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Incest शादीशुदा बहन को मस्ती से चोदा
दीदी बोली- तू यहां मेरे पास आ जाया कर!
मैंने बिना सोचे हां कर दिया.
वो बोली- ठीक है, कल तेरे जीजा सुबह ड्यूटी पर निकल जायेंगे. उसके बाद तू आ जाना.
मैंने कहा- ठीक है दीदी. मैं पहुंच जाऊंगा.

अगले दिन दोपहर में मैं दीदी के रूम पर जा पहुँचा. दीदी ने रूम का दरवाजा खोला तो मैं उनको देख कर हतप्रभ रह गया।
मैंने सरिता दीदी को जब साड़ी में देखा तो देखता रह गया. दीदी पहले से भी ज्यादा खूबसूरत दिखाई दे रही थी. शादी के बाद उनका बदन और भी खिल चुका था।

दीदी लाल रंग की साड़ी और ब्लाउज में थी. पैर रंगे हुए थे और पैरों में पायल थी. हाथों में मेहँदी लगी हुई थी और लाल रंग की चूड़ियां खूब जंच रही थी. गले में लम्बा सा मंगलसूत्र और होंठों पर लाल रंग की लिपस्टिक थी. मेकअप किया हुआ चेहरा, कानों में झुमके, मांग में सिंदूर के साथ दीदी बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।

मन तो कर था कि दीदी को तुरन्त बांहों में भर लूं और दीदी को चोद डालूं।
वो बोली- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- देख रहा हूँ कि तुम कितना बदल गई हो.
दीदी ने कहा- क्यों अच्छी नहीं दिख रही हूं क्या?

मैंने कहा- नहीं आप तो पहले से भी मस्त माल दिख रही हो. जीजा ने आपके रंग और अंग को और ज्यादा निखार दिया है. मन तो कर रहा है कि अभी बिस्तर पर ले जाकर निचोड़ दूं और आपकी खिली हुई जवानी का पूरा रस पी जाऊं।

दीदी ने हँसते हुए दरवाजा बंद करते हुए कहा- अब मैं किसी और की अमानत हूँ. किसी और के माल पर बुरी नजर नहीं डालते।
मैंने दीदी का हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचते हुए बोला- और शादी के पहले ये माल मेरा था. अब उसी माल को जीजा चोद रहे हैं.

उसने मेरे गालों पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा- नहीं, तुमने अपने जीजा के माल को उनसे भी पहले ही चोद लिया.
ऐसा कह कर वो जोर जोर से खिलखिलाकर हंसने लगी.

मैंने सरिता दीदी को अपनी बांहों में लेते हुए कहा- कहीं जाने के लिए तैयार हो क्या?
वो बोली- नहीं, कहीं नहीं जाना. पहले तुम ये बताओ कि क्या पीओगे?
मैंने दीदी को अपनी बांहों में कसते हुए बोला- अपनी प्यारी बहना के गदराए बदन पर चढ़ी हुई जवानी का रस।

ये कहते हुए मैंने दीदी के चेहरे को अपने हाथों में लिया और उनकी नज़र से अपनी नज़र मिला दी.
दीदी मेरी आँखों में देखती हुई बोली- तो फिर पी लो ना … रोका किसने है?

मैंने उनके दोनों होंठों को अपने होंठों के अंदर लिया और उनके होंठों से लिपस्टिक को अपनी जीभ से चाट गया। उसके बाद पता नहीं कितनी देर तक मैं दीदी को वहीं खड़े खड़े चूसता रहा. कभी मैं दीदी के होंठों को तो कभी दीदी मेरे होंठों को. कभी मैं दीदी की जीभ को तो कभी वो मेरी जीभ को चूस रही थी.

कुछ देर तक ऐसे ही एक दूसरे को चूमने के बाद मैंने साड़ी का पल्लू पकड़ा और दीदी के कंधे से पिन निकाल कर पल्लू को गिरा दिया. मैंने अपने हाथ नीचे ले जाकर दीदी की साड़ी को उनकी कमर में से निकाल दिया.

