29-06-2022, 11:40 AM
मैंने एक इम्पोर्टेड मस्क डीओ लगाया जिसमें आदमी की बॉडी की स्मेल बहुत सेक्सी हो जाती है.
6.30 पर घोष बाबू फिर आये और बोले- आ जाओ दादा, हम सब आपका इंतजार कर रहे हैं.
मैं घोष बाबू के साथ हो लिया.
जब मैं उनके ड्राइंगरूम में पहुँचा तो सभी ने खड़े हो कर मेरा स्वागत किया.
घोष ने उन दोनों से मेरा परिचय करवाते हुए कहा- ये मेरे फ्रेंड बनर्जी और ये इनकी वाइफ संजना.
मैंने संजना को देखा तो मेरी धड़कन तेज हो गई.
गजब की सेक्सी लेडी थी. 38-34-36 का साइज, एकदम दूध जैसा गोरा रंग, बहुत ही सुंदर नयन नक्श.
संजना ने बहुत ही छोटा सा स्लीवलेस बिना बाजू का ब्लॉउज पहन रखा था और नीचे उसका आधा सुन्दर, नर्म, गुदाज पेट और सुन्दर गोल अंदर धंसी हुई नाभि दिखाई दे रही थी. संजना ने नीचे बहुत ही सुंदर और बहुत ही टाइट साड़ी पहन रखी थी.
कुछ ही देर में मुझे दीपिका दिखाई दी.
दीपिका ने बहुत सुन्दर स्लीवलेस टॉप पहना था जिसमें से उसकी आधी सुडौल चूचियाँ बाहर निकल रही थीं और चूचियों ने टॉप को छतरी की तरह से उठा रखा था.
नीचे उसने बहुत ही टाइट कैपरी पैंट पहनी थी.
अंदर कैपरी में से उसकी सुडौल जांघों के बीच उसकी चूत के दोनों बाहरी मोटे मोटे भगोष्ठ अलग से दिखाई दे रहे थे. पैंट की बीच की सिलाई उसकी चूत की दोनों फांकों के बीच में घुसी हुई थी.
कैपरी के नीचे उसकी नंगी, मोटी, गोरी और सुडौल पिंडलियाँ दिखाई दे रहीं थीं.
दीपिका के चूचों, चूत के डिज़ाइन और उसके हुस्न को देखते ही मेरे लौड़े में कसाव आना शुरू हो गया, जिसे दीपिका देखने लगी थी.
हम बैठ गए. बनर्जी से कुछ औपचारिक बातें हुईं.
बनर्जी सन्यासी टाइप का आदमी लगा जिसे दीन दुनिया की कोई खास नॉलेज नहीं थी.
दीपिका मेरे सामने वाले सोफे पर ही बैठी थी और उसकी नजरें मुझ पर जमीं थीं. उसके और मेरे बीच बस एक सेंटर टेबल थी.
कुछ ही देर बाद बियर के गिलास रखे गए और हम तीनों के गिलासों में बियर डाली गई और दो गिलासों में कोल्डड्रिंक डाली गई.
दीपिका उठ कर स्नैक्स ले आई.
हम लोग ड्रिंक पीने लगे और हल्की फुल्की बातें करने लगे.
दोनों लेडीज़ ने सॉफ्ट ड्रिंक ले लिए.
दीपिका की नज़र तो मुझ पर से हट ही नहीं रही थी.
दरअसल पिछले एक हफ्ते भर से मैंने दीपिका की बहुत मदद की थी. उसको घर दिलवाया, घर सेट करवाया और उसके आराम का भी ख्याल रखा था. इसलिए दीपिका मुझ पर पूरी तरह से आसक्त हो चुकी थी.
दूसरी तरफ़ मैं उसे चोदना तो चाहता था लेकिन जल्दबाजी करके हल्का पड़ना नहीं चाहता था.
मेरी नजरें उसकी पैंट में से दिखती चूत पर थीं जो उसकी मोटी सुडौल जांघों के बीच से पकौड़ा सी बनी दिखाई दे रही थी. उससे मेरे लण्ड में तनाव बढ़ता जा रहा था.
मैंने अपने आपको थोड़ा हिलाते हुए अपने लण्ड को नीचे से निकाल कर अपने पट के साथ लगा लिया जिससे लण्ड अपने पूरे आकार में मेरे घुटने की तरफ उभर कर आ गया. दीपिका कभी मेरी ओर देखती तो कभी मेरे उभरे लण्ड की ओर देखती.
