29-06-2022, 03:29 PM
(This post was last modified: 08-05-2024, 03:23 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
फिर करीब दस मिनट तक और चूसने के बाद वो लंड को बाहर ही नहीं निकालने दे रही थी. तब मैंने दीपिका से कहा, "दीपिका मेरा यह लंड कहीं भागा नहीं जा रहा है, में इसको अब तुमकी कामुक, रसीली चूत में डालना चाहता हूँ."
उसने लंड को तुरंत अपने मुहं से बाहर निकालकर कहा, "वीरेन तो तुम ऐसे क्या देख रहे हो? अब तुम मुझे तुम्हारे लंड के वो असली मज़े भी तो दीजिए." और फिर उसने इतना कहकर अपने दोनों पैरों को एकदम अलग किया.
मैंने भी आव देखा ना ताव और दुबार उसकी जवानी को रौंदने का प्रोग्राम बनाया, दीपिका अब और भी दुगने जोश के साथ मेरा लंड मसल रही थी और बोल रही थी "आप इसे कब डालोगे यार, प्लीज़ डाल दो ना."
दीपिका के हाथों और होठों की बरकत से मेरा लंड पूरे जोश में आ गया था और अब दीपिका ने मुझे हाथ जोड़ कर कहा "प्लीज़ फक मी, अब तो डाल ही दो". मैंने उसे लिटाया उसकी लेफ्ट टांग को उठाया और पास में लेटकर उसकी चूत पर अपने लंड का टोपा टिका दिया और उसे धकेलने से पहले उसकी लेफ्ट टांग को थोडा और ऊपर उठा कर मैंने निशाना साध के अपना भरा पूरा लंड दीपिका की कच्ची चूत में पेल दिया.
जैसे ही लंड अन्दर गया दीपिका चिल्ला पड़ी, "ऊऊह्ह्ह मम्मी कितना बड़ा है ये तो, प्लीज़ फाड़ना मत नहीं तो मेरी लाइफ खराब हो जाएगी."
तो मैंने कहा, "अरे पगली लाइफ खराब नहीं होगी बल्कि बन जाएगी." और इतना कह कर मैंने उसे तेज तेज धक्के लगाने शुरू किए. दीपिका उछल उछल के मेरे लंड का मज़ा ले रही थी की मैंने उसे सीधा लिटा कर उसकी दोनों टांगें लगभग हवा में कर दीं और उसकी चूत को ऐसे उठाया कि अब दीपिका एक धनुष जैसी मुड़ गई थी मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत में फंसाया और पांच मिनट तक ऐसे ही चोदा.
में बहुत धीरे से लंड को बाहर लेकर आता और फिर एकदम ज़ोर से धक्का देकर दोबारा चूत में डाल देता. वो मुझसे कहने लगी, "उफफ्फ्फ्फ़ वीरेन आह्ह्ह्ह वाह क्या बात है? हाँ ऐसे ही आह्हह्हह्हह् ऐसे ही आआआहह ज़ोर से चोदो मुझे."
अब दीपिका का जोश देखते ही बनता था वो चिल्ला भी रही थी रो भी रही थी लेकिन मरवाने की इच्छा ख़त्म नहीं हो रही थी उसकी, दीपिका ने मुझे कहा "डॉगी स्टाइल में करो ना."
मैंने भी उसकी बात मानी और उसे कुतिया की तरह बेड पर खड़ा कर दिया, उसके पीछे जाते ही मैंने एक चांटा उसकी नन्ही सी गांड पर रख दिया जिस से वो सिसक पड़ी. अब मैंने दीपिका की चूत में लंड लगाने के बाद अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और बीच बीच में उसके चुचों को भी मसलने लगा, दीपिका बिलख रही थी और बोली "उफ़ अब रोकना मत प्लीज़." मुझे पता लग गया की वो झड़ने वाली है तो मैं धक्कों के साथ अपनी जीभ उसकी गांड़ के छेद पर रगड़ दी और उसकी गांड में अपनी ऊँगली भी पेल दी इस से उसकी एक चिहुँक निकल गई. दीपिका जोश में चीखें मार रही थी.
दीपिका की चूत में मेरा लंड, उसकी गांड में मेरी ऊँगली और उसका एक चुचा अब भी मेरे हाथ में होने की वजह से दीपिका बावळी हो रखी थी और चिल्लाने के साथ साथ रो भी रही थी लेकिन मेरे धक्के नहीं रुके.
अब मेरा वीर्य निकलने वाला था तो इसलिए मैंने उससे पूछा, "दीपिका में अपने वीर्य को कहाँ निकालूं? मेरा माल पिएगी?"
"नहीं वीरेन मुझे गंदा लगता है, तुम इसको मेरे मुहं पर निकाल दो. पिलाना पत प्लीज," वो आहों के बीच में बोली.
