04-07-2022, 01:19 PM
(This post was last modified: 04-07-2022, 01:19 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा हुआ था. मैंने अपने लंड को सपना की जांघ से सटा दिया. वो भी मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी. मैंने उसकी पैंटी में हाथ दे दिया.
मैंने धीरे से उसके कान में कहा कि वो अपनी पैंटी उतार ले.
मगर उसने कहा- अभी रिस्क है.
वो धीरे से बोली- तुम उंगली से ही करो, मैं हाथ से तुम्हारा (हस्तमैथुन) कर दूंगी.
फिर उसने मेरे लंड की मुठ मारनी शुरू कर दी. मेरा लौड़ा रॉड की तरह सख्त था. वो लंड पर अपने कोमल हाथ से मेरी मुठ मार रही थी.
मैंने उसकी चूत में उंगली करनी शुरू कर दी. उसको भी अब मजा आने लगा.
उसके बाद जब मुझसे रहा न गया तो मैंने कम्बल पूरा ओढ़ लिया. मैंने अंदर जाकर उसकी पजामी उतार दी. उसकी पैंटी को भी खींच दिया. अब मैं दोबारा से बाहर आ गया.
मैंने अपनी लोअर नीचे कर ली और उसकी चूत की ओर घूम गया. मैंने उसे भी अपनी ओर मुंह करने के लिए कहा. वो मान गयी. उसका भी मन कर रहा था कि लंड लेने के लिए.
अंदर ही अंदर मैंने उसकी चूत पर लंड से टच करना शुरू कर दिया. उसको मजा आने लगा और मैं उसके बदन से लिपटने लगा. बच्चे दूसरी तरफ गहरी नींद में सो रहे थे.
हम दोनों टीवी की आवाज का पूरा फायदा उठा रहे थे. चाची दूसरे कमरे में थी. टीवी वाले कमरे में हमारी रास लीला चल रही थी. मैं उसकी चूत पर लंड को रगड़ता रहा.
अब वो खुद ही अपनी चूत में लंड को लेने के लिए तैयार हो गयी. मैंने अपने 7 इंची लंड को बिल्कुल बाहर कर लिया. उसकी चूत के अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा.
मगर अभी लंड सही निशाने पर नहीं लग रहा था. फिर मैंने अंदर जाकर उसकी चूत पर लंड को सेट कर दिया. मैंने उसके चूतड़ों को अपने हाथों से अपनी ओर खींच कर लंड को आगे धकेल दिया.
मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया. मुझे मजा आने लगा और मैं धीरे धीरे उसकी चूत में लंड को घुसाने लगा. वो भी कसमसाने लगी. मेरा 7 इंची लंड उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था. उसकी चूत पानी छोड़ कर चिकनी हो रही थी इसलिए लंड गप से चूत में उतर जा रहा था.
चूंकि पहली बार मैंने सपना की चूत में लंड दिया था इसलिए मैं ज्यादा देर खुद को रोक नहीं पाया. 2-3 मिनट के अंदर ही मेरा पानी निकल गया. उसके थोड़ी देर के बाद ही चाचा आ गये. हम दोनों फंसते हुए मुश्किल से बचे.
फिर हमने रिस्क नहीं लिया. मैंने सपना से कहा कि मैं तुम्हें एक तरकीब बताता हूं ताकि हम दोनों स्वतंत्र रूप से मजा ले सकें. बिना किसी डर और बिना किसी जल्दबाजी के. वो भी पूछने लगी.
मैंने उसको पूरा प्लान बता दिया. कुछ दिन के बाद उसके छोटे भाई बहन के कॉलेज खुलने वाले थे. हमने तभी सब कुछ करने का प्लान किया.
एक दिन मैंने भी अपने कॉलेज से छुट्टी ले ली. सपना को भी मैंने उसी दिन घर पर रहने के लिए बोल दिया. उसने वैसा ही किया.
सपना ने मुझे पहले ही बता दिया था कि चाची उस दिन डॉक्टर के यहां जाने वाली है. दादा को लेकर चेक अप के लिए जाने वाले थे वो लोग. साथ में दादी भी जा रही थी. यह हम दोनों के लिए अच्छा मौका था.
उस दिन मैं तय वक्त पर चाचा के घर पहुंच गया. मेरा अपना ही घर था इसलिए किसी बाहर वाले का डर नहीं था. उसके बाद हमने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया.
दरवाजा बंद होते ही हम दोनों एक दूसरे पर टूट पड़े. हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. वो मेरे होंठों को चूस रही थी और मैं उसके होंठों को चूस रहा था.
जल्दी ही हम दोनों के दोनों ही नंगे हो गये थे. मैंने उसकी ब्रा और पैंटी को भी निकाल दिया. उसकी चूचियों को मैं दोनों हाथों में लेकर जोर से पीने लगा. वो सिसकारियां लेने लगी.
उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया. मैं भी पूरा नंगा था. वो मेरे लंड को हाथ में लेकर सहला रही थी. मैंने उसे टीवी वाले कमरे में बेड पर गिरा लिया. उसकी चूचियों को चूसते हुए मैं नीचे की ओर बढ़ा. वो जल बिन मछली के जैसे तड़पने लगी.