दीपिका ने अचानक से अपने एक पांव को दूसरे पर रखा और अपनी जांघों को भींच लिया.
मैंने और संजना ने उसका जांघों को भींचना साफ नोटिस कर लिया था.
उसकी साँसें उखड़ने लगी थीं. दरअसल, जांघों को भींच कर वह अपनी चूत को भींच रही थी.
मैंने मेरे लण्ड के ऊपर अपना हैंकी डाल लिया जिसे दीपिका और संजना ने देख लिया.
दीपिका की हालत देख संजना बोली- अरे राज जी, कुछ लो न, आप तो कुछ खा ही नहीं रहे हो?
फिर वो दीपिका की ओर देखकर बोली- दीपिका, सर्व करो न!
दीपिका उठी और टेबल के ऊपर से मेरी ओर झुककर मुझे खाने को देने लगी तो ऐसा लगा जैसे उसके मम्मे मेरे ऊपर ही गिर जाएंगे.
मैंने उसकी आंखों में आंखें डालकर स्नैक्स उठा लिया.
स्नैक्स लेते समय मैंने धीरे से उसकी उंगली को टच कर दिया और उसकी चूत को देखने लगा.
मेरा ध्यान उसकी चूत के नीचे वाली जगह गया तो देखा कि वहाँ एक गीला निशान बन गया था.
उस निशान को संजना ने भी देख लिया था.
संजना बोली- अच्छा, दीपिका तुम बैठो, मैं ही देती हूँ.
संजना ने दीपिका को वापस से बैठा दिया.
तभी घोष बाबू कहने लगे- राज जी, बनर्जी और संजना हमारे खास दोस्त हैं. आप इन्हें भी इसी सोसाइटी में फ्लैट दिलवा दो, क्या आप ये सामने वाला ट्राई नहीं कर सकते?
मैंने कहा- इसका मालिक तो विदेश में रहता है.
तभी संजना बोली- राज जी, यदि आप चाहो तो सब कुछ हो सकता है. अब हमें पक्का विश्वास हो गया है कि आप सब कुछ कर सकते हैं. प्लीज, कुछ करो, मैं और दीपिका बहुत अच्छी सहेलियाँ हैं.
उनको भरोसा दिलाते हुए मैंने कहा- ठीक है, मैं कुछ करता हूँ.
दीपिका बड़ी सेक्सी अदा से बोली- कुछ नहीं, सब कुछ करना है राज जी.
मैंने कहा- ठीक है, हो जाएगा.
बनर्जी और घोष एकदम बोले- इसी बात पर एक एक जाम हो जाये?
हमने ड्रिंक शुरू की और कुछ देर बाद खाना खा लिया. इस बीच दीपिका का बुरा हाल हो चुका था. वह सभी के बीच में बैठी बैठी अपनी जांघों को भींचती रही और उसकी चूत पानी छोड़ती रही.
उसे देख देखकर मेरा भी बुरा हाल हो चुका था.
संजना बहुत कुछ देख समझ चुकी थी.
दरअसल पैंट और टॉप में दीपिका का रूप अलग ही लग रहा था. दीपिका गजब की हॉट लग रही थी और बिल्कुल चुदासी हो चुकी थी.
खाना खा कर बनर्जी और संजना चले गए और मैं अपने कमरे में आ गया.
मैं और दीपिका एक ही फ्लैट में रहते हुए भी मिल नहीं पा रहे थे क्योंकि जब मैं ऑफिस से आता तो घोष बाबू भी आ चुके होते थे.
तीन रोज बाद जब मैं ऑफिस से 8.00 बजे आया तो कमरा खोल कर मैंने चाय पी.
उसके बाद नहाया.
फिर मैंने कपड़े डाल कर जगजीत सिंह की गजलें लगा लीं और बालकॉनी में ड्रिंक करने के लिए बैठ गया.
मैंने आधा पेग ही लगाया था कि दीपिका के बेडरूम का लकड़ी का दरवाजा खुला. (बालकॉनी की साइड से वे लोग दरवाजा बन्द रखते थे) जाली के दरवाजे पर दीपिका ने नॉक किया तो मैंने मुड़कर देखा.
अंदर से दीपिका की आवाज आई- क्या मैं आपको डिस्टर्ब कर सकती हूँ?
