04-07-2022, 01:18 PM
हम दोनों से ही काबू करना मुश्किल हो रहा था. सपना मेरे लंड पर हाथ चलाते हुए धीरे धीरे मेरे लंड की मुठ मारने लगी. मैं उसकी चूत में उंगली करता रहा. उसकी चूत पानी छोड़ रही थी. मेरा लंड भी फटने को हो रहा था.
इससे आगे कुछ करने का वहां पर चांस भी नहीं था क्योंकि परिवार के बाकी लोग भी वहीं पर थे. उस दिन हम लोग ऐसे ही बैठे बैठे मजे लेते रहे. फिर थोडी़ देर के बाद चाचा भी आ गये. चाची उठ कर दरवाजा खोलने गई और हमने अपने आप को व्यवस्थित कर लिया.
उस रात को हम ऐसे ही सो गये.
अगले दिन फिर सुबह उठे. चाची अपने घर के काम में लग गयी. चाचा काम पर चले गये. हम सब भाई बहन खेलने लगे.
थोड़ी देर के बाद चाची अपने पड़ोस में किसी के घर चली गयी. हम चारों घर में ही रह गये. अब सपना और मेरे पास अच्छा मौका था. मगर साथ में बाकी दो भी थे. इसलिए हम खुल कर कुछ नहीं कर सकते थे.
फिर हम लोगों ने छिपम छिपाई खेलने का प्लान किया. सभी तैयार हो गये. सपना और मैं दोनों ही मौके की तलाश में थे. जब खेल शुरू हुआ तो हम दूसरे कमरे में जाकर बैठ गये.
सपना छिपने के बहाने मेरी गोद में बैठ गयी. हम खुल कर ज्यादा कुछ कर नहीं सकते थे क्योंकि उसका भाई इतना भी छोटा नहीं था कि उसको कुछ पता ही न चले.
जब मेरी जवान बहन सपना मेरी गोद में बैठी थी तो मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. इतने में ही उसका भाई हमें ढूंढता हुआ आ गया. इस तरह एक दो बार मैंने सपना की चूची दबाई और उसने मेरे लंड को पकड़ा.
हम दोनों ने एक बार किस भी की. इससे ज्यादा कुछ नहीं हो पा रहा था. हम दोनों ही अब सेक्स के लिए बेसब्री तड़प गये थे. मगर मौका मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा था.
ऐसे ही कई दिन निकल गये. मगर हमें ज्यादा कुछ करने का मौका नहीं मिल पाया.
एक रात की बात है कि चाची जल्दी सो गयी थी. हम सारे बच्चे टीवी देख रहे थे. उस दिन चाचा भी देर से आने वाले थे.
अब हम इंतजार कर रहे थे कि बच्चों को नींद कब आये. आधे घंटे के अंदर सभी टीवी देखते हुए सो गये. उनके सोने के बाद हमने धीरे से लाइट बंद कर दी. चूंकि हम सब एक ही बेड पर सो रहे थे.
टीवी अभी चल रहा था. हम लोगों ने टीवी ऑन छोड़ दिया था. अभी तक चाचा भी नहीं आये थे इसलिए जागते रहना भी जरूरी था. कमरे में टीवी की हल्की रोशनी थी. हम दोनों ने कम्बल ओढ़ लिया.
इससे आगे कुछ करने का वहां पर चांस भी नहीं था क्योंकि परिवार के बाकी लोग भी वहीं पर थे. उस दिन हम लोग ऐसे ही बैठे बैठे मजे लेते रहे. फिर थोडी़ देर के बाद चाचा भी आ गये. चाची उठ कर दरवाजा खोलने गई और हमने अपने आप को व्यवस्थित कर लिया.
उस रात को हम ऐसे ही सो गये.
अगले दिन फिर सुबह उठे. चाची अपने घर के काम में लग गयी. चाचा काम पर चले गये. हम सब भाई बहन खेलने लगे.
थोड़ी देर के बाद चाची अपने पड़ोस में किसी के घर चली गयी. हम चारों घर में ही रह गये. अब सपना और मेरे पास अच्छा मौका था. मगर साथ में बाकी दो भी थे. इसलिए हम खुल कर कुछ नहीं कर सकते थे.
फिर हम लोगों ने छिपम छिपाई खेलने का प्लान किया. सभी तैयार हो गये. सपना और मैं दोनों ही मौके की तलाश में थे. जब खेल शुरू हुआ तो हम दूसरे कमरे में जाकर बैठ गये.
सपना छिपने के बहाने मेरी गोद में बैठ गयी. हम खुल कर ज्यादा कुछ कर नहीं सकते थे क्योंकि उसका भाई इतना भी छोटा नहीं था कि उसको कुछ पता ही न चले.
जब मेरी जवान बहन सपना मेरी गोद में बैठी थी तो मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. इतने में ही उसका भाई हमें ढूंढता हुआ आ गया. इस तरह एक दो बार मैंने सपना की चूची दबाई और उसने मेरे लंड को पकड़ा.
हम दोनों ने एक बार किस भी की. इससे ज्यादा कुछ नहीं हो पा रहा था. हम दोनों ही अब सेक्स के लिए बेसब्री तड़प गये थे. मगर मौका मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा था.
ऐसे ही कई दिन निकल गये. मगर हमें ज्यादा कुछ करने का मौका नहीं मिल पाया.
एक रात की बात है कि चाची जल्दी सो गयी थी. हम सारे बच्चे टीवी देख रहे थे. उस दिन चाचा भी देर से आने वाले थे.
अब हम इंतजार कर रहे थे कि बच्चों को नींद कब आये. आधे घंटे के अंदर सभी टीवी देखते हुए सो गये. उनके सोने के बाद हमने धीरे से लाइट बंद कर दी. चूंकि हम सब एक ही बेड पर सो रहे थे.
टीवी अभी चल रहा था. हम लोगों ने टीवी ऑन छोड़ दिया था. अभी तक चाचा भी नहीं आये थे इसलिए जागते रहना भी जरूरी था. कमरे में टीवी की हल्की रोशनी थी. हम दोनों ने कम्बल ओढ़ लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.