लेकिन वह मुझसे बिल्कुल भी गुस्सा नहीं थी।
वह मुझे देखकर थोड़ा थोड़ा हंस रही थी. तभी मैं समझ गया था कि उसके मन में भी क्या चल रहा है. मैंने धीरे-धीरे उसकी चूचियों को दोबारा सहलाना शुरु कर दिया. उसने मेरी पैंट को उतार दिया था.
उस समय मैं ज्यादा कपड़ों में नहीं था, मैंने सिर्फ पैंट और बनियान पहना था। मैं आधा नंगा हो चुका था.
मैंने धीरे-धीरे अपनी बहन की चूचियां सहलाना शुरू कर दिया. मैं उसे चूमने लगा, उसे चाटने लगा. वह बिल्कुल आग की तरह तप रही थी. मुझे लगा कि वह बहुत ज्यादा गरम है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.