मैंने कहा- हाँ भाभी जी, बताइये?
6.30 पर घोष बाबू फिर आये और बोले- आ जाओ दादा, हम सब आपका इंतजार कर रहे हैं.
मैं घोष बाबू के साथ हो लिया.
जब मैं उनके ड्राइंगरूम में पहुँचा तो सभी ने खड़े हो कर मेरा स्वागत किया.
घोष ने उन दोनों से मेरा परिचय करवाते हुए कहा- ये मेरे फ्रेंड बनर्जी और ये इनकी वाइफ संजना.
मैंने संजना को देखा तो मेरी धड़कन तेज हो गई.
गजब की सेक्सी लेडी थी. 38-34-36 का साइज, एकदम दूध जैसा गोरा रंग, बहुत ही सुंदर नयन नक्श.
संजना ने बहुत ही छोटा सा स्लीवलेस बिना बाजू का ब्लॉउज पहन रखा था और नीचे उसका आधा सुन्दर, नर्म, गुदाज पेट और सुन्दर गोल अंदर धंसी हुई नाभि दिखाई दे रही थी. संजना ने नीचे बहुत ही सुंदर और बहुत ही टाइट साड़ी पहन रखी थी.
कुछ ही देर में मुझे दीपिका दिखाई दी.
दीपिका ने बहुत सुन्दर स्लीवलेस टॉप पहना था जिसमें से उसकी आधी सुडौल चूचियाँ बाहर निकल रही थीं और चूचियों ने टॉप को छतरी की तरह से उठा रखा था.
नीचे उसने बहुत ही टाइट कैपरी पैंट पहनी थी.
अंदर कैपरी में से उसकी सुडौल जांघों के बीच उसकी चूत के दोनों बाहरी मोटे मोटे भगोष्ठ अलग से दिखाई दे रहे थे. पैंट की बीच की सिलाई उसकी चूत की दोनों फांकों के बीच में घुसी हुई थी.
कैपरी के नीचे उसकी नंगी, मोटी, गोरी और सुडौल पिंडलियाँ दिखाई दे रहीं थीं.
दीपिका के चूचों, चूत के डिज़ाइन और उसके हुस्न को देखते ही मेरे लौड़े में कसाव आना शुरू हो गया, जिसे दीपिका देखने लगी थी.
हम बैठ गए. बनर्जी से कुछ औपचारिक बातें हुईं.
बनर्जी सन्यासी टाइप का आदमी लगा जिसे दीन दुनिया की कोई खास नॉलेज नहीं थी.
दीपिका मेरे सामने वाले सोफे पर ही बैठी थी और उसकी नजरें मुझ पर जमीं थीं. उसके और मेरे बीच बस एक सेंटर टेबल थी.
कुछ ही देर बाद बियर के गिलास रखे गए और हम तीनों के गिलासों में बियर डाली गई और दो गिलासों में कोल्डड्रिंक डाली गई.
दीपिका उठ कर स्नैक्स ले आई.
हम लोग ड्रिंक पीने लगे और हल्की फुल्की बातें करने लगे.
दोनों लेडीज़ ने सॉफ्ट ड्रिंक ले लिए.
दीपिका की नज़र तो मुझ पर से हट ही नहीं रही थी.
दरअसल पिछले एक हफ्ते भर से मैंने दीपिका की बहुत मदद की थी. उसको घर दिलवाया, घर सेट करवाया और उसके आराम का भी ख्याल रखा था. इसलिए दीपिका मुझ पर पूरी तरह से आसक्त हो चुकी थी.
दूसरी तरफ़ मैं उसे चोदना तो चाहता था लेकिन जल्दबाजी करके हल्का पड़ना नहीं चाहता था.
मेरी नजरें उसकी पैंट में से दिखती चूत पर थीं जो उसकी मोटी सुडौल जांघों के बीच से पकौड़ा सी बनी दिखाई दे रही थी. उससे मेरे लण्ड में तनाव बढ़ता जा रहा था.
मैंने अपने आपको थोड़ा हिलाते हुए अपने लण्ड को नीचे से निकाल कर अपने पट के साथ लगा लिया जिससे लण्ड अपने पूरे आकार में मेरे घुटने की तरफ उभर कर आ गया. दीपिका कभी मेरी ओर देखती तो कभी मेरे उभरे लण्ड की ओर देखती.
