23-06-2022, 11:45 PM
मेरा 2 bhk फ्लैट आज तैयार था खेल के लिए। रमेश मंजू से छुपा के पीने आया था और मै मंजू को सब प्लान बता चुका था। मै और रमेश ऊपर वाले फ्लैट के ड्राइंग रूम में बैठे और इधर उधर की बातों के साथ पैक लेना शुरू किया। मेरा ध्यान खुद पीने में कम और रमेश को पिलाने में ज्यादा था। 3-4 पैक के बाद रमेश को चढ़ने लगी। उसके बाद मैंने टीवी पर पोर्न स्टार्ट कर दिया। रमेश पूरे नशे में था और पोर्न देखते देखते वो आपे से बाहर होने लगा। मैंने शिल्पी की ब्रा पैंटी ला रखी थी। मैंने वो ब्रा पैंटी उसके सामने चमकाई, वो नशे में उसे मुझसे छीन कर चूमने लगा, फिर उसने पैंटी से अपने लंड को रगड़ते हुए अपना वीर्य निकला और वही सो गया। मैंने मंजू को कॉल कर के ऊपर बुला लिया और रमेश को ड्राइंग रूम में छोड़ कर दूसरे रूम में मंजू के साथ खुद को लॉक कर लिया। मंजू को आज मैंने सेक्सी नाईटी में आने को कहा था और मेरे कहे अनुसार उसने घुटने तक आती लगभग ट्रांसपेरेंट नाईटी पहन रखा था। देखते ही मेरा मन खुश हो गया। उसके आते ही मैंने उसके सामने रमेश के पिछवाड़े पर दो तीन लात जमाए। मंजू का मेरे ऊपर विश्वास बढ़ता जा रहा था। रूम में आते ही मैंने उसको किस किया और एक पैक मैंने मंजू को भी पिलाया। एक पैक पीते ही मंजू पर शुरूर चाह गया।
फिर मैंने मंजू की ट्रांसपेरेंट नाईटी उतारी, उसने उसके नीचे कुछ नहीं पहना था। इसलिए नाईटी उतारते ही वो पूरी नंगी हो गई और मैंने बरमुडे में था उसी हालत में छत पर आ गया। छत की बाउंड्री ऊँची थी इसलिए किसी को कुछ दीखता नहीं ऊपर से रात के 12 बज चुके थे। मंजू नंगी थी खुले आसमान के नीचे जो की काफी रोमांचित कर रहा था। छत पर एक कुर्सी पड़ी थी, मै उसपर तेजी से जा के बैठ गया। मंजू जो काफी शर्मा रही थी, उसके मैंने घुटने के बल मेरे पास आने को कहा। पहली बार तो उसने मना किया लेकिन मेरे जोर से बोलने पर वो चुपचाप घुटने पर चलते हुए मेरी कुर्सी तक आई, फिर मैंने उसको अपना दोनों हाथ पीछे कर अपने होंठो से मेरा बारमुदा नीचे उतारकर लंड चूसने को कहा। मंजू किसी तरह खुद को संभालती हुई ममेरे शॉर्ट्स को नीचे उतारा और लंड तक अपने मुँह को ले गई। मैंने अपने दोनों पैर फैला दिया और उसके बीच खड़े मेरे लंड को मंजू चूसती रही। बीच बीच में मै उसके टल्ली पड़े चूतिये रमेश का मजा लेता रहा। मंजू के थोड़ी देर लंड चूसने के बाद मैंने उसको अपने गोद में बिठा लिया और उसके बूब्स को चूसने लगा। मै जोर से निप्पल्स को अपने दांतो से खींच रहा था जो मंजू को बेचैन कर रही थी। फिर मैंने मंजू को उल्टा किया और उसको गर्दन के पास किस गया। गर्दन के पास किस करते ही मंजू सिहर गई और मेरा मजा बढ़ता गया।
