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किरायेदार और मकान मालिक का परिवार
#18
उसके गांड मे मेरा लंड जाते ही मंजू की चीख बहुत जोर से निकल पड़ी। मैंने अपने हाथों से उसके मुँह को दबाया। इधर मेरा लंड भी मानो अंदर जाने मे खुरच सा गया था। उसकी गांड पूरी तरह या कुछ ज्यादा ही टाइट थी। मै फिर जोर लगाकर अपने लंड का धक्का उसके गांड के अंदर मार रहा था जिसे मंजू की हालत भी खराब हो रही थी। थोड़ी देर धक्के मारने के बाद मैंने लंड से वीर्य को गांड मे ही निकाल कर अपने लंड को उसके गांड से बाहर निकाला। मंजू को घोड़ी पोजीशन मे गांड मारने मे मुझे बहुत मजा आया। गांड से मेरे लंड के बाहर निकलते ही वो वही निढाल हो कर बैठ गई। दर्द की वजह से उसके आँखों से आँशु रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।

मौके की नजाकत को समझते हुए मैंने मंजू को गोद मे उठा कर नीचे उसके फ्लैट मे ले आया और उसके बेड पर उसको लिटा दिया। मै भी साथ मे बेड पर लेट गया और तभी मंजू मेरे पास आकर मेरे छाती पर अपना सिर रखकर लेट गई। मैं उसके आँखों मे मेरे प्रति समर्पण देख पा रहा था, मानो कह रही हो जैसे चाहते हो मैंने वैसा कर दिया। मैंने उसके माथे पर किस किया और उसने अपनी आँखे बंद कर ली। फिर मै उसके एक हाथ को पकड़ के नीचे की ओर ले गया और अपना लंड उसको पकड़ा दिया। वो मेरे लंड को सहलाते हुए आराम करना चाहती थी और मैंने भी उसको आराम करने दिया। सुबह के चार बजने वाले थे और मै नीचे नंगा ही आया था इसलिए मै जल्दी से ऊपर चला गया इससे पहले ही मॉर्निंग वाक करने वाले सड़क पर नजर आने लगते।

अब ऊपर जा कर मैंने देखा रमेश अधनंगा पी के टुल सोया हुआ है और मेरे तुरुप के इक्के ने अपना काम कर दिया था। तुरुप के इक्के की वजह से मैंने मंजू की चुदाई खुले आसमान मे की थी। मैंने तजल्दी से कपड़े पहने और अपने तुरुप के इक्के को बाहर छोड़ कर आया जहाँ से वो ऑटो पकड़ कर चली गई। आकर मैंने प्लान के मुताबिक पूरी रिकॉर्डिंग सेव की और अपने रूम मे जा कर लेट गया या यूँ कहूँ रमेश के उठने का इंतज़ार करने लगा। लगभग साथ बजे होंगे जब रमेश की नींद खुली, खुद को अधनंगा और हाथो मे एक अनजान पैंटी देखकर उसके होश उड़ गए। रमेश अब कुछ समझ नहीं पा रहा था और उसको सबसे बड़ी टेंशन थी कि वो अब नीचे कैसे जाएगा। वो वैसे ही मेरे कमरे मे आया और बोला की अब मै नीचे कैसे जाऊ।

मै (राज )- मुझसे क्या पूछ रहे हो। नीचे जाओ अपने पैर से
रमेश - ये तुमने क्या करा दिया मुझसे मंजू जानेगी मैंने पी है तो वो मुझे छोड़ देगी
मै - सिर्फ पी होती तो बात थी, तुमने बहुत कुछ किया है और उस अनजान पैंटी को उसके सामने लहरा दी।

यह देखते ही रमेश मेरे पैरो पर गिर गया और बोला की प्लीज मुझे बचा लो। आप जैसा बोलोगे मै वैसा करूंगा।

मैंने अपना पैर उसके चंगुल से खींचा और बोला की अब नहीं आज से मै जैसा कहूंगा वैसा ही करना होगा वरना.....

मै आगे कुछ बोलता उससे पहले रमेश बोल पड़ा बिल्कुल जैसा आप कहोगे वैसा करूंगा। मैंने बोला चल अब मेरे पैर दबा और वो चुपचाप मेरे पैर दबाने लगा। रमेश मेरे जाल मे फंस चुका था और अब मंजू और शिल्पी को चोदने मे रमेश नाम का खतरा भी खत्म हो चुका था। इधर मैंने मंजू को जगते ही मुझे मैसेज करने को कहा और बोला की ऊपर मत आना।

मै मंजू के मैसेज का इंतजार कर रहा था और उधर रमेश चुतिया मेरे पैर दबाये जा रहा था। तभी आठ बजे उसका मैसेज आया गुड मॉर्निंग का।

मैंने बोला फटाफट रेडी हो जा मै नौ बजे तक नीचे आऊंगा रमेश के साथ। रमेश से तुम ज्यादा सवाल जवाब मत करना। उसके बाद लगभग नौ बजे मै रमेश के साथ ऐसे नीचे आया जैसे कहीं बाहर से आया हूँ। मंजू ने मुझे देखते ही स्माइल दी और अंदर आने को कहा और मै अंदर सोफे पर बैठ गया। रमेश को मैंने वही पर खड़े होने का इशारा किया। वो डर के मारे चुपचाप खड़ा था। फिर मैंने मंजू से कहा कि रात एक पार्टी मे जाना था जो थोड़ा दूर था  इसलिए मै रमेश को साथ ले गया था। मंजू ने बस फॉर्मेलिटी मे रमेश से बोला कि रात बार रुकना था तो बता तो देते। रमेश ने कुछ नहीं बोला और मैंने रमेश को इशारा किया की वहाँ से जाए। रमेश चुपचाप घर के अंदर चला गया शायद वो थोड़ा आराम करना चाहता था और मुझे भी नींद आ रही थी। मैंने मंजू को उसके जाते ही गले लगाया और बोला की 2 बजे के लगभग ऊपर लंच लेकर आना।
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RE: किरायेदार और मकान मालिक का परिवार - by raj4bestfun - 24-06-2022, 12:25 PM



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