24-06-2022, 10:10 AM
मैंने अपना गुस्से वाला चेहरा बनाएं रखा और जाकर कुर्सी पर बैठ गया। मैंने मंजू को अपनी तरफ बुलाया। मै खुद को बहुत गुस्से में दिखा रहा था लेकिन सच तो था की मै मंजू को अपने कंट्रोल में ले रहा था। मंजू मेरे पास आई और मैंने उसको अपने जांघ पर बिठाया। फिर उसके बालो को अपने हाथ में लपेटते हुए मैंने उसका चेहरा अपनी ओर टेढ़ा कियाऔर धमकाता हुआ कहा की जो मै कहूँ वो चुपचाप कर। मंजू सॉरी सॉरी बोलती रही फिर मेरे सामने हल्के से सिर हिलाया। फिर मैंने उसे अपने जांघ से नीचे उतार दिया तो मेरे सामने जमीन पर बैठी रही और बोली की आप जो कहोगे मै मानूंगी लेकिन प्लीज मुझे वहाँ ना करो। थोड़ी देर उसके मनाने के बाद भी मैंने कहा की मै जो कहूंगा तुझे मानना ही होगा और तेरी गांड आज ही मारूंगा। मंजू समझ चुकी थी आज उसके गांड में लंड जा कर ही रहेगा।
फिर मै कुर्सी से उठा तो मंजू भी उठने लगी तो मैंने उसे धक्का दें कर नीचे ही बैठने को कहा। मंजू ये समझ रही थी की मै बहुत गुस्से में हूँ। अंदर उसका चुतिया पति नशे मे टुल है और मै बाहर खुले आसमान के नीचे राज के साथ नंगी। साथ ही रमेश को काबू मे रखने का प्लान भी उसको मालूम था इसलिए उसको यह समझ आ चुका था कि राज अब जो चाहेगा वो करेगा।
उसकी आँखों मे आँशु थे तो मैंने उसको अपने पास इशारे से बुलाया। मै छत कि रेलिंग पर खड़ा था। दबी सहमी मेरे पास वो आई तो मैंने उसको गले से लगा लिया। मेरे गले से लगते ही वो और रोने लगी तो मैंने उसको समझाते हुए कहा कि पहली बार का दर्द बर्दाश्त करो, दूसरी बार दर्द हुआ तो फिर गांड मे लंड नहीं डालूंगा। किसी तरह अपने मन को समझा कर उसने हाँ बोला। अब मैंने अपने हाथों से उसको वैसेलीन दिखाया और कुर्सी के पास जा के घोड़ी बन जाने को कहा। बिल्कुल आज्ञाकारी बच्ची की तरह वो घोड़ी बन गई। मै मन ही मन खुश हुआ और फिर कुर्सी पर जा के बैठ गया। कुर्सी पर बैठकर मैंने उसके गांड के छेद पर काफी वैसेलीन लगाया और अपने लंड पर भी। फिर मै अपने लंड को उसके गांड के पास घुमाने लगा। गांड के मुँह पर मै हल्का हल्का अंदर की ओर अपना लंड भेज रहा था और तभी अचानक से एक जोर का झटका दिया और मेरा लंड उसकी गांड के अंदर था।
फिर मै कुर्सी से उठा तो मंजू भी उठने लगी तो मैंने उसे धक्का दें कर नीचे ही बैठने को कहा। मंजू ये समझ रही थी की मै बहुत गुस्से में हूँ। अंदर उसका चुतिया पति नशे मे टुल है और मै बाहर खुले आसमान के नीचे राज के साथ नंगी। साथ ही रमेश को काबू मे रखने का प्लान भी उसको मालूम था इसलिए उसको यह समझ आ चुका था कि राज अब जो चाहेगा वो करेगा।
उसकी आँखों मे आँशु थे तो मैंने उसको अपने पास इशारे से बुलाया। मै छत कि रेलिंग पर खड़ा था। दबी सहमी मेरे पास वो आई तो मैंने उसको गले से लगा लिया। मेरे गले से लगते ही वो और रोने लगी तो मैंने उसको समझाते हुए कहा कि पहली बार का दर्द बर्दाश्त करो, दूसरी बार दर्द हुआ तो फिर गांड मे लंड नहीं डालूंगा। किसी तरह अपने मन को समझा कर उसने हाँ बोला। अब मैंने अपने हाथों से उसको वैसेलीन दिखाया और कुर्सी के पास जा के घोड़ी बन जाने को कहा। बिल्कुल आज्ञाकारी बच्ची की तरह वो घोड़ी बन गई। मै मन ही मन खुश हुआ और फिर कुर्सी पर जा के बैठ गया। कुर्सी पर बैठकर मैंने उसके गांड के छेद पर काफी वैसेलीन लगाया और अपने लंड पर भी। फिर मै अपने लंड को उसके गांड के पास घुमाने लगा। गांड के मुँह पर मै हल्का हल्का अंदर की ओर अपना लंड भेज रहा था और तभी अचानक से एक जोर का झटका दिया और मेरा लंड उसकी गांड के अंदर था।