04-07-2022, 01:13 PM
फिर मैंने कहा- दीदी मुझे भी डांस सिखा दो न, आपको तो बहुत अच्छा डांस आता है.
वो बोली- अभी?
मैंने कहा- हां, अभी ही सिखा दो.
वो बोली- कौन सा डांस सीखना चाहते हो?
मैंने कहा- सालसा.
वो बोली- ठीक है.
चाय के खाली कप रखने के बाद हम दोनों खड़े हो गये.
वो बोली- सबसे पहले अपने पार्टनर की कमर में एक हाथ रखो और दूसरे हाथ से उसके हाथ को पकड़ लो.
मैंने बिल्कुल वैसे ही दीदी को पकड़ लिया.
हम दोनों एक दूसरे की बांहों में थे. हम दोनों की सांसें आपस में टकरा रही थीं. मेरी छाती दीदी की छाती से सटी हुई थी. उनकी चूचियां मेरी छाती पर आकर सट गयी थीं.
मेरा खड़ा लंड उनकी जांघों के बीच में और उनकी चूचियां मेरे सीने में घुसने को बेताब थीं. दीदी की तनी हुई सी चूचियां बता रही थीं कि वो भी गर्म हो रही हैं.
उनकी चूचियों में जो तनाव मैं इस वक्त महसूस कर रहा था वो मैंने सिनेमा हॉल में दीदी के साथ मूवी देखने के टाइम पर नहीं किया था. फिर हम दोनों डांस करने लगे. डांस करते हुए मैं दीदी पर पूरा ही झुक गया. मैं उनके कंधे पर चूमने लगा.
दीदी की पकड़ भी मेरी कमर पर मजबूत होती जा रही थी. मैं नशे में था और वो जोश में थी. हम दोनों एक दूसरे से जैसे चिपकने ही वाले थे. मैं दीदी के गले लग गया था. मन कर रहा था दीदी को चोद ही दूं.
फिर मैं उनसे अलग होने लगा. जब मैं अलग हुआ तो दीदी की आंखें मस्ती में बंद हो गयी थीं. मैंने उनके होंठों को देखा. उनके होंठ मुझे ऐसा इशारा कर रहे थे कि जैसे कह रहे हों कि आकर मेरे रस को पी लो.
मैंने हिम्मत करके दीदी के होंठों से अपने होंठों को सटा दिया. मैंने दीदी के होंठों को हल्के हल्के से चूमना शुरू कर दिया. वो भी आश्चर्यजनक रूप से मेरा साथ देने लगी. मुझे उम्मीद नहीं थी कि दीदी इतनी जल्दी पट जायेगी.
अब मेरे हाथ दीदी की चूचियों की ओर बढ़ गये. मैंने दीदी की चूचियों को भी दबाना शुरू कर दिया. दीदी थोड़ी शर्मा भी रही थी. हम दोनों ही थोड़े थोड़े शरमा रहे थे और साथ ही साथ प्यार में भी थे.
धीरे धीरे जैसे सब कुछ अपने आप ही होता जा रहा था. मुझे दीदी की चूचियों को दबाने में बहुत मजा आ रहा था और दीदी भी मेरी हरकतों को पूरा मजा लेकर इंजॉय कर रही थी. तलाक होने के बाद शायद उन्होंने किसी के साथ सेक्स नहीं किया था.
वो बोली- अभी?
मैंने कहा- हां, अभी ही सिखा दो.
वो बोली- कौन सा डांस सीखना चाहते हो?
मैंने कहा- सालसा.
वो बोली- ठीक है.
चाय के खाली कप रखने के बाद हम दोनों खड़े हो गये.
वो बोली- सबसे पहले अपने पार्टनर की कमर में एक हाथ रखो और दूसरे हाथ से उसके हाथ को पकड़ लो.
मैंने बिल्कुल वैसे ही दीदी को पकड़ लिया.
हम दोनों एक दूसरे की बांहों में थे. हम दोनों की सांसें आपस में टकरा रही थीं. मेरी छाती दीदी की छाती से सटी हुई थी. उनकी चूचियां मेरी छाती पर आकर सट गयी थीं.
मेरा खड़ा लंड उनकी जांघों के बीच में और उनकी चूचियां मेरे सीने में घुसने को बेताब थीं. दीदी की तनी हुई सी चूचियां बता रही थीं कि वो भी गर्म हो रही हैं.
उनकी चूचियों में जो तनाव मैं इस वक्त महसूस कर रहा था वो मैंने सिनेमा हॉल में दीदी के साथ मूवी देखने के टाइम पर नहीं किया था. फिर हम दोनों डांस करने लगे. डांस करते हुए मैं दीदी पर पूरा ही झुक गया. मैं उनके कंधे पर चूमने लगा.
दीदी की पकड़ भी मेरी कमर पर मजबूत होती जा रही थी. मैं नशे में था और वो जोश में थी. हम दोनों एक दूसरे से जैसे चिपकने ही वाले थे. मैं दीदी के गले लग गया था. मन कर रहा था दीदी को चोद ही दूं.
फिर मैं उनसे अलग होने लगा. जब मैं अलग हुआ तो दीदी की आंखें मस्ती में बंद हो गयी थीं. मैंने उनके होंठों को देखा. उनके होंठ मुझे ऐसा इशारा कर रहे थे कि जैसे कह रहे हों कि आकर मेरे रस को पी लो.
मैंने हिम्मत करके दीदी के होंठों से अपने होंठों को सटा दिया. मैंने दीदी के होंठों को हल्के हल्के से चूमना शुरू कर दिया. वो भी आश्चर्यजनक रूप से मेरा साथ देने लगी. मुझे उम्मीद नहीं थी कि दीदी इतनी जल्दी पट जायेगी.
अब मेरे हाथ दीदी की चूचियों की ओर बढ़ गये. मैंने दीदी की चूचियों को भी दबाना शुरू कर दिया. दीदी थोड़ी शर्मा भी रही थी. हम दोनों ही थोड़े थोड़े शरमा रहे थे और साथ ही साथ प्यार में भी थे.
धीरे धीरे जैसे सब कुछ अपने आप ही होता जा रहा था. मुझे दीदी की चूचियों को दबाने में बहुत मजा आ रहा था और दीदी भी मेरी हरकतों को पूरा मजा लेकर इंजॉय कर रही थी. तलाक होने के बाद शायद उन्होंने किसी के साथ सेक्स नहीं किया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.