29-06-2022, 03:53 PM
ऐसा कह कर मैंने उसके मुह से हाथ हटा लिया और उसके शरीर से पकड़ भी ढीली कर दी पर अभी भी उसी मीशिनरी पोजिशन में उसके ऊपर बना रहा और मेरे शरीर का वजन घुटनों और कोहनीयों पर उठा के रखा था।
अब प्रीति बड़े ही आश्चर्य और गुस्से से मेरे चेहरे की और देख रही थी और ना जाने क्या-क्या सोच रही थी। मैंरा दिल बड़े ही जोर-जोर से धड़क रहा था और प्रीति का भी, यह एक ही रजाई में होने के कारण मुझे साफ पता चल रहा था।
लगभग 15 मिनट तक प्रीति मुझे यूँ ही देखती रही। मेने भी सोच लिया था कि उसकी ना होने पर मैं उसके साथ कोई जबर्दस्ती नहीं करूंगा। पर इतना समय बीतने के बाद भी वह न तो ना कर रही थी और न ही हाँ।
अचानक उसके चेहरे से गुस्सा और आश्चर्य गायब हो गया और वह नॉर्मल हो गई। पर उसने अब तक हाँ नहीं बोला था। तभी मुझे मेरे पेरों में एहसास हुआ कि वह अपने पैरों को दूर करना चाहती है। मैंने अभी अपने घुटनों को एक-एक करके उसके दोनों पैरों के बीच में कर लिया। अब मेरे दोनों पैर उसके दोनों पैरों के बीच थे और वह अपनी जांघों के बीच लगभग दो फीट की जगह बना चुकी थी। अब मैंने आश्चर्य से प्रीति के चेहरे की और देखा तो वह हल्की मुस्कुरा रही थी। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मैं मानो सातवें असमान पर चला गया। बिना कुछ कहे ही प्रीति ने सब कुछ कह दिया। मैंने तुरंत अपना सारा वजन प्रीति पर डाल दिया और बाहों में भर कर उसको चूमने लगा। उसने भी अपने हाथों और पेरों की जकड़ से मेरा भरपूर स्वागत किया। लगभग 15 मिनट चूमा चाटी के बाद प्रीति ने मेरा चेहरा पकड़ा और अपने चेहरे से थोड़ी दूरी पर रोक कर बोली "मेरे प्यारे भइया बस करो और मेरी बात ध्यान से सुनो।" मैं भी बड़े ध्यान से उसकी बात सुनने लगा।
प्रीति "एक तो यह राज केवल हम दोनों भाई बहन के बीच रहना चाहिए और दूसरी बात यह कि तुम्हारी प्यारी बहन अभी पूरी तरह से कुँवारी है। थोड़ा ध्यान रखना मेरा, क्योंकि तुम्हारा वह देखा है आज सुबह मैंने। कितना बड़ा और मोटा है। तुम इंसान हो या राक्षस।"
यह सुन कर मुझे हंसी आ गई और में प्रीति से बोला "तुम्हारे भाई की खुशी के लिए तुम कितना दर्द सहन कर सकती हो?"
प्रीति कुछ समय खामोश रही फिर बोली "आज रात जान दे सकती हूँ तुम्हारे लिए।"
बस इतना सुनते ही मैंने सोचा कि आज तो चुनौती है मेरे लिए।
बस अब असली काम शुरू करके का समय आ चुका था। रात के लगभग 12 बजे थे।
मेरा लिंग अपने अधिकतम आकार और कठोरता में था।
मैंने लिंग के मुहाने को प्रीति की योनि के मुह पर जैसे ही रखा प्रीति और मेरे मुह से एक साथ कामुक और संतुष्टि की सिसकारी निकली। प्रीति ने अपनी बाहों में मुझे इस कदर कस कर जकड़ा कि मानो उसकी जान लेने वाला था मैं। प्रीति ने अपने पेरों की कैंची बना कर मेरे पेरों पर कसना शुरू कर दी, क्योंकि उसको होने वाले दर्द का एहसास बहुत अच्छी तरह से था।
अब मैंने अपनी कमर और लिंग का दबाव उसकी योनि पर डालना शुरू किया। पर जहाँ मेरे लिंग की मोटाई तीन इंच थी वही प्रीति की योनि पैरों को पूरी तरह दूर करने के बाद भी बमुश्किल एक इंच खुल पा रही थी।
प्रीति भी थोड़ी नर्वस थी और डर भी रही थी।
अब यहाँ मेरी परीक्षा थी। मेने ठान लिया कि अंदर करना है तो प्रीति को दर्द तो देना ही होगा। मैंने महसूस किया कि लिंग पर तेल तो लगा था और मेरा प्री-कम भी योनि पर बहुत सारा है पर जब तक प्रीति का प्री-कम आना शुरू नहीं होगा तब तक काम नहीं बनेगा।
मैंने लिंग का दबाव कम किया और प्रीति के बूब्स को जोर-जोर से दबाने और चूसने लगा और एक हाथ की उंगलियों से योनि पर मसाज करने लगा। 5-10 मिनट में ही योनि पूरी तरह पनिया गई। इस बीच बेडरूम प्रीति की सिसकारीयों से गूंजता रहा।
अब मैंने प्रीति के चेहरे को करीब से देखकर उसकी आँखों में आँखे मिला कर उससे पूछा "अपने भाई के लिए बेतहाशा दर्द के लिए तैयार हो?"