मैं दीपिका को सीधा लिटा कर उसके बूब्स पर बैठ गया और मेरा लंड उसके हसीन चहरे पर माल की बारिश करने लगा. मेरा माल उसके गुलाबी गालों और हसीन लाल होठों पर बहने लगा. मैंने दीपिका के गाल दबा कर उसका मुंह खोल दिया और अपना माल से सना लंड दीपिका के मुंह में ठूंस दिया. दीपिका ने अपना सिर हिलाया और मुझे धकेलने लगी. मैंने प्यार से उससे कहा, "तेरे और मेरे रस का टेस्ट तो कर बेबी कैसा लगता है."![[Image: 51339054_019_e560.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/1/12/51339054/51339054_019_e560.jpg)
दीपिका मेरे ल. उसकी आंखें बंद थीं. पहले उसे खराब लग रहा था फिर उसे मजा आने लगा. मैंने लंड उसके मुंह से बाहर निकाला और उसके गाल से अपना माल लंड पर लगाया. दीपिका ने कुछ बोलना चाहा लेकिन मैंने उसकी बात बीच में काट कर लंड वापस उसके गले में उतार दिया. दीपिका ने मेरा लंड चूस कर और चाट चाट कर चमका दिया. फिर हम दोनों एक दूसरे के ऊपर ऐसे ही करीब दस मिनट तक पड़े रहे.
मेरे लंड के बहार निकलते ही दीपिका निढाल हो कर बिस्तर पर गिर गई तो मैंने पूछा "तुम्हारा नहीं हुआ क्या" तो दीपिका मुस्कुराती हुई बोली "दो बार हुआ और बहुत मज़े से हुआ."
फिर वो अपने कपड़े पहनने लगी और तब मैंने उसको कहा, "दीपिका तुम बड़ी मस्त सेक्सी माल हो और तुम्हारी चुदाई करके तुम्हारे साथ यह समय बिताकर मुझे बहुत अच्छा लगा."
फिर वो मुझसे कहने लगी, "तुम भी बहुत अच्छे हो और तुम्हारे साथ यह मज़े मस्ती करके में आज बहुत खुश हूँ. तुम बहुत अच्छे हो और जमकर मस्त चुदाई करते हो. मैं सौरभ को प्यार करती हूं, लेकिन तुम्हे कभी मना नहीं करूंगी वीरेन."
उसने एक घुटना बेड पर रख कर मेरा चेहरा अपने हाथों में ले लिया. उसने अपने होठ मेरे होठों पर रख दिए. मुझे एक लम्बी किस दे कर अपने ख्यालों में खोया छोड़ कर वो चली गई.
उसने लंड को तुरंत अपने मुहं से बाहर निकालकर कहा, "वीरेन तो तुम ऐसे क्या देख रहे हो? अब तुम मुझे तुम्हारे लंड के वो असली मज़े भी तो दीजिए." और फिर उसने इतना कहकर अपने दोनों पैरों को एकदम अलग किया.
मैंने भी आव देखा ना ताव और दुबार उसकी जवानी को रौंदने का प्रोग्राम बनाया, दीपिका अब और भी दुगने जोश के साथ मेरा लंड मसल रही थी और बोल रही थी "आप इसे कब डालोगे यार, प्लीज़ डाल दो ना."
दीपिका के हाथों और होठों की बरकत से मेरा लंड पूरे जोश में आ गया था और अब दीपिका ने मुझे हाथ जोड़ कर कहा "प्लीज़ फक मी, अब तो डाल ही दो". मैंने उसे लिटाया उसकी लेफ्ट टांग को उठाया और पास में लेटकर उसकी चूत पर अपने लंड का टोपा टिका दिया और उसे धकेलने से पहले उसकी लेफ्ट टांग को थोडा और ऊपर उठा कर मैंने निशाना साध के अपना भरा पूरा लंड दीपिका की कच्ची चूत में पेल दिया.
जैसे ही लंड अन्दर गया दीपिका चिल्ला पड़ी, "ऊऊह्ह्ह मम्मी कितना बड़ा है ये तो, प्लीज़ फाड़ना मत नहीं तो मेरी लाइफ खराब हो जाएगी."
तो मैंने कहा, "अरे पगली लाइफ खराब नहीं होगी बल्कि बन जाएगी." और इतना कह कर मैंने उसे तेज तेज धक्के लगाने शुरू किए. दीपिका उछल उछल के मेरे लंड का मज़ा ले रही थी की मैंने उसे सीधा लिटा कर उसकी दोनों टांगें लगभग हवा में कर दीं और उसकी चूत को ऐसे उठाया कि अब दीपिका एक धनुष जैसी मुड़ गई थी मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत में फंसाया और पांच मिनट तक ऐसे ही चोदा.
