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Incest खेल खेल में
#5
“चल बहुत हो गया … अब सो जा … बाकी कल करेंगे।” राहुल बत्ती बन्द करके आ गया और मेरे पास ही लेट गया।
“नेहा … चूत में लण्ड कैसे जाता है … तुझे पता है … ?” अब मुझे मौका मिल ही गया। भैया को अब ज्यादा तड़पाना ठीक नही, मैंने सोचा अब चुदवाना ही ठीक है।
“नहीं रे … तू कोशिश करेगा … करके देख … शायद लण्ड घुसेगा ही नहीं … !” मुझे पता था, शायद उसे भी पता था … कि घुसेगा कैसे नहीं।
“उसके लिये क्या करूँ … कैसे घुसाऊँ …? “
“ऐसा कर तू मेरे ऊपर आजा … और लण्ड को चूत पर रख कर जोर लगा … आजा ऊपर आजा … और कोशिश करके देख … !” मुझे सिरहन होने लगी थी … कि ये चोद डालेगा … !
वो नंगा तो था ही, मेरी टांगों के बीच में आ गया … मेरा शरीर तो वासना के मारे कांप गया। अब लण्ड अन्दर घुसेगा … इन्तज़ार था … ।
उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर रखा और जोर मारा। मेरी चूत तो पहले ही गीली हो चुकी थी। वो एकदम अन्दर घुस पड़ा। मैं तड़प उठी।
“पूरा नहीं गया है और जोर लगा !” अब मेरे ऊपर लेट गया और जोर लगा कर लण्ड पूरा घुसा दिया।
“दीदी इसमें तो बहुत मजा आ रहा है … !”
“हां … राहुल … मुझे भी मजा आ रहा है … और कर … अन्दर बाहर कर … ” मैं तो पहले भी चुदवा चुकी थी ये तो एक बहाना था भैया को पटाने का।
उसने मुझे चोदना शुरु कर दिया। “हाय रे दीदी … क्या मस्त है … खूब मजा आ रहा है …!”
“भैया … और धक्के मार … जोर से मार … लगा यार … हाय … बहुत मजा देता है रे तू तो … !”
“दीदी … ” उसने जोश में मेरे बोबे मसलने चालू कर दिये। उसके धक्के बढ़ते जा रहे थे … मुझे जोर से जकड़ता भी जा रहा था। मैं आनन्द से निहाल हो रही थी। अब वो तेज और जल्दी जल्दी धक्के मार रहा था। अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ … मुझे और चुदाई चाहिये थी पर अपने को रोक नहीं पाई। और झड़ने लगी … इतने में राहुल भी मेरे से चिपट गया और उसके लण्ड ने माल उगल दिया। वो मेरे ऊपर ही पड़ गया।
“अरे हट ना राहुल … ये क्या कर दिया तूने …!”
“मुझे क्या पता … अपन तो कोशिश कर रहे थे ना … इसमें दीदी खूब ही मजा आता है … और करें दीदी …? “
“इसे चुदाई कहते हैं … समझा … और चोदेगा क्या … ले आजा … सुन पीछे भी तो एक छेद है … उसमें इस बार कोशिश कर !” मैंने उसके लण्ड को मसलते हुए कहा।
“कहाँ दीदी गाण्ड के छेद में …? “
” हां रे … देख उसमें घुसता है या नहीं … !” कुछ ही देर में वो फिर लोहे जैसा कड़क हो गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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खेल खेल में - by neerathemall - 04-07-2022, 11:30 AM
RE: खेल खेल में - by neerathemall - 04-07-2022, 11:31 AM



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