प्रीति ने अपनी आँखे बन्द की और अपना सिर हिला कर स्वीकृति दी।
मैंने तुरंत मोर्चा संभाला और अपने हाथों से उसके पेरों की दोनों जांघों के नीचे से घुमा कर ऊपर की और खींच लिया और उसकी बाहों को मजबूती से पकड़ लिया जिससे उसके दोनों पैर मेरे कंधे तक आ गए और योनि का मुह थोड़ा और खुल गया। अब होंठों को चूसते हुए अपना लिंग की मुह उसकी योनि के छेद पर टिका दिया पर कुछ देर तक दबाव नहीं डाला। 15मिनट तक उसके होठों को चूसा और अपनी जबान को प्रीति के मुह में डाल कर पूरे मुह में घुमा-घुमा कर मुह के हर हिस्से को महसूस किया और उसका लाजवाब स्वाद भी लिया। अब मेरी इस हरकत का प्रीति भी बिल्कुल वैसा ही जवाब देने में लगी हुई थी और इस किसिंग का भरपूर लुफ्त उठा रही थी।
अब जैसे ही मैंने पाया कि प्रीति का सारा ध्यान मेरे होठों को चूसने में लगा है तो मैंने मोके का फायदा उठाकर अपनी सारी ताकत लगाकर लिंग का एक जोरदार झटका प्रीति योनि में दिया।
उस पल में क्या हालत थे मैं शब्दो में नहीं बता सकता। प्रीति की जोरदार चीख मुझसे चुंबन लेने के कारण मेरे मुह में दब गई पर उसका शरीर दर्द के मारे झटपटा रहा था। उसकी आंखो में आंसू आ रहे थे और नीचे के जो हालात थे उसके बारे में क्या बताऊँ दोस्तों। लगभग 2-3 तीन इंच लिंग ही अंदर जा सका था पर योनि कि झिल्ली फटने के कारण बहुत सारा खून मेरे लिंग पर लगा था और उसकी कूल्हों की दरार में से होता हुआ बेडशीट पर आ गया था। मैंने अपनी बहन का कुंवारापन भंग कर दिया था। कुछ देर तक मैने कोई हरकत नहीं की और प्रीति के शांत होने का इंतजार किया। प्रीति दर्द से बहुत देर तक झटपटाती रही और फिर उसका शरीर थोड़ा शांत होने लगा। अब मेने लिंग को प्रीति की योनि से बाहर निकाला और लिंग से और योनि से खून को अच्छी तरह से साफ किया। प्रीति बोली भईया अखिर हासिल कर ही लिया तुमने मुझे, हो गई तुम्हारी इच्छा पूरी। ऎसा कह कर वह रोने लगी। यह सुन कर मैं भी उसको बाहों में भर कर रोने लगा और उससे कहा मेरी जान हो तुम प्रीति। तुमने बहुत बड़ा एहसान कर दिया मुझ पर आज। अगर तुम आज "ना" कर देती तो शर्मिंदगी के कारण मुझे कल जान देना पड़ती अपनी। बोलो क्या चाहिए तुम्हें मुझसे, मैं तुम्हारी हर इच्छा पूरी करूंगा। ऎसा सुन कर प्रीति ने कहा पहली इच्छा तो यह है कि आज के बाद कभी जान देने की बात मत करना और दूसरी यह कि आज रात तुम्हें अपना पूरा लिंग मेरी योनि में डालना है, चाहे मेरी जान क्यों ना चली जाए। मैं बोला "पागल हो गई है क्या तू? सहन नहीं कर सकेगी इस दर्द को मेरी।"
अब प्रीति बड़े ही आश्चर्य और गुस्से से मेरे चेहरे की और देख रही थी और ना जाने क्या-क्या सोच रही थी। मैंरा दिल बड़े ही जोर-जोर से धड़क रहा था और प्रीति का भी, यह एक ही रजाई में होने के कारण मुझे साफ पता चल रहा था।
लगभग 15 मिनट तक प्रीति मुझे यूँ ही देखती रही। मेने भी सोच लिया था कि उसकी ना होने पर मैं उसके साथ कोई जबर्दस्ती नहीं करूंगा। पर इतना समय बीतने के बाद भी वह न तो ना कर रही थी और न ही हाँ।
