04-07-2022, 01:15 PM
मैंने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मेरा लंड दीदी की चिकनी चूत में अंदर बाहर होने लगा और दोनों को चुदाई का मजा आने लगा. अपने चचेरी बहन की चूत चोदने में इतना मजा आयेगा मैंने कभी सोचा भी नहीं था.
उधर दीदी को भी घर में ही लंड मिल गया था. वो भी मस्ती में अपनी चूत को चुदवाने लगी. कभी मेरे गालों को काटने लगती तो कभी मेरी गर्दन पर किस कर रही थी.
मैंने जोर जोर से दीदी की चूत में लंड के धक्के लगाना शुरू कर दिये. दीदी भी गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी. ऐसा लग रहा था कि जैसे दीदी को मैं चोद रहा हूं और प्रत्युत्तर में दीदी मुझे चोद रही थी.
चचेरी बहन की चूत चुदाई करने में मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैं बीच बीच में दीदी के बूब्स को भी भींच रहा था. दीदी एकदम से मस्त हो गयी थी. दस मिनट के अंदर ही दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया.
जैसे ही चूत से पानी निकला तो फिर पच-पच की आवाज आने लगी. इस आवाज ने मेरे जोश को और ज्यादा बढ़ा दिया. मैं अब दोगुनी तेजी के साथ अपनी चचेरी बहन की चूत को चोदने लगा. फिर मैंने दीदी की टांगों को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया.
ये पोजीशन में पोर्न वीडियो में देखी हुई थी. मैंने दीदी की चूत में लंड पेल दिया. एक हाथ से मैंने दीदी की टांगों को उठाया हुआ था और नीचे से मैं दीदी की चूत में लंड को पेल रहा था.
दीदी की आंखें बंद होने लगी थीं. वो चुदाई में एकदम से मस्त होकर मदहोश हो गयी थी. लगभग पंद्रह मिनट तक मैंने दीदी की चूत को पेला और फिर मैं भी एक बार फिर से झड़ने के करीब पहुंच गया.
मैंने जोर जोर से धक्के लगाते हुए दीदी की चूत में अपना माल गिरा दिया. मैं हांफता हुआ दीदी के ऊपर ही लेट गया. दीदी मेरी पीठ को प्यार से सहलाने लगी.
फिर उन्होंने मुझे एक तरफ लिटाया और मेरे होंठों को चूसने लगी.
वो बोली- तुम्हारे साथ मुझे सेक्स का असली सुख मिला है मुझे. तुम मुझसे दूर कभी नहीं जाना.
मैंने कहा- हां दीदी, मैं भी आपको बहुत पसंद करने लगा हूं. मैं आपके साथ ही रहना चाहता हूं. मैं अपनी कज़िन सिस्टर को सेक्स की कमी नहीं होने दूंगा.
उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर पड़े रहे. पहली चुदाई के बाद मैंने दीदी की चूत दो बार और चोदी. मैं पूरी तरह से थक गया और फिर सो गया.
जब मेरी नींद खुली तो दीदी मेरे पास नहीं थी. शाम हो चुकी थी. हम दोनों अब भाई-बहन से ज्यादा बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड की तरह रहने लगे थे. जब भी हमें अकेले में मौका मिलता, मैं कज़िन सिस्टर के साथ सेक्स का मजा लेता. दीदी भी काफी खुश रहने लगी थी.
उधर दीदी को भी घर में ही लंड मिल गया था. वो भी मस्ती में अपनी चूत को चुदवाने लगी. कभी मेरे गालों को काटने लगती तो कभी मेरी गर्दन पर किस कर रही थी.
मैंने जोर जोर से दीदी की चूत में लंड के धक्के लगाना शुरू कर दिये. दीदी भी गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी. ऐसा लग रहा था कि जैसे दीदी को मैं चोद रहा हूं और प्रत्युत्तर में दीदी मुझे चोद रही थी.
चचेरी बहन की चूत चुदाई करने में मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैं बीच बीच में दीदी के बूब्स को भी भींच रहा था. दीदी एकदम से मस्त हो गयी थी. दस मिनट के अंदर ही दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया.
जैसे ही चूत से पानी निकला तो फिर पच-पच की आवाज आने लगी. इस आवाज ने मेरे जोश को और ज्यादा बढ़ा दिया. मैं अब दोगुनी तेजी के साथ अपनी चचेरी बहन की चूत को चोदने लगा. फिर मैंने दीदी की टांगों को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया.
ये पोजीशन में पोर्न वीडियो में देखी हुई थी. मैंने दीदी की चूत में लंड पेल दिया. एक हाथ से मैंने दीदी की टांगों को उठाया हुआ था और नीचे से मैं दीदी की चूत में लंड को पेल रहा था.
दीदी की आंखें बंद होने लगी थीं. वो चुदाई में एकदम से मस्त होकर मदहोश हो गयी थी. लगभग पंद्रह मिनट तक मैंने दीदी की चूत को पेला और फिर मैं भी एक बार फिर से झड़ने के करीब पहुंच गया.
मैंने जोर जोर से धक्के लगाते हुए दीदी की चूत में अपना माल गिरा दिया. मैं हांफता हुआ दीदी के ऊपर ही लेट गया. दीदी मेरी पीठ को प्यार से सहलाने लगी.
फिर उन्होंने मुझे एक तरफ लिटाया और मेरे होंठों को चूसने लगी.
वो बोली- तुम्हारे साथ मुझे सेक्स का असली सुख मिला है मुझे. तुम मुझसे दूर कभी नहीं जाना.
मैंने कहा- हां दीदी, मैं भी आपको बहुत पसंद करने लगा हूं. मैं आपके साथ ही रहना चाहता हूं. मैं अपनी कज़िन सिस्टर को सेक्स की कमी नहीं होने दूंगा.
उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर पड़े रहे. पहली चुदाई के बाद मैंने दीदी की चूत दो बार और चोदी. मैं पूरी तरह से थक गया और फिर सो गया.
जब मेरी नींद खुली तो दीदी मेरे पास नहीं थी. शाम हो चुकी थी. हम दोनों अब भाई-बहन से ज्यादा बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड की तरह रहने लगे थे. जब भी हमें अकेले में मौका मिलता, मैं कज़िन सिस्टर के साथ सेक्स का मजा लेता. दीदी भी काफी खुश रहने लगी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.