29-06-2022, 04:55 PM
मेरी समझ में नहीं रहा था कि मैं क्या करूं.
मेरी मां ठंड से कांप रही थीं और मैं कुछ नहीं कर पा रहा था.
मां के हाथ पैर बिल्कुल ठंडे पड़ गए थे.
मैं उन्हें रगड़ रहा था, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.
बिजली भी गुल थी. हीटर आदि भी नहीं चला पा रहा था मैं!
मेरी घबराहट से हालत खराब थी.
जैसे जैसे वक़्त बीत रहा था, मां की हालत और खराब होती जा रही थी.
उनका शरीर पूरा ठंडा पड़ गया था.
मेरी मां ठंड की वज़ह से बेहोश हो रही थीं, बस उन्हें हल्का हल्का ही होश था.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं.
तभी मेरे दिमाग में ख्याल आया कि अगर एक मर्द किसी औरत को अपने जिस्म से चिपका कर रखे और उसे जिस्मानी गर्मी दे, तो शायद औरत की जान बच सकती है.
ये सोच कर मैंने मां की तरफ देखा और सोचा कि शायद इसी तरह से मैं कुछ करूं तो मेरी मां की जान बच जाएगी.
अगर मैंने जल्द कुछ नहीं किया और सोचता रहा तो इसी तरह से पूरी रात बीत जाएगी और मां के साथ कुछ भी हो सकता है.
अब मुझे ये समझ नहीं आ रहा था कि मां के लिए किसे बुलाऊं, पापा भी घर पर नहीं हैं. अगर किसी और को बुलाता हूँ तो बाद में बदनामी होगी.
बहुत सोचने के बाद मैंने खुद अपनी मां के साथ चिपक कर उनको जिस्मानी गर्मी देने का सोचा.
उसके बाद मैं मां के साथ रजाई में घुस गया और सिर्फ अंडरवियर में लेट गया.
मैंने मां को अपने बदन से चिपका लिया.
मुझे मां के बदन से चिपकने में बहुत अजीब सा लगने लगा.
मेरा लौड़ा पूरा तन कर खड़ा हो गया था जो मां की गांड में बार बार टच हो रहा था.
लेकिन मेरा कोई गलत इरादा नहीं था. ये तो मज़बूरी थी.
इतना करने के बाद भी जब मेरी मां की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा तो मैंने मां की नाइटी उतार दी.
अब मेरी मां मेरे सामने बिल्कुल नंगी थीं. मेरा लंड भी अब कंट्रोल से एकदम बाहर था.
मैंने मां को अपने सीने से लगा रखा था और उनके बदन को हाथों से रगड़ रहा था.
काफी देर तक ये करने के बाद मेरा माल चड्डी में ही निकल गया और मुझे चिपचिपा लगने लगा था.
मैंने लंड पौंछ कर चड्डी उतार दी.
अब मैं और मेरी मां बिस्तर पर बिल्कुल नंगे लेटे थे.
मेरा लंड झड़ने के बाद अब भी खड़ा था.
मेरी मां ठंड से कांप रही थीं और मैं कुछ नहीं कर पा रहा था.
मां के हाथ पैर बिल्कुल ठंडे पड़ गए थे.
मैं उन्हें रगड़ रहा था, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.
बिजली भी गुल थी. हीटर आदि भी नहीं चला पा रहा था मैं!
मेरी घबराहट से हालत खराब थी.
जैसे जैसे वक़्त बीत रहा था, मां की हालत और खराब होती जा रही थी.
उनका शरीर पूरा ठंडा पड़ गया था.
मेरी मां ठंड की वज़ह से बेहोश हो रही थीं, बस उन्हें हल्का हल्का ही होश था.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं.
तभी मेरे दिमाग में ख्याल आया कि अगर एक मर्द किसी औरत को अपने जिस्म से चिपका कर रखे और उसे जिस्मानी गर्मी दे, तो शायद औरत की जान बच सकती है.
ये सोच कर मैंने मां की तरफ देखा और सोचा कि शायद इसी तरह से मैं कुछ करूं तो मेरी मां की जान बच जाएगी.
अगर मैंने जल्द कुछ नहीं किया और सोचता रहा तो इसी तरह से पूरी रात बीत जाएगी और मां के साथ कुछ भी हो सकता है.
अब मुझे ये समझ नहीं आ रहा था कि मां के लिए किसे बुलाऊं, पापा भी घर पर नहीं हैं. अगर किसी और को बुलाता हूँ तो बाद में बदनामी होगी.
बहुत सोचने के बाद मैंने खुद अपनी मां के साथ चिपक कर उनको जिस्मानी गर्मी देने का सोचा.
उसके बाद मैं मां के साथ रजाई में घुस गया और सिर्फ अंडरवियर में लेट गया.
मैंने मां को अपने बदन से चिपका लिया.
मुझे मां के बदन से चिपकने में बहुत अजीब सा लगने लगा.
मेरा लौड़ा पूरा तन कर खड़ा हो गया था जो मां की गांड में बार बार टच हो रहा था.
लेकिन मेरा कोई गलत इरादा नहीं था. ये तो मज़बूरी थी.
इतना करने के बाद भी जब मेरी मां की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा तो मैंने मां की नाइटी उतार दी.
अब मेरी मां मेरे सामने बिल्कुल नंगी थीं. मेरा लंड भी अब कंट्रोल से एकदम बाहर था.
मैंने मां को अपने सीने से लगा रखा था और उनके बदन को हाथों से रगड़ रहा था.
काफी देर तक ये करने के बाद मेरा माल चड्डी में ही निकल गया और मुझे चिपचिपा लगने लगा था.
मैंने लंड पौंछ कर चड्डी उतार दी.
अब मैं और मेरी मां बिस्तर पर बिल्कुल नंगे लेटे थे.
मेरा लंड झड़ने के बाद अब भी खड़ा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.