25-06-2022, 03:29 PM
अचानक रिया थोड़ा और झुकी और एकदम से अजय की आँखो के सामने उसकी गांड का चीरा दिखाई दे गया..उसकी साँसे तेज हो गयी
अजय की नज़रें सीधा उसकी जाँघो के जोड़ पर चली गयी जहाँ उसकी चूत थी...और अजय ने गोर से देखा की वो जगह काफ़ी फूली हुई थी...ऐसी पाव जैसी चूत को चूसने में कितना मज़ा आएगा, ये सोचते हुए उसके मुँह से एक आह निकल गयी.
और अपने पीछे किसी के होने के एहसास से रिया एकदम से पलटी और अजय को वहाँ खड़े देखकर चोंक गयी..एकदम से फ्रीज होकर रह गयी वो..
उसकी ब्रा में क़ैद छोटे-2 कबूतर बड़ी ही मासूमियत से अपने कप्स में बैठकर अजय की तरफ देख रहे थे...एक पल के अंदर ही उसकी कॉटन ब्रा में उसके निप्पल चमकने लग गये..
रिया : "जी...जीजु ....आप......''
उसने अपने एक हाथ से अपनी छाती को छुपा लिया..और दूसरे से चूत वाले हिस्से को...पर उन नन्हे हाथों में इतना परदा कहाँ की वो उसके इतने बड़े हिस्सों को छुपा सके...अजय उसकी घबराई हुई हालत देखकर हंस दिया.
अजय को मुस्कुराता हुआ देखकर रिया की भी हँसी निकल गयी,और वो बोली : "क्या जीजू....आप बड़े शैतान हो...अंदर आने से पहले दरवाजा तो खटकाना चाहिए था ना...मेरे कपड़ों पर चाय गिर गयी थी...इसलिए मैं नये कपड़े प्रेस कर रही थी...''
अजय : "मुझसे इतनी फ़ॉर्मेलिटी नही होती की दरवाजा खड़काओ और फिर अंदर आओ...मैं तो सीधा अंदर आ जाता हू...और वैसे भी अगर खड़का कर अंदर आता तो ये नज़ारे कैसे देखने को मिलते...और वैसे भी अब मैं ये सब तो अब देख ही चुका हूँ ..इसलिए इन्हे अपने हाथों के पीछे छुपाने का कोई फायदा नही है...''
अजय एक बार फिर से मुस्कुरा दिया.
रिया (बनावटी गुस्से मे) : ''गंदे जीजू....''
और इतना कहकर उसने अपने हाथ हटा लिए...क्योंकि अब वो भी मान गयी थी की अजय सही कह रहा है..वैसे भी सिर्फ़ ब्रा पेंटी में उसका पतला सा शरीर बड़ा ही सेक्सी लग रहा था...और अभी कुछ देर पहले शीशे के सामने खड़ी होकर वो इसी सेक्सी शरीर को काफ़ी देर तक निहारती रही थी..घूम-घूमकर हर एंगल से अपने आप को देख रही थी वो.
अजय को भी ऑफीस के लिए देर हो रही थी..वरना अभी कुछ देर और वो रिया के साथ पंगे ले सकता था..और वो जानता था की वो उसकी किसी भी बात का बुरा नही मानेगी.
अजय को शराफ़त से खड़े देखकर रिया समझ गयी की अब उसके जीजू कोई और शरारत नही करेंगे, इसलिए उसने झट से अपनी प्रेस की हुई टी शर्ट और जीन्स पहनी और तैयार होकर बाहर निकल आई.
रजनी अभी तक बाथरूम में थी...वो दोनो दरवाजा बंद करके बाहर निकल गये....
अजय रास्ते भर अजय रिया को ब्रा-पेंटी वाली बात को लेकर छेड़ता रहा और वो बेचारी शर्म से लाल होकर कुछ बोल भी नही पा रही थी...वैसे भी अपने जीजू की ऐसी छेड़-छाड़ से उसके दिल में जो तरंगे उठ रही थी वो उसे बड़ी अच्छी लग रही थी...जवानी की दहलीज पर नये-2 कदम रखने के बाद ऐसी बातें वैसे भी काफ़ी रूमानी लगती है..