अचानक उसके चेहरे से गुस्सा और आश्चर्य गायब हो गया और वह नॉर्मल हो गई। पर उसने अब तक हाँ नहीं बोला था। तभी मुझे मेरे पेरों में एहसास हुआ कि वह अपने पैरों को दूर करना चाहती है। मैंने अभी अपने घुटनों को एक-एक करके उसके दोनों पैरों के बीच में कर लिया। अब मेरे दोनों पैर उसके दोनों पैरों के बीच थे और वह अपनी जांघों के बीच लगभग दो फीट की जगह बना चुकी थी। अब मैंने आश्चर्य से प्रीति के चेहरे की और देखा तो वह हल्की मुस्कुरा रही थी। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मैं मानो सातवें असमान पर चला गया। बिना कुछ कहे ही प्रीति ने सब कुछ कह दिया। मैंने तुरंत अपना सारा वजन प्रीति पर डाल दिया और बाहों में भर कर उसको चूमने लगा। उसने भी अपने हाथों और पेरों की जकड़ से मेरा भरपूर स्वागत किया। लगभग 15 मिनट चूमा चाटी के बाद प्रीति ने मेरा चेहरा पकड़ा और अपने चेहरे से थोड़ी दूरी पर रोक कर बोली "मेरे प्यारे भइया बस करो और मेरी बात ध्यान से सुनो।" मैं भी बड़े ध्यान से उसकी बात सुनने लगा।
प्रीति "एक तो यह राज केवल हम दोनों भाई बहन के बीच रहना चाहिए और दूसरी बात यह कि तुम्हारी प्यारी बहन अभी पूरी तरह से कुँवारी है। थोड़ा ध्यान रखना मेरा, क्योंकि तुम्हारा वह देखा है आज सुबह मैंने। कितना बड़ा और मोटा है। तुम इंसान हो या राक्षस।"
यह सुन कर मुझे हंसी आ गई और में प्रीति से बोला "तुम्हारे भाई की खुशी के लिए तुम कितना दर्द सहन कर सकती हो?"
प्रीति कुछ समय खामोश रही फिर बोली "आज रात जान दे सकती हूँ तुम्हारे लिए।"
बस इतना सुनते ही मैंने सोचा कि आज तो चुनौती है मेरे लिए।
बस अब असली काम शुरू करके का समय आ चुका था। रात के लगभग 12 बजे थे।
मेरा लिंग अपने अधिकतम आकार और कठोरता में था।
मैंने लिंग के मुहाने को प्रीति की योनि के मुह पर जैसे ही रखा प्रीति और मेरे मुह से एक साथ कामुक और संतुष्टि की सिसकारी निकली। प्रीति ने अपनी बाहों में मुझे इस कदर कस कर जकड़ा कि मानो उसकी जान लेने वाला था मैं। प्रीति ने अपने पेरों की कैंची बना कर मेरे पेरों पर कसना शुरू कर दी, क्योंकि उसको होने वाले दर्द का एहसास बहुत अच्छी तरह से था।
अब मैंने अपनी कमर और लिंग का दबाव उसकी योनि पर डालना शुरू किया। पर जहाँ मेरे लिंग की मोटाई तीन इंच थी वही प्रीति की योनि पैरों को पूरी तरह दूर करने के बाद भी बमुश्किल एक इंच खुल पा रही थी।
प्रीति भी थोड़ी नर्वस थी और डर भी रही थी।
अब यहाँ मेरी परीक्षा थी। मेने ठान लिया कि अंदर करना है तो प्रीति को दर्द तो देना ही होगा। मैंने महसूस किया कि लिंग पर तेल तो लगा था और मेरा प्री-कम भी योनि पर बहुत सारा है पर जब तक प्रीति का प्री-कम आना शुरू नहीं होगा तब तक काम नहीं बनेगा।
मैंने लिंग का दबाव कम किया और प्रीति के बूब्स को जोर-जोर से दबाने और चूसने लगा और एक हाथ की उंगलियों से योनि पर मसाज करने लगा। 5-10 मिनट में ही योनि पूरी तरह पनिया गई। इस बीच बेडरूम प्रीति की सिसकारीयों से गूंजता रहा।
अब मैंने प्रीति के चेहरे को करीब से देखकर उसकी आँखों में आँखे मिला कर उससे पूछा "अपने भाई के लिए बेतहाशा दर्द के लिए तैयार हो?"
