29-06-2022, 04:54 PM
मेरी उम्र 22 साल है और मेरी मां की उम्र 40 साल है.
ये माँ मेरी सगी माँ नहीं है. मेरे पापा का चक्कर इस वाली माँ से चल गया तो पापा ने मेरी सगी माँ को छोड़ दिया था और इससे शादी कर ली थी.
मेरे पापा एक कॉलेज में प्रोफेसर हैं और पापा कस्टम में जॉब करते हैं.
पापा अपनी जॉब के कारण ज्यादातर बाहर ही रहते हैं.
मेरी मां का फिगर 34-30-36 का है. वो बहुत ही खूबसूरत हैं और एकदम गोरी लाल टमाटर की तरह हैं.
मां का जिस्म बिल्कुल मलाई की तरह चिकना है. ये मुझे उसी दिन पता चला था, जब मेरे साथ ये हादसा हुआ था.
जनवरी के एक दिन की बात है. उस दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी.
शाम को 6 बज चुके थे, अन्धेरा गहराने लगा था, मां भी कॉलेज से नहीं आई थीं. मुझे चिंता होने लगी.
मैंने मां को फ़ोन किया तो वो बोलीं- मैं रास्ते में हूँ बेटा, बस आधा घंटा में आ जाऊंगी.
करीब 20-25 मिनट बाद मां आ गईं.
वो पूरी भीगी हुई थीं, उनके बाल गीले थे. साड़ी उनके बदन से चिपक चुकी थी और वो ठंड की वजह से बहुत ही ज्यादा कांप रही थीं.
वो अन्दर आकर बोलीं- बेटा जल्दी से टॉवल लाकर दे दे.
ठंड की वज़ह से मां से चला भी नहीं जा रहा था.
मां थोड़ी देर में नाइटी पहन कर वाशरूम से बाहर आ गईं और बोलीं- काफी ठंड है. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही है बेटा.
मैंने कहा- मां, आप रजाई ओढ़ कर लेट जाओ.
मां रजाई में घुस कर आराम करने लगीं.
मैंने मां के माथे पर हाथ लगा कर देखा, तो उन्हें बहुत तेज बुखार चढ़ा था.
मैंने फौरन डॉक्टर को फोन किया लेकिन बारिश की वज़ह से कोई आने कोई तैयार ही नहीं था.
ये माँ मेरी सगी माँ नहीं है. मेरे पापा का चक्कर इस वाली माँ से चल गया तो पापा ने मेरी सगी माँ को छोड़ दिया था और इससे शादी कर ली थी.
मेरे पापा एक कॉलेज में प्रोफेसर हैं और पापा कस्टम में जॉब करते हैं.
पापा अपनी जॉब के कारण ज्यादातर बाहर ही रहते हैं.
मेरी मां का फिगर 34-30-36 का है. वो बहुत ही खूबसूरत हैं और एकदम गोरी लाल टमाटर की तरह हैं.
मां का जिस्म बिल्कुल मलाई की तरह चिकना है. ये मुझे उसी दिन पता चला था, जब मेरे साथ ये हादसा हुआ था.
जनवरी के एक दिन की बात है. उस दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी.
शाम को 6 बज चुके थे, अन्धेरा गहराने लगा था, मां भी कॉलेज से नहीं आई थीं. मुझे चिंता होने लगी.
मैंने मां को फ़ोन किया तो वो बोलीं- मैं रास्ते में हूँ बेटा, बस आधा घंटा में आ जाऊंगी.
करीब 20-25 मिनट बाद मां आ गईं.
वो पूरी भीगी हुई थीं, उनके बाल गीले थे. साड़ी उनके बदन से चिपक चुकी थी और वो ठंड की वजह से बहुत ही ज्यादा कांप रही थीं.
वो अन्दर आकर बोलीं- बेटा जल्दी से टॉवल लाकर दे दे.
ठंड की वज़ह से मां से चला भी नहीं जा रहा था.
मां थोड़ी देर में नाइटी पहन कर वाशरूम से बाहर आ गईं और बोलीं- काफी ठंड है. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही है बेटा.
मैंने कहा- मां, आप रजाई ओढ़ कर लेट जाओ.
मां रजाई में घुस कर आराम करने लगीं.
मैंने मां के माथे पर हाथ लगा कर देखा, तो उन्हें बहुत तेज बुखार चढ़ा था.
मैंने फौरन डॉक्टर को फोन किया लेकिन बारिश की वज़ह से कोई आने कोई तैयार ही नहीं था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.