साथ ही मैंने दीदी की साड़ी को और पेटीकोट की डोरी को एक साथ खोल दिया. इसके साथ ही दीदी की साड़ी और पेटीकोट दोनों एक साथ जमीन पर गिर गए। अब दीदी ब्लाउज और पैंटी में मेरे सामने थी.

दीदी अब तक बिल्कुल गर्म हो चुकी थी. मैंने दीदी के ब्लाउज का हुक खोल कर ब्लाउज को निकाल दिया. अब दीदी लाल कलर की ब्रा और पैंटी में मेरे सामने थी। तभी दीदी ने मुझे धक्का देकर दीवार से सटा दिया.

फिर उसने मेरी शर्ट के बटन खोल कर मेरी शर्ट निकाल दी और फिर उसने मेरी बनियान को भी निकाल फेंका। अब उसने मेरे जिस्म पर चुम्बन करना शुरू किया. मैं पागल होने लगा.

उसने पहले मेरे होंठों को चूसना शुरू किया. बहुत देर तक चूसने के बाद उसने मेरे सीने को चूमना शुरू किया. वो मेरे निप्पल्स को बारी बारी से मुंह में लेकर चूस रही थी जिससे मेरे अंदर एक मादकता भरती जा रही थी.

उसके बाद दीदी ने मेरी चड्डी में हाथ दिया और मेरे लंड को सहलाने लगी। अब दीदी मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गयी और मेरी लोवर के ऊपर से मेरे तने हुए लंड पर हाथ फिराने लगी. उसको मेरा लंड बहुत पसंद था.

अब दीदी ने मेरी लोअर को खींच कर नीचे कर दिया. मेरा लौड़ा मेरे अंडरवियर में तड़प रहा था. उसने अंडरवियर को आगे से गीला कर दिया था. दीदी ने मेरे अंडरवियर को उतार दिया और मेरा मोटा लंड बाहर निकल कर झूलते हुए दीदी के सामने फनफनाने लगा.

दीदी मेरे लंड को प्यास भरी नजर से देख रही थी. उसने मेरे लंड पर एक किस कर दी और फिर प्यार से मुंह खोल कर मेरे लंड को अपने होंठों के अंदर समा लिया. दीदी ने मेरे लंड को अपने मुंह में पूरा भर लिया और चूसने लगी.

क्या बताऊं दोस्तो, दीदी ऐसा लंड चूसती थी कि मैं शब्दों में उस आनंद का वर्णन नहीं कर सकता. मेरे लंड को ऊपर से नीचे तक दीदी ने अपने थूक में गीला कर दिया था. अब वो मेरे लंड के साथ साथ मेरे आण्डों को भी चूसने लगी थी.

मुझे इतना मजा आ रहा था कि मेरे मुंह से बहुत कामुक सिसकारियां निकल रही थीं- अह्हह … इशस्स् … आ्हह दीदी … उम्म … दीदी … ओह्ह.. क्या मस्त चूस रही हो। आह्ह् … बहुत मजा आ रहा है दीदी.

पांच मिनट में ही दीदी ने मुझे मेरी उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुंचा दिया. मैंने दीदी के सिर को पकड़ लिया और एक दो धक्के उसके मुंह में दिये कि तभी मेरे लंड से वीर्य निकल पड़ा जिसको दीदी ने अपने मुंह में अंदर ही पी लिया.

फिर दीदी ने मेरे लंड को अपने मुंह से निकाला और बोली- अब तुम्हारी बारी है.
मैंने दीदी के कंधों को पकड़ कर दीदी को खड़ा कर दिया और अपने सीने से दीदी को लगा लिया. पीछे हाथ ले जाकर मैंने उनकी ब्रा का हुक खोल कर ब्रा को निकाल दिया. दीदी की चूची नंगी हो गयी. मैंने देखा कि दीदी की चूचियों का साइज अब पहले से काफी बड़ा हो गया था.

शायद जीजा जी दीदी की चूची खूब दबाते थे. दीदी को भी अपनी चूची दबवाना और पिलाना बहुत पसंद था. मैंने बड़ी दीदी को दीवार से सटा दिया और उसके गले में पड़े मंगलसूत्र को निकाल दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: शादीशुदा बहन को मस्ती से चोदा - by neerathemall - 04-07-2022, 01:08 PM



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