अजय की नज़रें सीधा उसकी जाँघो के जोड़ पर चली गयी जहाँ उसकी चूत थी...और अजय ने गोर से देखा की वो जगह काफ़ी फूली हुई थी...ऐसी पाव जैसी चूत को चूसने में कितना मज़ा आएगा, ये सोचते हुए उसके मुँह से एक आह निकल गयी.
और अपने पीछे किसी के होने के एहसास से रिया एकदम से पलटी और अजय को वहाँ खड़े देखकर चोंक गयी..एकदम से फ्रीज होकर रह गयी वो..
उसकी ब्रा में क़ैद छोटे-2 कबूतर बड़ी ही मासूमियत से अपने कप्स में बैठकर अजय की तरफ देख रहे थे...एक पल के अंदर ही उसकी कॉटन ब्रा में उसके निप्पल चमकने लग गये..
रिया : "जी...जीजु ....आप......''
उसने अपने एक हाथ से अपनी छाती को छुपा लिया..और दूसरे से चूत वाले हिस्से को...पर उन नन्हे हाथों में इतना परदा कहाँ की वो उसके इतने बड़े हिस्सों को छुपा सके...अजय उसकी घबराई हुई हालत देखकर हंस दिया.
अजय को मुस्कुराता हुआ देखकर रिया की भी हँसी निकल गयी,और वो बोली : "क्या जीजू....आप बड़े शैतान हो...अंदर आने से पहले दरवाजा तो खटकाना चाहिए था ना...मेरे कपड़ों पर चाय गिर गयी थी...इसलिए मैं नये कपड़े प्रेस कर रही थी...''
अजय : "मुझसे इतनी फ़ॉर्मेलिटी नही होती की दरवाजा खड़काओ और फिर अंदर आओ...मैं तो सीधा अंदर आ जाता हू...और वैसे भी अगर खड़का कर अंदर आता तो ये नज़ारे कैसे देखने को मिलते...और वैसे भी अब मैं ये सब तो अब देख ही चुका हूँ ..इसलिए इन्हे अपने हाथों के पीछे छुपाने का कोई फायदा नही है...''
अजय एक बार फिर से मुस्कुरा दिया.
रिया (बनावटी गुस्से मे) : ''गंदे जीजू....''
और इतना कहकर उसने अपने हाथ हटा लिए...क्योंकि अब वो भी मान गयी थी की अजय सही कह रहा है..वैसे भी सिर्फ़ ब्रा पेंटी में उसका पतला सा शरीर बड़ा ही सेक्सी लग रहा था...और अभी कुछ देर पहले शीशे के सामने खड़ी होकर वो इसी सेक्सी शरीर को काफ़ी देर तक निहारती रही थी..घूम-घूमकर हर एंगल से अपने आप को देख रही थी वो.
अजय को भी ऑफीस के लिए देर हो रही थी..वरना अभी कुछ देर और वो रिया के साथ पंगे ले सकता था..और वो जानता था की वो उसकी किसी भी बात का बुरा नही मानेगी.
अजय को शराफ़त से खड़े देखकर रिया समझ गयी की अब उसके जीजू कोई और शरारत नही करेंगे, इसलिए उसने झट से अपनी प्रेस की हुई टी शर्ट और जीन्स पहनी और तैयार होकर बाहर निकल आई.
रजनी अभी तक बाथरूम में थी...वो दोनो दरवाजा बंद करके बाहर निकल गये....
अजय रास्ते भर अजय रिया को ब्रा-पेंटी वाली बात को लेकर छेड़ता रहा और वो बेचारी शर्म से लाल होकर कुछ बोल भी नही पा रही थी...वैसे भी अपने जीजू की ऐसी छेड़-छाड़ से उसके दिल में जो तरंगे उठ रही थी वो उसे बड़ी अच्छी लग रही थी...जवानी की दहलीज पर नये-2 कदम रखने के बाद ऐसी बातें वैसे भी काफ़ी रूमानी लगती है..