प्रीति ने अपनी आँखे बन्द की और अपना सिर हिला कर स्वीकृति दी।
मैंने तुरंत मोर्चा संभाला और अपने हाथों से उसके पेरों की दोनों जांघों के नीचे से घुमा कर ऊपर की और खींच लिया और उसकी बाहों को मजबूती से पकड़ लिया जिससे उसके दोनों पैर मेरे कंधे तक आ गए और योनि का मुह थोड़ा और खुल गया। अब होंठों को चूसते हुए अपना लिंग की मुह उसकी योनि के छेद पर टिका दिया पर कुछ देर तक दबाव नहीं डाला। 15मिनट तक उसके होठों को चूसा और अपनी जबान को प्रीति के मुह में डाल कर पूरे मुह में घुमा-घुमा कर मुह के हर हिस्से को महसूस किया और उसका लाजवाब स्वाद भी लिया। अब मेरी इस हरकत का प्रीति भी बिल्कुल वैसा ही जवाब देने में लगी हुई थी और इस किसिंग का भरपूर लुफ्त उठा रही थी।
अब जैसे ही मैंने पाया कि प्रीति का सारा ध्यान मेरे होठों को चूसने में लगा है तो मैंने मोके का फायदा उठाकर अपनी सारी ताकत लगाकर लिंग का एक जोरदार झटका प्रीति योनि में दिया।
उस पल में क्या हालत थे मैं शब्दो में नहीं बता सकता। प्रीति की जोरदार चीख मुझसे चुंबन लेने के कारण मेरे मुह में दब गई पर उसका शरीर दर्द के मारे झटपटा रहा था। उसकी आंखो में आंसू आ रहे थे और नीचे के जो हालात थे उसके बारे में क्या बताऊँ दोस्तों। लगभग 2-3 तीन इंच लिंग ही अंदर जा सका था पर योनि कि झिल्ली फटने के कारण बहुत सारा खून मेरे लिंग पर लगा था और उसकी कूल्हों की दरार में से होता हुआ बेडशीट पर आ गया था। मैंने अपनी बहन का कुंवारापन भंग कर दिया था। कुछ देर तक मैने कोई हरकत नहीं की और प्रीति के शांत होने का इंतजार किया। प्रीति दर्द से बहुत देर तक झटपटाती रही और फिर उसका शरीर थोड़ा शांत होने लगा। अब मेने लिंग को प्रीति की योनि से बाहर निकाला और लिंग से और योनि से खून को अच्छी तरह से साफ किया। प्रीति बोली भईया अखिर हासिल कर ही लिया तुमने मुझे, हो गई तुम्हारी इच्छा पूरी। ऎसा कह कर वह रोने लगी। यह सुन कर मैं भी उसको बाहों में भर कर रोने लगा और उससे कहा मेरी जान हो तुम प्रीति। तुमने बहुत बड़ा एहसान कर दिया मुझ पर आज। अगर तुम आज "ना" कर देती तो शर्मिंदगी के कारण मुझे कल जान देना पड़ती अपनी। बोलो क्या चाहिए तुम्हें मुझसे, मैं तुम्हारी हर इच्छा पूरी करूंगा। ऎसा सुन कर प्रीति ने कहा पहली इच्छा तो यह है कि आज के बाद कभी जान देने की बात मत करना और दूसरी यह कि आज रात तुम्हें अपना पूरा लिंग मेरी योनि में डालना है, चाहे मेरी जान क्यों ना चली जाए। मैं बोला "पागल हो गई है क्या तू? सहन नहीं कर सकेगी इस दर्द को मेरी।"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.