उसकी पूरी पीठ चूमने के बाद मैंने उसको वही घोड़ी बना दिया और उसके गांड के पास अपने लंड को घुमाने लगा। उसकी गांड का छेद एक दम छोटा था और रमेश ने कभी उसकी गांड नहीं मारी थी। मैंने उसके छोटे छेद में लंड घुसाने की कोशिश की, लंड घुसा नहीं लेकिन मंजू के आँखों में आशू आ गए। वो रोते हुए मुझसे छोड़ देने की भीँख मांगने लगी। मैंने गुस्से में उसकी ओर देखा और उसको बाहर ही खड़े रहने को कहकर अंदर चला गया। अंदर मै वैसेलिन लेने गया था जिसको ढूंढने में मुझे 2-3 मिनट लग गए। मंजू को लगा की मै गुस्सा हो गया हूँ और अब उसको नंगा ही बाहर रखूँगा रात भर। ये सोचकर उसकी हालत खराब हो गई थी। मै जब वैसेलिन लेकर वापिस आया तो उसके जान में जान आई। वो मेरे सामने दोनों कान पकड़ कर खड़ी थी
फिर मैंने मंजू की ट्रांसपेरेंट नाईटी उतारी, उसने उसके नीचे कुछ नहीं पहना था। इसलिए नाईटी उतारते ही वो पूरी नंगी हो गई और मैंने बरमुडे में था उसी हालत में छत पर आ गया। छत की बाउंड्री ऊँची थी इसलिए किसी को कुछ दीखता नहीं ऊपर से रात के 12 बज चुके थे। मंजू नंगी थी खुले आसमान के नीचे जो की काफी रोमांचित कर रहा था। छत पर एक कुर्सी पड़ी थी, मै उसपर तेजी से जा के बैठ गया। मंजू जो काफी शर्मा रही थी, उसके मैंने घुटने के बल मेरे पास आने को कहा। पहली बार तो उसने मना किया लेकिन मेरे जोर से बोलने पर वो चुपचाप घुटने पर चलते हुए मेरी कुर्सी तक आई, फिर मैंने उसको अपना दोनों हाथ पीछे कर अपने होंठो से मेरा बारमुदा नीचे उतारकर लंड चूसने को कहा। मंजू किसी तरह खुद को संभालती हुई ममेरे शॉर्ट्स को नीचे उतारा और लंड तक अपने मुँह को ले गई। मैंने अपने दोनों पैर फैला दिया और उसके बीच खड़े मेरे लंड को मंजू चूसती रही। बीच बीच में मै उसके टल्ली पड़े चूतिये रमेश का मजा लेता रहा। मंजू के थोड़ी देर लंड चूसने के बाद मैंने उसको अपने गोद में बिठा लिया और उसके बूब्स को चूसने लगा। मै जोर से निप्पल्स को अपने दांतो से खींच रहा था जो मंजू को बेचैन कर रही थी। फिर मैंने मंजू को उल्टा किया और उसको गर्दन के पास किस गया। गर्दन के पास किस करते ही मंजू सिहर गई और मेरा मजा बढ़ता गया।
उसकी पूरी पीठ चूमने के बाद मैंने उसको वही घोड़ी बना दिया और उसके गांड के पास अपने लंड को घुमाने लगा। उसकी गांड का छेद एक दम छोटा था और रमेश ने कभी उसकी गांड नहीं मारी थी। मैंने उसके छोटे छेद में लंड घुसाने की कोशिश की, लंड घुसा नहीं लेकिन मंजू के आँखों में आशू आ गए। वो रोते हुए मुझसे छोड़ देने की भीँख मांगने लगी। मैंने गुस्से में उसकी ओर देखा और उसको बाहर ही खड़े रहने को कहकर अंदर चला गया। अंदर मै वैसेलिन लेने गया था जिसको ढूंढने में मुझे 2-3 मिनट लग गए। मंजू को लगा की मै गुस्सा हो गया हूँ और अब उसको नंगा ही बाहर रखूँगा रात भर। ये सोचकर उसकी हालत खराब हो गई थी। मै जब वैसेलिन लेकर वापिस आया तो उसके जान में जान आई। वो मेरे सामने दोनों कान पकड़ कर खड़ी थी