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मैंने धीरे से उसके कान में कहा कि वो अपनी पैंटी उतार ले.
मगर उसने कहा- अभी रिस्क है.
वो धीरे से बोली- तुम उंगली से ही करो, मैं हाथ से तुम्हारा (हस्तमैथुन) कर दूंगी.
फिर उसने मेरे लंड की मुठ मारनी शुरू कर दी. मेरा लौड़ा रॉड की तरह सख्त था. वो लंड पर अपने कोमल हाथ से मेरी मुठ मार रही थी.
मैंने उसकी चूत में उंगली करनी शुरू कर दी. उसको भी अब मजा आने लगा.
उसके बाद जब मुझसे रहा न गया तो मैंने कम्बल पूरा ओढ़ लिया. मैंने अंदर जाकर उसकी पजामी उतार दी. उसकी पैंटी को भी खींच दिया. अब मैं दोबारा से बाहर आ गया.
मैंने अपनी लोअर नीचे कर ली और उसकी चूत की ओर घूम गया. मैंने उसे भी अपनी ओर मुंह करने के लिए कहा. वो मान गयी. उसका भी मन कर रहा था कि लंड लेने के लिए.
अंदर ही अंदर मैंने उसकी चूत पर लंड से टच करना शुरू कर दिया. उसको मजा आने लगा और मैं उसके बदन से लिपटने लगा. बच्चे दूसरी तरफ गहरी नींद में सो रहे थे.
हम दोनों टीवी की आवाज का पूरा फायदा उठा रहे थे. चाची दूसरे कमरे में थी. टीवी वाले कमरे में हमारी रास लीला चल रही थी. मैं उसकी चूत पर लंड को रगड़ता रहा.
अब वो खुद ही अपनी चूत में लंड को लेने के लिए तैयार हो गयी. मैंने अपने 7 इंची लंड को बिल्कुल बाहर कर लिया. उसकी चूत के अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा.
मगर अभी लंड सही निशाने पर नहीं लग रहा था. फिर मैंने अंदर जाकर उसकी चूत पर लंड को सेट कर दिया. मैंने उसके चूतड़ों को अपने हाथों से अपनी ओर खींच कर लंड को आगे धकेल दिया.
मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया. मुझे मजा आने लगा और मैं धीरे धीरे उसकी चूत में लंड को घुसाने लगा. वो भी कसमसाने लगी. मेरा 7 इंची लंड उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था. उसकी चूत पानी छोड़ कर चिकनी हो रही थी इसलिए लंड गप से चूत में उतर जा रहा था.
चूंकि पहली बार मैंने सपना की चूत में लंड दिया था इसलिए मैं ज्यादा देर खुद को रोक नहीं पाया. 2-3 मिनट के अंदर ही मेरा पानी निकल गया. उसके थोड़ी देर के बाद ही चाचा आ गये. हम दोनों फंसते हुए मुश्किल से बचे.
फिर हमने रिस्क नहीं लिया. मैंने सपना से कहा कि मैं तुम्हें एक तरकीब बताता हूं ताकि हम दोनों स्वतंत्र रूप से मजा ले सकें. बिना किसी डर और बिना किसी जल्दबाजी के. वो भी पूछने लगी.
मैंने उसको पूरा प्लान बता दिया. कुछ दिन के बाद उसके छोटे भाई बहन के कॉलेज खुलने वाले थे. हमने तभी सब कुछ करने का प्लान किया.
एक दिन मैंने भी अपने कॉलेज से छुट्टी ले ली. सपना को भी मैंने उसी दिन घर पर रहने के लिए बोल दिया. उसने वैसा ही किया.
सपना ने मुझे पहले ही बता दिया था कि चाची उस दिन डॉक्टर के यहां जाने वाली है. दादा को लेकर चेक अप के लिए जाने वाले थे वो लोग. साथ में दादी भी जा रही थी. यह हम दोनों के लिए अच्छा मौका था.
उस दिन मैं तय वक्त पर चाचा के घर पहुंच गया. मेरा अपना ही घर था इसलिए किसी बाहर वाले का डर नहीं था. उसके बाद हमने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया.
दरवाजा बंद होते ही हम दोनों एक दूसरे पर टूट पड़े. हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. वो मेरे होंठों को चूस रही थी और मैं उसके होंठों को चूस रहा था.
जल्दी ही हम दोनों के दोनों ही नंगे हो गये थे. मैंने उसकी ब्रा और पैंटी को भी निकाल दिया. उसकी चूचियों को मैं दोनों हाथों में लेकर जोर से पीने लगा. वो सिसकारियां लेने लगी.
उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया. मैं भी पूरा नंगा था. वो मेरे लंड को हाथ में लेकर सहला रही थी. मैंने उसे टीवी वाले कमरे में बेड पर गिरा लिया. उसकी चूचियों को चूसते हुए मैं नीचे की ओर बढ़ा. वो जल बिन मछली के जैसे तड़पने लगी.
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.