में बहुत धीरे से लंड को बाहर लेकर आता और फिर एकदम ज़ोर से धक्का देकर दोबारा चूत में डाल देता. वो मुझसे कहने लगी, "उफफ्फ्फ्फ़ वीरेन आह्ह्ह्ह वाह क्या बात है? हाँ ऐसे ही आह्हह्हह्हह् ऐसे ही आआआहह ज़ोर से चोदो मुझे."
अब दीपिका का जोश देखते ही बनता था वो चिल्ला भी रही थी रो भी रही थी लेकिन मरवाने की इच्छा ख़त्म नहीं हो रही थी उसकी, दीपिका ने मुझे कहा "डॉगी स्टाइल में करो ना."
मैंने भी उसकी बात मानी और उसे कुतिया की तरह बेड पर खड़ा कर दिया, उसके पीछे जाते ही मैंने एक चांटा उसकी नन्ही सी गांड पर रख दिया जिस से वो सिसक पड़ी. अब मैंने दीपिका की चूत में लंड लगाने के बाद अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और बीच बीच में उसके चुचों को भी मसलने लगा, दीपिका बिलख रही थी और बोली "उफ़ अब रोकना मत प्लीज़." मुझे पता लग गया की वो झड़ने वाली है तो मैं धक्कों के साथ अपनी जीभ उसकी गांड़ के छेद पर रगड़ दी और उसकी गांड में अपनी ऊँगली भी पेल दी इस से उसकी एक चिहुँक निकल गई. दीपिका जोश में चीखें मार रही थी.
दीपिका की चूत में मेरा लंड, उसकी गांड में मेरी ऊँगली और उसका एक चुचा अब भी मेरे हाथ में होने की वजह से दीपिका बावळी हो रखी थी और चिल्लाने के साथ साथ रो भी रही थी लेकिन मेरे धक्के नहीं रुके.
अब मेरा वीर्य निकलने वाला था तो इसलिए मैंने उससे पूछा, "दीपिका में अपने वीर्य को कहाँ निकालूं? मेरा माल पिएगी?"
"नहीं वीरेन मुझे गंदा लगता है, तुम इसको मेरे मुहं पर निकाल दो. पिलाना पत प्लीज," वो आहों के बीच में बोली.
मैं दीपिका को सीधा लिटा कर उसके बूब्स पर बैठ गया और मेरा लंड उसके हसीन चहरे पर माल की बारिश करने लगा. मेरा माल उसके गुलाबी गालों और हसीन लाल होठों पर बहने लगा. मैंने दीपिका के गाल दबा कर उसका मुंह खोल दिया और अपना माल से सना लंड दीपिका के मुंह में ठूंस दिया. दीपिका ने अपना सिर हिलाया और मुझे धकेलने लगी. मैंने प्यार से उससे कहा, "तेरे और मेरे रस का टेस्ट तो कर बेबी कैसा लगता है."
![[Image: 51339054_019_e560.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/1/12/51339054/51339054_019_e560.jpg)
दीपिका मेरे ल. उसकी आंखें बंद थीं. पहले उसे खराब लग रहा था फिर उसे मजा आने लगा. मैंने लंड उसके मुंह से बाहर निकाला और उसके गाल से अपना माल लंड पर लगाया. दीपिका ने कुछ बोलना चाहा लेकिन मैंने उसकी बात बीच में काट कर लंड वापस उसके गले में उतार दिया. दीपिका ने मेरा लंड चूस कर और चाट चाट कर चमका दिया. फिर हम दोनों एक दूसरे के ऊपर ऐसे ही करीब दस मिनट तक पड़े रहे.
मेरे लंड के बहार निकलते ही दीपिका निढाल हो कर बिस्तर पर गिर गई तो मैंने पूछा "तुम्हारा नहीं हुआ क्या" तो दीपिका मुस्कुराती हुई बोली "दो बार हुआ और बहुत मज़े से हुआ."
फिर वो अपने कपड़े पहनने लगी और तब मैंने उसको कहा, "दीपिका तुम बड़ी मस्त सेक्सी माल हो और तुम्हारी चुदाई करके तुम्हारे साथ यह समय बिताकर मुझे बहुत अच्छा लगा."
फिर वो मुझसे कहने लगी, "तुम भी बहुत अच्छे हो और तुम्हारे साथ यह मज़े मस्ती करके में आज बहुत खुश हूँ. तुम बहुत अच्छे हो और जमकर मस्त चुदाई करते हो. मैं सौरभ को प्यार करती हूं, लेकिन तुम्हे कभी मना नहीं करूंगी वीरेन."
उसने एक घुटना बेड पर रख कर मेरा चेहरा अपने हाथों में ले लिया. उसने अपने होठ मेरे होठों पर रख दिए. मुझे एक लम्बी किस दे कर अपने ख्यालों में खोया छोड़ कर वो चली गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