दीपिका ने अचानक से अपने एक पांव को दूसरे पर रखा और अपनी जांघों को भींच लिया.
मैंने और संजना ने उसका जांघों को भींचना साफ नोटिस कर लिया था.
उसकी साँसें उखड़ने लगी थीं. दरअसल, जांघों को भींच कर वह अपनी चूत को भींच रही थी.
मैंने मेरे लण्ड के ऊपर अपना हैंकी डाल लिया जिसे दीपिका और संजना ने देख लिया.
दीपिका की हालत देख संजना बोली- अरे राज जी, कुछ लो न, आप तो कुछ खा ही नहीं रहे हो?
फिर वो दीपिका की ओर देखकर बोली- दीपिका, सर्व करो न!
दीपिका उठी और टेबल के ऊपर से मेरी ओर झुककर मुझे खाने को देने लगी तो ऐसा लगा जैसे उसके मम्मे मेरे ऊपर ही गिर जाएंगे.
मैंने उसकी आंखों में आंखें डालकर स्नैक्स उठा लिया.
स्नैक्स लेते समय मैंने धीरे से उसकी उंगली को टच कर दिया और उसकी चूत को देखने लगा.
मेरा ध्यान उसकी चूत के नीचे वाली जगह गया तो देखा कि वहाँ एक गीला निशान बन गया था.
उस निशान को संजना ने भी देख लिया था.
संजना बोली- अच्छा, दीपिका तुम बैठो, मैं ही देती हूँ.
संजना ने दीपिका को वापस से बैठा दिया.
तभी घोष बाबू कहने लगे- राज जी, बनर्जी और संजना हमारे खास दोस्त हैं. आप इन्हें भी इसी सोसाइटी में फ्लैट दिलवा दो, क्या आप ये सामने वाला ट्राई नहीं कर सकते?
मैंने कहा- इसका मालिक तो विदेश में रहता है.
तभी संजना बोली- राज जी, यदि आप चाहो तो सब कुछ हो सकता है. अब हमें पक्का विश्वास हो गया है कि आप सब कुछ कर सकते हैं. प्लीज, कुछ करो, मैं और दीपिका बहुत अच्छी सहेलियाँ हैं.
उनको भरोसा दिलाते हुए मैंने कहा- ठीक है, मैं कुछ करता हूँ.
दीपिका बड़ी सेक्सी अदा से बोली- कुछ नहीं, सब कुछ करना है राज जी.
मैंने कहा- ठीक है, हो जाएगा.
बनर्जी और घोष एकदम बोले- इसी बात पर एक एक जाम हो जाये?
हमने ड्रिंक शुरू की और कुछ देर बाद खाना खा लिया. इस बीच दीपिका का बुरा हाल हो चुका था. वह सभी के बीच में बैठी बैठी अपनी जांघों को भींचती रही और उसकी चूत पानी छोड़ती रही.
उसे देख देखकर मेरा भी बुरा हाल हो चुका था.
संजना बहुत कुछ देख समझ चुकी थी.
दरअसल पैंट और टॉप में दीपिका का रूप अलग ही लग रहा था. दीपिका गजब की हॉट लग रही थी और बिल्कुल चुदासी हो चुकी थी.
खाना खा कर बनर्जी और संजना चले गए और मैं अपने कमरे में आ गया.
मैं और दीपिका एक ही फ्लैट में रहते हुए भी मिल नहीं पा रहे थे क्योंकि जब मैं ऑफिस से आता तो घोष बाबू भी आ चुके होते थे.
तीन रोज बाद जब मैं ऑफिस से 8.00 बजे आया तो कमरा खोल कर मैंने चाय पी.
उसके बाद नहाया.
फिर मैंने कपड़े डाल कर जगजीत सिंह की गजलें लगा लीं और बालकॉनी में ड्रिंक करने के लिए बैठ गया.
मैंने आधा पेग ही लगाया था कि दीपिका के बेडरूम का लकड़ी का दरवाजा खुला. (बालकॉनी की साइड से वे लोग दरवाजा बन्द रखते थे) जाली के दरवाजे पर दीपिका ने नॉक किया तो मैंने मुड़कर देखा.
अंदर से दीपिका की आवाज आई- क्या मैं आपको डिस्टर्ब कर सकती हूँ?
मैंने कहा- हाँ भाभी जी, बताइये?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.